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जून 23, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विश्व क्षुद्रग्रह दिवस: हमारे ग्रह की सुरक्षा का आह्वान

विश्व क्षुद्रग्रह दिवस: हमारे ग्रह की सुरक्षा का आह्वान संपादकीय  राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति  30 जून को मनाया जाने वाला विश्व क्षुद्रग्रह दिवस हमें उन क्षुद्रग्रहों के संभावित खतरों की याद दिलाता है, जो पृथ्वी से टकरा सकते हैं। 1908 में साइबेरिया के तुंगुस्का में हुए विस्फोट ने इस खतरे को उजागर किया था, जिससे लाखों पेड़ नष्ट हो गए थे। आज, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति के बावजूद, हमें क्षुद्रग्रहों की निगरानी और उनसे बचाव के उपायों पर लगातार ध्यान देना चाहिए। क्षुद्रग्रह दिवस का उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना है। वैज्ञानिक और अंतरिक्ष एजेंसियां क्षुद्रग्रहों के अध्ययन और उनकी कक्षाओं की निगरानी के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रही हैं। नासा और ESA जैसे संगठनों ने संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रहों की पहचान और उनसे निपटने के तरीकों पर काम किया है।  हालांकि, इन प्रयासों को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि क्षुद्रग्रहों के बारे में जागरूकता और उनसे बचाव के उपायों में सामूहिक प्रयास की जरूरत है।...

गर्मियों की छुट्टी का अंतिम दिन: एक नई शुरुआत की ओर,(स्कूल जाने वाले बच्चों को समर्पित)

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गर्मियों की छुट्टी का अंतिम दिन: एक नई शुरुआत की ओर नवीन सिंह राणा की कलम से       गर्मियों की छुट्टियाँ बच्चों के जीवन का एक अनमोल हिस्सा होती हैं। ये दिन उनके लिए न सिर्फ आराम और मनोरंजन का समय होते हैं, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। खेलकूद, नई जगहों की सैर, और पारिवारिक गतिविधियों में बिताए गए ये पल उनके जीवन में अनमोल यादें बनकर रहते हैं।     आज गर्मियों की छुट्टी का अंतिम दिन है। कल से स्कूल के दरवाजे फिर से खुलेंगे, और बच्चों के लिए एक नया शैक्षणिक सत्र शुरू होगा। यह दिन बच्चों और उनके माता-पिता दोनों के लिए खास होता है। बच्चों के मन में उत्साह के साथ-साथ थोड़ी सी उदासी भी होती है। छुट्टियों के मजे और मस्ती को छोड़कर फिर से नियमित स्कूल जीवन में लौटने का समय आ गया है।     इस अंतिम दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह बच्चों को जिम्मेदारियों की ओर लौटने की याद दिलाता है। छुट्टियों के दौरान जो ऊर्जा और नई उमंग उन्होंने संजोई है, उसे अब वे अपने अध्ययन में लगाकर नई उपलब्धियाँ हा...

Safe Journey: Sudeep's Inspiring Story(Inspirational story based on sections under Motor Vehicle Act)

Safe Journey: Sudeep's Inspiring Story (Inspirational story based on sections under Motor Vehicle Act) Published by Naveen Singh Rana Sudeep lived in a small village, where most people traveled by bicycle or on foot. Sudeep worked hard for several years and eventually succeeded in buying a used motorcycle. This was a great achievement for him and he started using the motorcycle with pride. One day, Sudeep was planning to go to the city with his friend Ravi. Ravi asked Sudeep, "Do you have a driving license?" Sudeep said reluctantly, "No, I haven't got it yet." Ravi said seriously, "You should get a driving license under Section 3, driving without a license is illegal." Sudeep took Ravi's advice seriously and immediately applied for a driving license. He got the license within a few days. He could now drive his motorcycle legally and was also assured of safety. A few months later, Sudeep had to travel to another city for work. He noticed that th...

