"सपनों की दौड़ में गुम होता जीवन: राणा समाज पर आधारित मोंटू सिंह राणा की कहानी"
"सपनों की दौड़ में गुम होता जीवन: राणा समाज पर आधारित मोंटू सिंह राणा की कहानी" :नवीन सिंह राणा की कलम से उत्तराखंड के तराई भावर में बसे राणा समाज के गांव में मोंटू सिंह राणा का जन्म हुआ था। मोंटू की उम्र केवल 19-20 वर्ष की थी, जब उसकी ज़िन्दगी ने एक ऐसी करवट ली जिसने न केवल उसकी बल्कि उसके पूरे परिवार की खुशियों को तहस-नहस कर दिया। मोंटू एक सीधा-साधा और मेहनती लड़का था, लेकिन युवा होने के कारण उसके मन में बड़े सपने देखे जाने की लालसा थी। मोंटू के गांव में एक दिन एक अजनबी आया, जिसने गांव के कई युवाओं को बड़े-बड़े सपने दिखाए। उसने मोंटू को बताया कि एक ऐसी कंपनी है जिसमें काम करके वह करोड़ों कमा सकता है। मोंटू के मन में लालच और उम्मीद की लौ जल उठी। उसने अपने माता-पिता की सलाह की अनदेखी करते हुए उस अजनबी की बातों में आकर उस कंपनी में काम करने का निर्णय लिया। मोंटू को उस समय यह अहसास नहीं था कि वह अपने और अपने परिवार के लिए कितनी बड़ी मुसीबत को गले लगाने जा रहा है। कंपनी के झांसे में आकर मोंटू ने अपनी पढ़ाई छोड़...