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"त्यागिनी सीता का मौन प्रश्न"नवीन सिंह राणा की कलम से # नारी वेदना #अन्याय #

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त्यागिनी सीता का मौन प्रश्न" नवीन सिंह राणा की कलम से   बार बार सीता मैया को ही,  क्यों देनी पड़ी अग्नि परीक्षा, किया इतना बलिदान जिसने, फिर भी न हुई उनकी सुरक्षा। पति के प्रण के खातिर जिसने, छोड़ महल पति धर्म निभाया, पति सेवा ही उनको प्रिय, महलों का सुख न कभी भाया। लंकेश भी डिगा न सका जिसका शतित्व, प्रतिपल श्री राम का ध्यान लगाया, जाने क्यों तब भी लंका से आने पर, फिर श्री राम ने अग्नि परीक्षा से जी दुखाया। अग्नि परीक्षा देने पर भी, अयोध्या में  न हुआ प्रजा को विश्वास, तपस्विनी सीता मैया को फिर, निष्ठुर समय ने  पहुंचाया वनवास। कदम कदम पर समाज क्यों, लेता नारी की ही परीक्षा, भले न कर सके अपने बल से, नारी शक्ति की असुरों से रक्षा। पाकर वनवास फिर जिसने, पाए अनगिनत कष्टों के प्रहार, लव कुश के लालन पालन में, न निकली कभी मन से कहार। अश्वमेघ के अश्व की खातिर, जब श्री राम कानन में आए। सीता मैया के सामने ही, पति और पुत्र जिसके टकराए। उस पीड़ा को जाने कैसे, उस तपस्विनी ने झेला होगा, देख इस संकट को तब, भाग्य भी जाने कितना रोया होगा। तत्पश्चात भी सीता मैया को, अ...