कंजा बाग: राणा थारू संस्कृति का संघर्ष और अस्तित्व की चुनौती" एक मंथन
"कंजा बाग: राणा थारू संस्कृति का संघर्ष और अस्तित्व की चुनौती" एक मंथन । काल्पनिक परिदृश्य कंजा बाग गांव की वर्तमान स्थिति केवल एक सामाजिक बदलाव का उदाहरण नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी चेतावनी भी है, जो राणा थारू समाज को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुदा करने की दिशा में संकेत करती है। यह गांव जो कभी हरे-भरे बागों, खेती, और सांस्कृतिक परंपराओं का केंद्र था, धीरे-धीरे उन मूल्यों को खोता जा रहा है जो इस समाज की पहचान थे। समय के साथ, विकास और आर्थिक जरूरतों के कारण राणा समाज के कई लोगों ने अपनी पुश्तैनी जमीनें बेच दीं। बाहरी समुदाय, विशेषकर अन्य धर्म के लोगों ने यहां पर बसना शुरू कर दिया और अब उनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह जनसंख्या विस्तार केवल क्षेत्रीय सीमाओं में बदलाव का मुद्दा नहीं है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन में भी गहरा असर डाल रहा है। नए बाशिंदों के आगमन और उनकी जनसंख्या वृद्धि से राणा समाज के लोग अपने ही गांव में एक ओर सीमित होते जा रहे हैं। राणा समाज के लोगों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय है...