**सुरक्षित सफर: सुदीप की प्रेरणादायक कहानी**(मोटर व्हीकल एक्ट के तहत धाराओं पर आधारित प्रेरणादायक कहानी )

सुरक्षित सफर: सुदीप की प्रेरणादायक कहानी  (मोटर व्हीकल एक्ट के तहत धाराओं पर आधारित प्रेरणादायक कहानी ) Published by Naveen Singh Rana  सुदीप एक छोटे से गाँव में रहता था, जहाँ ज्यादातर लोग साइकिल या पैदल यात्रा करते थे। सुदीप ने कई वर्षों तक कड़ी मेहनत की और अंततः एक पुरानी मोटरसाइकिल खरीदने में सफल रहा। यह उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी और उसने गर्व के साथ मोटरसाइकिल का उपयोग करना शुरू कर दिया। एक दिन, सुदीप अपने दोस्त रवि के साथ शहर जाने की योजना बना रहा था। रवि ने सुदीप से पूछा, "तुम्हारे पास ड्राइविंग लाइसेंस है न?" सुदीप ने अनमने मन से कहा, "नहीं, अभी तक नहीं बनवाया।" रवि ने गंभीरता से कहा, "तुम्हें धारा 3 के तहत ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना चाहिए, बिना लाइसेंस के वाहन चलाना अवैध है।" सुदीप ने रवि की सलाह को गंभीरता से लिया और तुरंत ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया। कुछ ही दिनों में उसे लाइसेंस मिल गया। वह अब कानूनी रूप से अपनी मोटरसाइकिल चला सकता था और उसे सुरक्षा का भी भरोसा था। कुछ महीनों बाद, सुदीप को काम के सिलसिले में दूसरे शहर जाना पड़ा। उसने दे...

विस्वास की वापसी: एक कहानी

"विश्वास की वापसी: एक कहानी  Published by Naveen Singh Rana    एक बार की बात है, एक गाँव में सुदामा नाम का व्यक्ति रहता था। सुदामा ने अपने बचपन के दोस्त गोविंद से कुछ पैसे उधार लिए थे। गोविंद ने दोस्ती के नाते बिना किसी हिचकिचाहट के पैसे दे दिए थे, लेकिन सुदामा ने उधार चुकाने की तारीख पर तारीख बदलना शुरू कर दिया।        गोविंद को समझ नहीं आ रहा था कि वह अपने पैसे कैसे वापस पाए। उसने गाँव के बुजुर्गों से सलाह ली। बुजुर्गों ने उसे कुछ तरकीबें सुझाईं। सीधा संवाद  सबसे पहले गोविंद ने सोचा कि वह सुदामा से सीधे बात करेगा। उसने विनम्रता से सुदामा से मुलाकात की और उसकी स्थिति समझने की कोशिश की। सुदामा ने उसे फिर से एक नई तारीख दे दी। लिखित अनुबंध गोविंद ने अगली बार सुदामा से मिलने पर एक लिखित अनुबंध बनाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने एक पत्र पर दोनों ने हस्ताक्षर किए जिसमें यह लिखा था कि सुदामा किस तारीख तक और कैसे उधार चुकाएगा। यह एक कानूनी तरीके से सुरक्षा की तरह था। साक्षी का प्रयोग  गोविंद ने सुदामा से मिलने के दौरान गाँव के दो विश्वसनीय व्यक्तियों ...

क्यों जरूरी हैं?कानून की बारीकियों की जानकारी: कुसुम की कहानी

क्यों जरूरी हैं?कानून की बारीकियों की जानकारी: कुसुम की कहानी  Published by Naveen Singh Rana       कुसुम एक छोटे से गांव की रहने वाली थी। वह एक मेहनती और उत्साही महिला थी, जो अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए रोज सुबह-सुबह दूध लेकर शहर में बेचने जाती थी। एक दिन, जब कुसुम अपनी साइकिल पर दूध के कैन लादकर शहर जा रही थी, तो एक तेज़ रफ़्तार से आती हुई कार ने उसे टक्कर मार दी और मौके से भाग निकली। कुसुम गंभीर रूप से घायल हो गई और सड़क पर बेहोश पड़ी रही।    कुछ राहगीरों ने यह देखा और तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाया। कुसुम की हालत गंभीर थी, लेकिन समय पर चिकित्सा मिल जाने से उसकी जान बच गई। अस्पताल में भर्ती होते ही पुलिस को सूचना दी गई और कुसुम के परिवार को भी खबर दी गई।  कुसुम के पति रामु, जिसने कभी कानून की बारीकियों के बारे में नहीं सोचा था, अब इस कठिन स्थिति में फंस गया था। उसने अपने गाँव के मुखिया से सलाह ली, जिन्होंने उसे एफआईआर दर्ज करवाने की सलाह दी। रामु पुलिस स्टेशन गया और एक एफआईआर दर्ज करवाई, जिसमें उसने अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर मारने की ...

