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महाराणा प्रताप: हिंदुआ सूरज

"महाराणा प्रताप -हिंदुआ सूरज"  कहीं दूर क्षितिज में सूर्य उगा।       होकर भयभीत अंधकार भगा।। निद्रा में सोया संसार जगा।        मां जयवंता ने लाल जना।। ज्येष्ठ शुक्ल और तिथि तृतीया।        ‌ एक देवदूत अवतार लिया।। देवों ने शक्ति-पात किया ।        मां चामुण्डा ने वरदान दिया।।।  पूत के पांव पालने में देखा ।।            गुण देख नाम "प्रताप" रखा ।।  प्यार से सब कहते कीका।        वह राज दुलारा जन-जन का ।। अप्रतिम तेज झलकता था।       उत्तरोत्तर प्रताप निखरता था।। वह कदम जहां भी रखता था ।       धरती पर सूर्य चमकता था।। समझो न ऐसे ही नाहक।     "हिंदुआ सूरज"कहलाते हैं।।  हैं धर्म सनातन के रक्षक।      वो अपना शीश चढ़ाते हैं ।। "दीवान" एकलिंग कहलाते हैं।         शक्ति को शीश सदा नवाते हैं ।। वो सब के मन को भाते हैं।        जब शत्रु को खूब छकाते हैं।। हर बात...

अर्जुन भी भागा........ पुष्पा राणा द्वारा रचित

नवीन सिंह राणा द्वारा संपादित  श्रीमती पुष्पा राणा जी द्वारा रचित बेहतरीन कविता  अर्जुन भी रण से भागा था। विवेक न तब तक जागा था ।। वह देख स्वजन घबराया था। न कृष्ण ने जब समझाया था। हे पार्थ उठो तुम युद्ध करो। स्वजन का न शोक करो।। तुम धर्म का आलोक भरो। हे कौंतेय अपना कर्म करो।। धरा से अधर्म को आलोप करो। अर्जुन नहीं व्यर्थ विलाप करो।। तुम बढ़कर आगे हुंकार भरो। अन्याय का अभी प्रतिकार करो।। जगत में कर्म ही प्रधान है। धर्म कर रहा आह्वान है।। रण तो पहले ही वियावान है। कर्महीन कभी न हुए महान है। इंशा जब कर्तव्य निभायेगा। इतिहास स्वयं रच जायेगा।। कोई कृष्ण तो आगे आयेगा। अर्जुन को राह दिखायेगा।। हर नर में अर्जुन बैठा है।  कृष्ण रमा है अन्तस में ।। घूंघट के पट खोल जरा। देखो तो अपने मन में।।   पुष्पा राणाराणा  थारू युवा जागृति समिति आप सभी पाठकों का हार्दिक स्वागत अभिनंदन करती है। आशा है आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आयेगी।

राणा समाज में चराई का त्यौहार: एक नजर एक समझ

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प्रिय पाठकों, नमस्कर और राम राम जैसा कि हम आपके ज्ञान वा जागरूकता को बढ़ाने के लिए समय समय पर नई नई पोस्ट लेकर आते हैं ताकि आप अपने राणा समाज की परम्परा, संस्कृत, ज्वलंत मुद्दे और बहुत सारी चीजे जान सके और उसे समझ सकें। इसी कडी में आज मैं आपको रूबरू करा रहा हूं राणा समाज की परम्परा से जुड़ी चराई त्यौहार से, जिसे शब्द बद्ध किया हमारी वरिष्ठ सद्स्य श्रीमती पुष्पा राणा जी ने, जो वर्तमान में केनरा बैंक लखनऊ में कार्यरत हैं और राणा समाज की खोती परंपरा, संस्कृति वा  स्वाभीमान हेतु अपनी रचनाएं करती रहती है प्रस्तुत है आज की प्रस्तुति श्री मति पुष्पा राणा जी की रचना। प्रेषक  नवीन सिंह राणा  ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, त्यौहार का परिचय   चैत्र मास भारतीय नववर्ष के सुभागमन पर राणाओं द्वारा "चैत्र चराई उत्सव" के रुप मे प्रकृति का अभिनन्दन चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से भारत वर्ष के महान राजा विक्रमादित्य के द्वारा प्रचलित विक्रमी संवत के अनुसार नवसंवत्सर का प्रारम्भ हो जाता है। भारतीय मनीषियों की सटीक ग...