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जुलाई 14, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

**कहानियों का जादू: राधा की शिक्षा यात्रा**

**कहानियों का जादू: राधा की शिक्षा यात्रा** By Naveen Singh Rana  एक छोटे से गाँव में राधा नाम की एक बच्ची रहती थी। राधा को कहानियां सुनना और पढ़ना बहुत पसंद था। उसके गाँव में एक छोटी सी लाइब्रेरी थी, जिसे गांव के सभी लोगों ने मिलकर बनाया था।जहाँ वह रोज़ जाया करती थी। एक दिन, उसे एक पुरानी और धूल से भरी हुई किताब मिली। किताब के ऊपर लिखा था, "जादुई पुस्तक।" राधा ने उत्सुकता से पुस्तक खोली और पढ़ने लगी। जैसे ही उसने पहली कहानी पढ़नी शुरू की, उसे लगा जैसे वह कहानी के अंदर खींची जा रही है। वह एक घने और सुंदर फूलों के जंगल में पहुँच गई, जहाँ उसने एक बौने से मुलाकात की। बौने ने कहा, "राधा, इस जंगल में एक खजाना छुपा है। तुम्हें इस खजाने तक पहुँचने के लिए कुछ पहेलियों को हल करना होगा।" पहली पहेली थी: "मैं ऐसी जगह हूँ जहाँ सूरज कभी नहीं उगता, फिर भी मैं हमेशा चमकता हूँ। मैं क्या हूँ?" राधा ने थोड़ा सोचा और फिर मुस्कुराई, "और पहेली को दुबारा बुदबुदाया और बोली,"यह चाँद है!" बौना खुश हुआ और उसने अगली पहेली दी: "मैं हवा में उड़ता हूँ, फिर भी मेरे पा...

गुरु पूर्णिमा और भारतीय संस्कृति: राणा संस्कृति मंजूषा द्वारा संपादकीय**

**गुरु पूर्णिमा और भारतीय संस्कृति: राणा संस्कृति मंजूषा द्वारा संपादकीय** गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो न केवल हमारे शास्त्रीय परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, बल्कि आज की आधुनिक जीवनशैली में भी उसका विशेष महत्व है। यह पर्व अषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इसे महर्षि वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में भी जाना जाता है, जिन्होंने चारों वेदों का संकलन किया था। भारतीय समाज में गुरु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण और आदरणीय रहा है। "गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।" इस मंत्र में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश के समान बताया गया है, जो दर्शाता है कि गुरु का स्थान हमारे जीवन में कितनी महत्ता रखता है।  गुरु पूर्णिमा का महत्व सिर्फ धार्मिक या आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं है, बल्कि यह शिक्षा और ज्ञान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपने शिक्षकों और मार्गदर्शकों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए, जिन्होंने हमें ज्ञान, संस्कार और जीवन के मूल्य सिखाए...

कहानी: "विनम्रता की जीत

कहानी: "विनम्रता की जीत" नवीन सिंह राणा  एक छोटे से गांव में, एक महिला जिसका नाम राधा देवी था, रहती थी। राधा देवी को उसकी तीव्र बुद्धि और ज्ञान के कारण सभी सम्मान करते थे। गांव के लोग अक्सर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए राधा के पास आते थे, और वह हमेशा उनकी मदद के लिए तैयार रहती थी। धीरे-धीरे, राधा को अपने ज्ञान और समझ पर गर्व होने लगा और उसने खुद को सबसे अधिक बुद्धिमान मानना शुरू कर दिया।उसे अभिमान हो गया था। राधा देवी को अब लोगों का सम्मान मिलने के बजाय, वे उससे दूर भागने लगे। वह लोगों के सवालों का जवाब तो देती थी, लेकिन उनके विचारों को कभी महत्व नहीं देती थी। उसने यह मान लिया था कि केवल वही सही है और दूसरों की राय कोई मायने नहीं रखती। एक दिन गांव में एक नई महिला, सुमनदेवी, आई। सुमन देवी भी बहुत बुद्धिमान थी लेकिन वह विनम्र और समझदार भी थी। उसने लोगों के साथ बात की, उनकी समस्याओं को सुना और उनकी राय को भी महत्व दिया। धीरे-धीरे लोग सुमन देवी के पास जाने लगे और राधा देवी को भूलने लगे। राधा देवी को यह बदलाव महसूस हुआ और उसने अपने आप से सवाल किया कि आखिर क्यों लोग उससे दूर हो र...

संघठन की सच्चाई एक कहानी

संगठन की सच्चाई By Naveen Singh Rana  एक समय की बात है, एक छोटे से गांव समाज में एक समाजसेवी संगठन का गठन हुआ जिसका मुख्य उद्देश्य गांव की उन्नति और भलाई करना था। इस संगठन के अध्यक्ष, मोहन, एक विनम्र और सज्जन व्यक्ति थे, जो सबके साथ प्रेम और सौहार्द से पेश आते थे। उनके नेतृत्व में संगठन ने कई सफल परियोजनाएं चलाईं और गांव के लोग खुशहाल जीवन जीने लगे। एक दिन, मोहन ने अपने स्वास्थ्य कारणों से उच्च पद से इस्तीफा दे दिया। संगठन ने सर्वसम्मति से अमित को नया उच्च पद चुना। अमित पढ़े-लिखे और बुद्धिमान थे, लेकिन उनमें एक कमी थी—वे हमेशा अपने पद और शक्ति का दिखावा करते थे। और खुद को संघठन का कद्दावर पदाधिकारी समझता था। अमित नेउच्च पद के बाद तुरंत ही अपने पद का रौब दिखाना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने साथियों से कठोर व्यवहार करना शुरू कर दिया और अपने आदेशों को बिना किसी सलाह के लागू करना शुरू कर दिया। जहां पहले मीटिंग्स में सबकी राय ली जाती थी, अब वहां अमित के आदेश ही सबकुछ थे। और बात बात में अन्य सदस्यों को ठीक ढंग से काम न करने पर उनके पदों से हटाने की धमकियां दी जाने लगीं। धीरे-धीरे संगठन के ...