# कहानी: **जीवन की सीख**धारा 129

कहानी: जीवन की सीख (सावधानी ही बचाव) Published by Naveen Singh Rana  रवि एक युवा लड़का था जो अपने गाँव से शहर में पढ़ाई करने के लिए आता था। उसके पास एक पुरानी मोटरसाइकिल थी जिसे वह अपने पिता से उपहार में मिला था। रवि का स्वभाव मस्तीभरा और कुछ लापरवाह था। हेलमेट पहनना और ट्रैफिक नियमों का पालन करना उसे समय की बर्बादी लगता था।  एक दिन, रवि अपने दोस्तों के साथ शहर में घूमने निकला। उसने बिना हेलमेट पहने ही अपनी मोटरसाइकिल तेज गति से चलाई और ट्रैफिक सिग्नल की परवाह किए बिना आगे बढ़ गया। अचानक, एक कार से टकरा जाने के कारण उसे गंभीर चोटें आईं। अस्पताल में भर्ती कराने के बाद डॉक्टर ने बताया कि हेलमेट न पहनने के कारण उसका सिर में गंभीर चोट आई है, जिसे ठीक होने में लंबा समय लगेगा।     रवि के इस हादसे ने उसके परिवार को हिला कर रख दिया। अस्पताल में रहते हुए रवि ने मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 129 के बारे में सुना, जिसमें यह अनिवार्य है कि दोपहिया वाहन चलाने वाले हर व्यक्ति को सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनना चाहिए। उसे एहसास हुआ कि अगर उसने हेलमेट पहना होता तो उसकी चोट इतनी गंभीर नहीं हो...

संघर्ष और उम्मीद: राणा थारू किसान की गाथा (वर्तमान में सच्ची घटनाओं पर आधारित)

संघर्ष और उम्मीद: राणा थारू किसान की गाथा  Published by Naveen Singh Rana       सुबह का सूरज उगते ही रमेश सिंह राणा की आंख खुल गई। चारों ओर फैले खेतों का नजारा उसके लिए एक नई उम्मीद लाता था, लेकिन साथ ही एक गहरी चिंता भी। रमेश सिंह राणा जो राणा थारू समाज का एक छोटा किसान था, अपने परिवार की जिम्मेदारियों और खेती के उच्च लागत के बीच जूझ रहा था खेती किसानी से उतना लाभ नही हो पा रहा था, इसलिए साथ में छोटे मोटे और काम भी करने होते थे, तब जाकर जिन्दगी का पहिया गांव की ऊबड़ खाबड़ रास्ते में चल पाता था।      रमेश सिंह राणा के पास थोड़ी सी जोत वाली जमीन थी, जिसमें वह अपने परिवार के लिए अन्न उगाता था। उसकी पत्नी, सुनीता, और दो छोटे बच्चे उसकी दुनिया थे। महंगाई बढ़ रही थी और परिवार की जरूरतें भी। सुनीता देवी अक्सर बीमार रहती थी काम के बोझ और जिम्मेदारियों ने उसे और अधिक कमजोर बना दिया था और साथ में महंगी दवाइयों के कारण उनकी आर्थिक स्थिति और भी कठिन हो जाती थी लेकिन जीवन तो जीना ही है घर की रोजी रोटी की चक्की तो चलानी ही है। और मांग कर भी तो हर कोइ गुजारा नह...

बिजली की गर्जना और जीवन की संवेदना : संपादकीय राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति

बिजली की गर्जना और जीवन की संवेदना : संपादकीय  राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति  Published by Naveen Singh Rana       प्राकृतिक आपदाओं की भयावहता और उनकी अप्रत्याशितता ने हमेशा मानव जाति को चौंकाया है। 24 जून को सैजना गांव में जो घटित हुआ, वह एक दर्दनाक त्रासदी थी जिसने न केवल एक परिवार को बल्कि पूरे समाज को हिला कर रख दिया। एक किसान परिवार के दो जवान बच्चे, 19 वर्षीय सुमित सिंह और 22 वर्षीय सुहावनी राणा, जब अपने खेत में रोपाई कर रहे थे, तब अचानक बिजली की चपेट में आ गए और उनकी ह्रदय गति रुकने से उनकी मृत्यु हो गई। यह घटना एक गहरा आघात थी, जिसने उन माता-पिता, भाई-बहनों और पूरे गांव को अपार दुःख में डुबो दिया। एक और घटना में, 26 जून को मगर सड़ा गांव के निवासी सचिन राणा की भी बिजली गिरने से मृत्यु हो गई, जब वह अपने खेत में काम कर रहे थे। इस प्रकार की घटनाएँ हमें यह एहसास दिलाती हैं कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने हम कितने असहाय हैं, और हमें एहतियात बरतने की कितनी आवश्यकता है। सरकार ने पीड़ित परिवारों को आपदा राहत कोष से आर्थिक सहायता प्रदान की है, जो सराहनीय है,...

