विटिलिगो (सफेद दाग)जागरूकता दिवस (25 जून): संपादकीय

विटिलिगो जागरूकता दिवस (25 जून): संपादकीय

Published by Naveen Singh Rana 

        विटिलिगो, जिसे आम भाषा में सफेद दाग के नाम से जाना जाता है, एक त्वचा विकार है जिसमें त्वचा के कुछ हिस्सों में रंगद्रव्य (पिगमेंट) की कमी हो जाती है, जिससे वे हिस्से सफेद हो जाते हैं। यह बीमारी न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभावित कर सकती है। 25 जून को विश्व विटिलिगो जागरूकता दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना और इससे प्रभावित लोगों को समर्थन प्रदान करना है।

    विटिलिगो का प्रभाव केवल शारीरिक नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति के आत्मविश्वास और सामाजिक जीवन पर भी गहरा असर डाल सकता है। समाज में प्रचलित कई मिथक और भ्रांतियाँ विटिलिगो से जुड़े हुए हैं, जो इससे पीड़ित व्यक्ति के लिए और भी मुश्किलें पैदा करते हैं। इस दिन का उद्देश्य ऐसे मिथकों को तोड़ना और लोगों को इस बीमारी के बारे में सही जानकारी देना है।

      विटिलिगो के इलाज के लिए कई चिकित्सा पद्धतियाँ उपलब्ध हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है समाज का समर्थन और संवेदनशीलता। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि विटिलिगो संक्रामक नहीं है और इससे प्रभावित व्यक्ति भी पूरी तरह से सामान्य जीवन जी सकता है। 

    राणा संस्कृति मंजूषा के माध्यम से हम इस विटिलिगो जागरूकता दिवस पर संकल्प लें कि हम अपने आस पास, अपने समाज के लोगों जो इस बीमारी से जुड़े भेदभाव और पूर्वाग्रह को समाप्त करेंगे। आइए, हम सब मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं जहां हर व्यक्ति, चाहे उसकी त्वचा का रंग कैसा भी हो, सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जी सके। उसे भी उतना सम्मान मिले जितना एक आम इंसान को मिलता है, सिर्फ रंग की वजह से किसी से किनारा न करे।

    इस जागरूकता दिवस पर, हम सभी को यह याद दिलाना आवश्यक है कि असली सुंदरता हमारे दिल और हमारे कर्मों में बसती है, न कि हमारी त्वचा के रंग में। विटिलिगो के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता फैलाना हमारे समाज को और भी सुंदर और समावेशी बना सकता है। इसलिए आओ मिलकर इस जागरुकता दिवस के अवसर पर हम सभी विटिलिगो से पीड़ित जनों को सम्मान की नजर से देंखे, उनको भी उतना ही सम्मान दे जितना ह्रदय से सबको देते हैं।
राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति 

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