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मेरा परिचय मेरा इतिहास,:तीन भयावह जौहर और विस्थापन की व्यथा

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Published by Naveen Singh Rana  मेरा परिचय मेरा इतिहास (तीन भयावह जौहर और विस्थापन की व्यथा) श्रीमती पुष्पा राणा जी द्वारा रचित                     ______****_______              मैं वही हृदय में जिसके ।                  घनीभूत पीड़ा है ।।             सहस्त्र घाव है हल्दीघाटी के ।                  छलनी जिसका सीना है।।              कश्यप गोत्री सूर्यवंश है ।                  मां ने यही बताया था ।।              मनु शतरूपा ने मिलकर ।                    सृष्टि को पुनः रचाया था।।               दादा तेरे नृप दिलीप ने।         ...

शीर्षक "मैं झांसी की रानी""बचपन की मधुर यादेंश्रीमती पुष्पा राणा जी द्वारा रचित

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शीर्षक "मैं झांसी की रानी" "बचपन की मधुर यादें " पापा की मैं परी नहीं। मैं  झांसी  की  रानी । भोला सा बचपन मेरा। भोली सी एक कहानी।। मां की मैं बिटिया रानी। पर पापा की मरदानी।। ले लाठी  मैं टूट पड़ी। कहा जो झांसी रानी।। लाठी जैसे फूल बन गई। पड़ते ही  पापा  हंसते।। मैं रूठी सी गाल फुलाती। वो फिर नई कहानी गढ़ते।। पुकारती मां "रान्तू" । (राणा) कहां है तू ,कहां है तू।। छुपन -छुपाई  मैं  खेलूं। मां के आंचल में छुप लूं।। "ता" कहती मां मुस्काती।  प्यार  भरी पप्पी लेती।। देखो ढूंढ लिया कहती।  मां बेटी ये खेल खेलती।। नन्ही बच्ची क्या जाने। कौन थी झांसी  रानी।।  बार-बार बोला जब  जाता । चिड़ जाती थी अभिमानी।। ये नाम  नहीं  ऐसे  मिला। था बचपन का सिलसिला।। देखके बिटिया स्वाभिमानी। पापा कहते झांसी - रानी।।  सिलसिला यूं चलता रहा।  समय चक्र घूमता रहा ।।  बचपन मेरा मरता  रहा।। स्वाभिमान पर बाकी रहा।। विलीन हो गए पापा मेरे। गहरे  नील  गगन में।। मां भी सोई चिर निद्रा ।  रहा ठह...