Clouds of disaster and its prevention: A story based on events written in the current context

Clouds of disaster and its prevention: A story based on events written in the current context Published by Naveen Singh Rana One day, Mohan Singh and Shyam Singh were on disaster management duty. It was a very dark night and it was raining heavily. Both were sitting in the control room and monitoring the surroundings of the village. This control room established by the government remained active to help during floods. And it was imposed every year in which employees were put on duty at different times and they used to perform their duties very diligently. Like every day, both of them were on duty, when Mohan heard a loud sound from the river. He felt that the water level of the river was suddenly rising. He immediately took up his torch and looked towards the river with Shyam. Due to heavy rain, the light of the torch was dim. When they went closer and looked in the light of the torch, they found that the water level of the river was rising rapidly and it seemed that it was slowly movi...

रानी दुर्गावती: सच्ची वीरांगना की शहादत को नमन (24 जून)

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रानी दुर्गावती: सच्ची वीरांगना की शहादत को नमन (24 जून) संपादकीय  राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति  Published by Naveen Singh Rana        रानी दुर्गावती, भारतीय इतिहास की एक अमर वीरांगना, जिनकी वीरता और साहस ने इतिहास के पन्नों में अमिट छाप छोड़ी है। उनका नाम सुनते ही आँखों के सामने एक ऐसी महिला की छवि उभरती है, जिसने अपने राज्य और सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनके शहादत दिवस पर हम सभी को उनका स्मरण करना चाहिए और उनके बलिदान से प्रेरणा लेनी चाहिए।      16वीं शताब्दी में गोंडवाना राज्य की महारानी बनने वाली रानी दुर्गावती ने न केवल प्रशासन में उत्कृष्टता दिखाई, बल्कि युद्धक्षेत्र में भी अपनी वीरता का प्रदर्शन किया। उनके शासनकाल में गोंडवाना राज्य ने समृद्धि और शांति का अनुभव किया। उनकी प्रजा के प्रति उनका प्रेम और समर्पण अद्वितीय था।      रानी दुर्गावती का संघर्ष अकबर के साथ हुआ, जो उनके राज्य को अपने साम्राज्य में मिलाना चाहता था। अपने राज्य की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उन्होंने बहादुरी से लड...

आपदा के बादल और उससे बचाव : वर्तमान परिपेक्ष्य में लिखी घटनाओं पर आधारित कहानी

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आपदा के बादल और उससे बचाव : वर्तमान परिपेक्ष्य में लिखी घटनाओं पर आधारित कहानी  Published by Naveen Singh Rana        एक दिन की बात है, जब मोहन सिंह और श्याम सिंह आपदा प्रबंधन की ड्यूटी पर थे। वह रात बेहद अंधेरी थी और जोरदार बारिश हो रही थी। दोनों कंट्रोल रूम में बैठे हुए थे और गाँव के चारों ओर की निगरानी कर रहे थे। सरकार द्वारा स्थापित यह कंट्रोल रूम बाढ़ के समय मदद के लिए सक्रिय रहता था। और प्रतिवर्ष लगाया जाता था जिसमे अलग अलग समय पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगा करती थी और वे बड़े मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी किया करते थे। हर रोज की तरह दोनों अपनी ड्यूटी पर दे, तभी मोहन ने नदी की ओर से तेज आवाज सुनी। उसे लगा कि नदी का जल स्तर अचानक बढ़ रहा है। उसने तुरंत अपनी टार्च उठाई और श्याम के साथ नदी की ओर  नजर दौड़ाई तेज बारिश होने से टॉर्च का प्रकाश धुमिल सा था करीब जाने पर जब उन्होंने टार्च की रोशनी में देखा, तो पाया कि नदी का पानी तेजी से जल स्तर ऊपर बड़ रहा है और लग रहा है कि वह धीरे धीरे गाँव की ओर बढ़ रहा है। मोहन सिंह और श्याम सिंह ने आपस में बात कर तुर...

