जेपी राणा की क्रांतिकारी कविता
वक़्त बिताने को हैं सब पड़े यहाँ
लिखते हैं ये दर्शाने को हैं सबसे बड़े यहाँ
कोरे कागज पर कलम चलाते हैं
उपस्थिति अपनी बस लिखने में दर्शाते हैं
अगर कहा है तो करना पड़ता है
कर्तव्य पथ पर पहले खुद बढ़ना पड़ता है
इतिहास तो पढ़ा है हम सबने
के हक के लिए खुद लड़ना पड़ता है
जंग भीड़ से नहीं हौसलों से जीती जाती है
तभी तो एक सवा लाख पर भारी है
हम तो हैं 130 हमारी क्या तैयारी है
अच्छी बातें तो सभी कर लेते हैं
उसे धरातल पर भी तो उतारे कोई
हम बिना कढ़े बर्धा है हिम्मत है तो आगे बढ़ सही से नाथ समारै कोई
सबको पता है की समय की क्या दरकार है
अब आगे क्या लिखू बाकि सब समझदार हैं
रचनाकार
श्री जय प्रकाश सिंह राणा