कब जागा था लहू एक बार फिर राणा लोगों का?
राणा थारू समाज की “स्वाभिमान की हुंकार”: एक जन आंदोलन: खंड 1 लेखक नवीन सिंह राणा हमारा राणा समाज एक मजबूत और गौरवशाली इतिहास रखता है और स्वं को मेवाड़ और चित्तौड़ के वीर सपूतों और योद्धाओं को अपना पूर्वज मानता आया है। जिसके कई प्रमाण आज भी धरोहर के रूप में राणा समाज के घरों में सुरक्षित है। जिनकी अमूल्य परंपराएं और संस्कृति आज भी उनसे मेल खाती हैं जिन्हें वे वर्षो पहले मेवाड़ और चित्तौड़ की भूमि में छोड़ आए थे। इतिहास गवाह है कि वर्षो पहले राणा समाज के लोग विभिन्न कारणों से पलायन कर तराई भावर की भूमि पर निवास कर रहे हैं जिसे उन्होंने अपनी मेहनत से सींचा संवारा और रहने लायक बनाया। और फिर धीरे धीरे विभिन्न समाज के लोग इस भूमि पर आकर बसने लगे। और उन्होंने इन लोगों के बारे में टटोलना शुरू किया और जानना शुरू किया। सही और सटीक जानकारी इस समाज के बारे में वर्णित न होने के कारण जिसके मन में जो आया अथवा जिसने जैसा बताया उसी को आधार मानते हुए इस समाज के बारे में मनगढ़ंत जानकारियां पुस्तकों में लिख दी गई, और जिन्होंने जैसा इस समाज के लोगों के बारे म...