बाढ़ प्रबंधन (आपदा कंट्रोल )की प्रेणादायक बाल कहानी (समय की जरूरत, जागरुकता ही बचाव, बचाव ही सुरक्षा, समाज की सुरक्षा को समर्पित)

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   बाढ़ प्रबंधन (आपदा कंट्रोल) की प्रेणादायक बाल कहानी  (सरकार द्वारा प्रतिवर्ष आपदा कंट्रोल रूम की स्थापना की जाती है यदि किसी को बाढ़ या तेज बारिश से जल भराव की दिक्कत होती है तो आपदा कंट्रोल रूम मे दूरभाष से सम्पर्क कर सूचित किया जा सकता है, आपदा प्रबंधन टीम द्वारा हर संभव दिलाई जाती है।)    राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति  published by Naveen Singh Rana     एक बार की बात है, सुशांतपुर नामक एक छोटे से गाँव में, हर साल मानसून के मौसम में बाढ़ का खतरा बना रहता था। इस गाँव के लोग खेती पर निर्भर थे और बाढ़ से उनकी फसलें और घरों को हमेशा नुकसान पहुँचता था। लेकिन इस साल, सरकार ने बाढ़ प्रबंधन और कंट्रोल रूम की एक नई पहल शुरू की थी।      गाँव में एक सरकारी अधिकारी आए और उन्होंने गाँव वालों को एकत्रित किया। अधिकारी ने बताया, "इस साल सरकार ने बाढ़ प्रबंधन और कंट्रोल रूम की स्थापना की है। यदि जल स्तर बढ़ने का खतरा हो या किसी भी प्रकार की बारिश से संबंधित दिक्कत हो, तो आप हमारे दिए गए दूरभाष नंबर पर कॉल कर सकते हैं। हमारी...

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस: समाज और संस्कृति की रक्षा का संकल्प

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अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस: समाज और संस्कृति की रक्षा का संकल्प(लेख में कुछ प्रीतिकात्मक चित्र जोड़े गए हैं जिनका कोई दूसरा उद्देश्य नही है सिर्फ जन जागरुकता हेतु शामिल किए गए हैं) :राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति  Published by Naveen Singh Rana      26 जून को प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस (International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking) के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस न केवल नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, बल्कि समाज में फैली इस घातक बुराई से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग और समर्पण की आवश्यकता को भी उजागर करता है। इस दिवस का महत्व और भी बढ़ जाता है जब हम देखते हैं कि नशे की लत हमारे समाज, विशेष रूप से युवा पीढ़ी, को किस प्रकार से बर्बाद कर रही है। जिसे वे अभिभावक और माता पिता और करीब से अनुभव कर पाते हैं जिनके युवा बच्चे इसकी गिरफ्त में पड़ जाते हैं।         नशे की सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौती     नशे की लत न केवल व्यक्ति की शारीरिक और मा...

प्रेरणादायक कहानी: "नए सवेरे की शुरुआत"(सेवानिवृत लोगों को समर्पित)

  प्रेरणादायक कहानी: "नए सवेरे की शुरुआत" (सेवानिवृत लोगों को समर्पित) Published by Naveen Singh Rana     रामकृष्ण सिंह एक सफल सरकारी अधिकारी थे। उन्होंने अपने जीवन के 35 वर्ष समर्पित किए थे अपने कार्यस्थल को, जहां उन्होंने ईमानदारी, मेहनत और समर्पण से काम किया। अब वह 60 साल के हो गए थे और रिटायरमेंट का समय आ गया था। रिटायर होने के बाद वे शहर की जिन्दगी से अलग गांव में बसने का विचार बना रहे थे।     रामकृष्ण सिंह ने अपने जीवन के इस नए चरण का स्वागत खुले दिल से किया। पहले कुछ महीने उन्होंने आराम किया, परिवार के साथ समय बिताया और अपनी पुरानी आदतों को जीवित किया। लेकिन जल्दी ही उन्हें महसूस हुआ कि उनका जीवन अब एक नई दिशा की मांग कर रहा है। जो इच्छा उनके मन में वर्षो से दबी थी वह उसे पूरा करना चाह रहे थे।     एक दिन रामकृष्ण सिंह ने अपने पुराने मित्र मोहन सिंह से मुलाकात की, जो एक स्वयंसेवी संस्था चलाते थे। मोहन सिंह ने उन्हें अपनी संस्था के बारे में बताया, जो समाज के गरीब बच्चों को शिक्षा देने का काम करती थी। रामकृष्ण सिंह ने तुरंत निर्णय लिया कि वह भ...

