महाराणा प्रताप: हिंदुआ सूरज
"महाराणा प्रताप -हिंदुआ सूरज" कहीं दूर क्षितिज में सूर्य उगा। होकर भयभीत अंधकार भगा।। निद्रा में सोया संसार जगा। मां जयवंता ने लाल जना।। ज्येष्ठ शुक्ल और तिथि तृतीया। एक देवदूत अवतार लिया।। देवों ने शक्ति-पात किया । मां चामुण्डा ने वरदान दिया।।। पूत के पांव पालने में देखा ।। गुण देख नाम "प्रताप" रखा ।। प्यार से सब कहते कीका। वह राज दुलारा जन-जन का ।। अप्रतिम तेज झलकता था। उत्तरोत्तर प्रताप निखरता था।। वह कदम जहां भी रखता था । धरती पर सूर्य चमकता था।। समझो न ऐसे ही नाहक। "हिंदुआ सूरज"कहलाते हैं।। हैं धर्म सनातन के रक्षक। वो अपना शीश चढ़ाते हैं ।। "दीवान" एकलिंग कहलाते हैं। शक्ति को शीश सदा नवाते हैं ।। वो सब के मन को भाते हैं। जब शत्रु को खूब छकाते हैं।। हर बात...