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""जन्म भूमि की माटी ""कविता

**जन्म भूमि की माटी** नवीन सिंह राणा द्वारा रचित  जन्म भूमि की माटी,  वह सोंधी-सोंधी खुशबू। बचपन की वो यादें,  मन में अब भी हैं जीवंत हूबहू।। गाँव की वो गलियाँ,  खेले और बड़े यहीं, सपनों की दुनिया ,  सजती बसती थी वहीं।। सफलता के शिखर पर,  जब पहुँच जाते यदा, पुरानी बचपन की यादें,  दिल में बसी रही सदा।। वो बचपन के साथी,  मासूम हंसी के पल। मिट्टी के वो घर,  दिल में बसते हर पल।। भूले तो कैसे भूले, उस माटी का कर्ज, जीवन की नींव,  वहीं से होती अर्ज।। अपने आधार को, हमेशा रखना याद, उनके भले के लिए, करना हर एक प्रयास। गाँव की सुबहें,  और वो ढलती शाम। खेतों की हरियाली,  और बचपन के नाम।। उन रिश्तों की गर्माहट,  वो अपनेपन का भाव। जीवन के सफर में,  बना रहता प्रभाव।। चाहे जितनी सफलता,  जीवन में मिले। जन्म भूमि की सेवा,  जब तक प्राण दिल से करे।। अपने समाज के विकास में,  अपना योगदान देते रहे। उनके भले के लिए,  हर पल तत्पर रहे।। जन्म भूमि की माटी,   है जीवन का सार। उसकी सेवा करना, है हमारा कर्तव्य अपार।। ...

हे मेरे राम.....

हे मेरे राम, हे मेरे राम  आपको करता हूं मैं प्रणाम। अवध के राजा  कोशल्या के लाल  आय बसे फिर अयोध्या धाम, हे मेरे राम, हे मेरे राम  आपको करता हूं मैं प्रणाम।1। कण कण में बसे  बसे जग में दशरथ नंदन  भजन करे जन प्रातः शाम, हे मेरे राम, हे मेरे राम  आपको करता हूं मैं प्रणाम।2। चैत्र नवमी पर  हुए धरा में अवतरित  कष्ट हरत जन जन के तमाम, हे मेरे राम, हे मेरे राम  आपको करता हूं मैं प्रणाम।3। राम राज्य फिर  कब आयेगा धरा पर  एक तेरा नाम ही सतनाम, हे मेरे राम, हे मेरे राम  आपको करता हूं मैं प्रणाम।4। यह शुभ मुहूर्त  पुनः आज है आया  लेकर अजब खुशी तमाम, हे मेरे राम , हे मेरे राम  आपको करता हूं मैं प्रणाम।5। सकल धरा पर  बहे प्रेम सरस धारा  शुभ हो सारे कार्य तेरे नाम, हे मेरे राम, हे मेरे राम  आपको करता हूं मैं प्रणाम।6। नव युग हो  हो" नवीन"क्रांति  हे रघुवीर नमन करूं तेरा धाम, हे मेरे राम, हे मेरे राम  आपको करता हूं मैं प्रणाम।7। कुछ करू ऐसा  प्रभु जीवन हो सफल  जन्म मरण हो चरणों में ...