विटिलिगो (सफेद दाग)जागरूकता दिवस (25 जून): संपादकीय

विटिलिगो जागरूकता दिवस (25 जून): संपादकीय Published by Naveen Singh Rana          विटिलिगो, जिसे आम भाषा में सफेद दाग के नाम से जाना जाता है, एक त्वचा विकार है जिसमें त्वचा के कुछ हिस्सों में रंगद्रव्य (पिगमेंट) की कमी हो जाती है, जिससे वे हिस्से सफेद हो जाते हैं। यह बीमारी न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभावित कर सकती है। 25 जून को विश्व विटिलिगो जागरूकता दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना और इससे प्रभावित लोगों को समर्थन प्रदान करना है।     विटिलिगो का प्रभाव केवल शारीरिक नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति के आत्मविश्वास और सामाजिक जीवन पर भी गहरा असर डाल सकता है। समाज में प्रचलित कई मिथक और भ्रांतियाँ विटिलिगो से जुड़े हुए हैं, जो इससे पीड़ित व्यक्ति के लिए और भी मुश्किलें पैदा करते हैं। इस दिन का उद्देश्य ऐसे मिथकों को तोड़ना और लोगों को इस बीमारी के बारे में सही जानकारी देना है।       विटिलिगो के इलाज के लिए कई चिकित्सा पद्धतियाँ उपलब्ध हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है समाज का...

कैलाश पर्वत: एक अलौकिक रहस्य

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कैलाश पर्वत: एक अलौकिक रहस्य Published by Naveen Singh Rana  (विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारियों के अनुसार वर्णित ) धरती के एक छोर पर उत्तरी ध्रुव है और दूसरे छोर पर दक्षिणी ध्रुव। इन दोनों के बीचों-बीच स्थित है हिमालय, जो धरती के प्राकृतिक सौंदर्य और रहस्यों का केंद्र है। हिमालय के ह्रदय में स्थित कैलाश पर्वत को एक विशेष महत्व प्राप्त है। यह पर्वत न केवल हिन्दू धर्म के लोगों के लिए पवित्र है, बल्कि जैन, बौद्ध और सिख धर्म के अनुयायियों के लिए भी अत्यंत महत्व रखता है। कैलाश पर्वत का स्वरूप विशाल पिरामिड जैसा है, जो अपने आप में एक रहस्य समेटे हुए है। यह पर्वत एकांत में स्थित है, जिसके आसपास कोई बड़ा अन्य पर्वत नहीं है। वैज्ञानिक आज तक इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि ऐसा क्यों है। कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र बिंदु माना जाता है, और इसके चारों तरफ एक अलौकिक ऊर्जा का प्रवाह है।  दो रहस्यमयी सरोवर कैलाश पर्वत के निकट दो रहस्यमयी सरोवर हैं, जिनका नाम मानसरोवर और राक्षस ताल है। मानसरोवर को दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झील माना जाता है और इसका आकार सूर्य के समान है।...

शिव उमा वसुंधरा सौंदर्य दर्शन

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शिव उमा वसुंधरा भ्रमण  कर कठोर विनती शिव से,      भोले को चिर निद्रा से जगाया । नैसर्गिक सौंदर्य दर्शन मन ,            शंकर भोले को बताया।।1।। मुस्कुराए भोले भंडारी,        प्रस्थान किया भ्रमण को । साथ चली उमा माता ,          प्रसन्न किया स्व मन को।।2।। पवन पथ चलकर शिव शक्ति,                कैलाश गि रि पार किया । शिव शक्ति उमा जी को ,          हिम गिरी अति भा गया।।3।। मन आनंदित कर, सती मां            दृश्य देख फूली न समाई ।। मन की सारी प्रसन्नता ,              भोले नाथ को बताई।।4।। शुक्ल रंग हिम ग्लेशियर ,            लगते हैं बड़े ही मनोहारी । हिम दर्शन से मन की,  ...