दीपावली का सफर: नवराज की एक अधूरी स्नेह भरी कहानी

### दीपावली का सफर: नवराज की एक अधूरी  स्नेह भरी कहानी 
:नवीन सिंह राणा द्वारा लिखित अपने दोस्त के साथ बिताए पल को संस्मरण के माध्यम से।

    नवराज जो मेरा दोस्त, मेरे साथ ही डीएसबी कैंपस में पढ़ता था, वैसे तो वह मेरा पक्का दोस्त था लेकिन उतना नही की अपने मन की सारी बातें मुझे बता दे, लेकिन कभी कभी कुछ ऐसा हो जाता है जब यादें जीने का सहारा हो जाती है तब एक दोस्त अपने दोस्त से कुछ छिपा नहीं पाता, ऐसा ही कुछ हुआ मेरे दोस्त नवराज के साथ, जिसने जब मुझे अपनी कहानी बतानी शुरू की तो बताते चला गया जब तक बात पूरी नही हुई उसकी बात कुछ यों थी : :  ""बीएससी 2nd वर्ष में पढ़ाई करते हुए, दीपावली की छुट्टियों में घर वापस आने का समय था। हल्द्वानी में बस बदलनी थी, लेकिन भीड़ इतनी अधिक थी कि सीट मिलना मुश्किल था। अल्मोड़ा डिपो की एक बस टनकपुर जाने के लिए खड़ी थी, पर वह बस यात्रियों से खचाखच भरी हुई थी। मैंने सोचा कि अब इस बस में चढ़ना संभव नहीं होगा। तभी मैंने देखा कि एक लड़की, जो डीएसबी कैंपस में पढ़ रही थी, भी उसी बस में बैठने का प्रयास कर रही थी। लेकिन वह बस चली गई और वह लड़की भी उसके साथ चली गई।

     कुछ समय बाद, मैंने उस लड़की को फिर से उसी जगह खड़ा देखा, जहाँ मैं खड़ा था। उसी समय एक नई बस आई और हम दोनों उसमें बैठ गए। सफर के दौरान हमारी बातें शुरू हुईं, और धीरे-धीरे हमारी जान-पहचान बढ़ने लगी। एक लंबा सफर और लंबी बातें, और उन बातों में एक तरह का आकर्षण था, जिसे प्यार कहना शायद सही नहीं, पर वह प्यार से कम भी नहीं था।

    हमने अपने-अपने बस स्टॉप पर उतरने के बाद यादों का सिलसिला शुरू किया। वह पहनियां चौराहा बस स्टॉप पर उतर गई, लेकिन मुझमें हिम्मत नहीं थी कि उससे उसके गांव का नाम पूंछ पाता। हम छुट्टियां खत्म होने का इंतजार करने लगे, ताकि फिर से मुलाकात हो सके। आखिर छुट्टियों के बाद डीएसबी कैंपस में फिर मुलाकात हुई। अब यह मुलाकात सिर्फ साधारण नहीं थी, बल्कि किताबों का लेन-देन, दिल की धड़कनें और क्लास के बाद उसी लड़की की तलाश में बदल गई थी। उस लड़की का नाम था अनामिका।

  अनामिका से मिलने के बाद, चाहत से प्यार और प्यार से मन के रिश्ते बनने लगे। हम दोनों एक-दूसरे की बातों में खो जाते थे। नैनीताल की ऊंची ऊंची बादियां मानो यह देखकर शरमाती हों,उसकी हंसी, उसकी बातें, सब कुछ जैसे मेरी जिंदगी का एक हिस्सा बन गया था। नैनी झील का खुशनुमा मौसम उन मुलाकातों को अपनी बंद आंखों में छिपा रहा हो,हर मुलाकात के बाद दिल में एक अजीब सी खुशी होती थी, जैसे दुनिया की सारी खुशियाँ मेरी झोली में आ गई हों। जिन्दगी बडी हसीन सी लगती थी जब कभी वह अपनी सहलियो के साथ नैनीताल की मॉल रोड में टहलती नजर आती, और मुझे देखकर हाथ हिलाते हुए हाय बोलती।

लेकिन, जैसा कि कहते हैं कि हर कहानी का एक अंत होता है, हमारा प्यार भी अधूरा रह गया। ग्रेजुएशन पूरा करने से पहले ही उसने डीएसबी कैंपस छोड़ दिया, शायद उसने किसी और कालेज ज्वाइन कर लिया था, मेरी आंखे अब भी उसे कैंपस में तलाश करती, पर वह कभी नजर नहीं आती। मॉल रोड में कितने बार ढूढने का प्रयास किया, लेकिन बिना बताए वो जाने कहां चली गई। अब मुझे नैनीताल की वे हसीन वादियां काटने को दौड़ती थी,वे सपने जो कभी मै देखा करता था अब वो सपने मुझे मानो चिड़ाते से नजर आते हैं। और ग्रेजुएशन के बाद मैने भी नैनीताल छोड़ दिया, और अपने अगले सफर तय करने के लिए। और वर्षों बाद, जब मैंने अनामिका को फिर से देखा, तो पता चला कि वह अब किसी और की हो चुकी थी, और वह कोई और नहीं बल्कि मेरा ही दोस्त था। यह जानकर दिल में एक गहरा दुख हुआ, परंतु मैंने उसे अपनी खुशियों में आगे बढ़ते हुए देखकर संतोष महसूस किया। फिर कभी दोबारा हिम्मत नहीं हुई कि उससे पूंछू कि तुम अचानक कहां चली गई थी। मुझसे क्या गलती हो गई थी कि एक बार भी बताया नही। और एक लंबे समय बाद मिली तो ऐसे मिली कि बोलने के लिए लब्जों में शब्द ही न थे।

इस अधूरे प्रेम की कहानी, जो हल्द्वानी के बस स्टैंड से शुरू हुई थी, अनामिका की हंसी और हमारी मुलाकातों की यादों में सिमटकर रह गई। यह प्रेम कहानी अधूरी रह गई, परंतु उसकी यादें हमेशा मेरे दिल में जीवित रहेंगी। उन यादों के सहारे, मैं अपनी जिंदगी की राह पर आगे बढ़ता रहूंगा, क्योंकि कभी-कभी अधूरी कहानियाँ भी हमें जीने का हौसला देती हैं।""और यह कहते कहते मै न जाने कब गहरी नींद में सो गया कुछ पता ही नहीं चला। और सुबह जब नींद खुली तो देखा नवराज खड़ा खड़ा मुझे देखकर मुस्करा रहा था और अपने अधूरे स्नेह को भुलाने की कोशिश कर रहा था।
: नवीन सिंह राणा 

नोट: प्रस्तुत संस्करण में पात्रों के नाम काल्पनिक हैं और कहानी में कुछ कल्पना का पुट शामिल किया गया है। यदि इसका संबंध किसी वास्तविक घटना से होता है तो यह संयोग मात्र होगा।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राणा एकता मंच बरेली द्वारा अयोजित वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप सिंह जयंती कार्यक्रम published by Naveen Singh Rana

**"मेहनत और सफलता की यात्रा: हंसवाहिनी कोचिंग की कहानी"**

राणा समाज और उनकी उच्च संस्कृति written by shrimati pushpa Rana