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बदल रहे हैं अच्छे की....... By जेपी राणा

नवीन सिंह राणा द्वारा संपादित  जय प्रकाश सिंह राणा द्वारा रचित  बदल रहें है अच्छे की उम्मीद में, खो ना जाना तुम भी कहीं भीड़ में। नियत और इरादा साफ रखना, किया जो सबसे वादा ,याद रखना। ना रखना पर्दे में कुछ ना,                   ओझल होना तुम भविष्य रख दिया है हाथ में,              तुम्हारे ना समझना इसे खिलौना तुम। इक नई ऊंचाई देना,               इक नया मुकाम बनाना तुम। दुनिया की चकाचौँध में ,                  अपनों को भूल ना जाना तुम। मार्गदर्शक है तू तो ,               हम भी कारवां हैं। जहाँ पड़ेंगे तेरे कदम,                  तो हम भी वहाँ हैं। बड़ी परेशानियां झेली हैं,                      बड़े दर्द में हैं। जैसा चल रहा है,           वैसे तो भविष्य गर्त में है। ...

जेपी राणा की क्रांतिकारी कविता

वक़्त बिताने को हैं सब पड़े यहाँ लिखते हैं ये दर्शाने को हैं सबसे बड़े यहाँ कोरे कागज पर कलम चलाते हैं उपस्थिति अपनी बस लिखने में दर्शाते हैं अगर कहा है तो करना पड़ता है कर्तव्य पथ पर पहले खुद बढ़ना पड़ता है इतिहास तो पढ़ा है हम सबने के हक के लिए खुद लड़ना पड़ता है जंग भीड़ से नहीं हौसलों से जीती जाती है तभी तो एक सवा लाख पर भारी है हम तो हैं 130 हमारी क्या तैयारी है अच्छी बातें तो सभी कर लेते हैं उसे धरातल पर भी तो उतारे कोई हम बिना कढ़े बर्धा है हिम्मत है तो आगे बढ़ सही से नाथ समारै कोई सबको पता है की समय की क्या दरकार है  अब आगे क्या लिखू बाकि सब समझदार हैं रचनाकार  श्री जय प्रकाश सिंह राणा