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अगस्त 25, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राणा थारू समाजस्य समस्याः नेतृत्वे अभावः

### राणा थारू समाजस्य समस्याः नेतृत्वे अभावः राणा थारू समाजः, यः उत्तरभारते तराई भावर प्रदेशे स्थितः अस्ति, एकः अद्वितीयः सांस्कृतिकः ऐतिहासिकः च विरासतस्य धनी समाजः अस्ति। स्वस्य समृद्धः सांस्कृतिकः धरोहरः ऐतिहासिकः महत्वः च अपि, अयं समाजः अद्य अपि अनेके समस्याः सामना करोति। एतेषां समस्यानां मुख्यः कारणः अस्ति उत्तमः निस्वार्थः नेतृत्वस्य अभावः। अस्मिन् लेखे वयं तासां विविधाः समस्याः चर्चा करिष्यामः याः नेतृत्वस्य अभावेन उद्भवन्ति, समाजं संगठितं प्रगतिपथं च अग्रे नयन्ति। कुशल: सामाजिकः संगठनस्य अभावः सामाजिकः संगठनः कस्यापि समुदायस्य प्रगतेः निमित्तं आवश्यकः अस्ति। राणा थारू समाजे नेतृत्वस्य अभावेन कुशल : सामूहिकता संगठनस्य च भावना अभावः दृश्यते। समाजे एकता संगठनस्य अभावः अस्ति, येन समुदायस्य जनाः स्वधिकाराणां सुविधानां च निमित्तं संघर्षं कर्तुं न शक्नुवन्ति। सही नेतृत्व समाजस्य सदस्यान् एकत्र कर्तुं, सामूहिककार्याणि संचालनं कर्तुं, समस्यानां समाधानं च कर्तुं महत्वपूर्णः भवति। . शिक्षा स्वास्थ्य सेवायाः अभावः नेतृत्वस्य अभावेन समाजे शिक्षा स्वास्थ्य सेवायाः च स्थिति दयनीया अस्ति। उत्त...

राणा थारू समाज के कर्मचारी वर्ग का संगठित योगदान: समाज हित में एकजुटता और सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास**

*राणा थारू समाज के कर्मचारी वर्ग का संगठित योगदान: समाज हित में एकजुटता और सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास**: लेख  : नवीन सिंह राणा  राणा थारू समाज, उत्तर भारत का एक प्राचीन और समृद्ध समुदाय, जिसने अपने गौरवशाली इतिहास, सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को पीढ़ी दर पीढ़ी सहेजा है। आज के समय में, इस समाज के लोग विभिन्न विभागों और सेवाओं में कार्यरत हैं—चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन, पुलिस, बैंकिंग, कृषि, तकनीकी क्षेत्र, या अन्य कोई विभाग हो। इन विभिन्न विभागों में कार्यरत समाज के लोग न केवल अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सफल हो रहे हैं, बल्कि अपने समाज के लिए भी एक सशक्त भूमिका निभा सकते हैं।  वर्तमान समय में, आवश्यकता इस बात की है कि राणा थारू समाज का हर कर्मचारी वर्ग समाज हित में एक छत्र के तले एकजुट होकर अपने योगदान को सुनिश्चित करे। यह संगठित प्रयास न केवल समाज को एक नई दिशा देगा, बल्कि समाज के विकास और उन्नति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 1. **कर्मचारी संघों का गठन और सक्रियता** समाज के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को एकजुट करने के लिए सबसे पहला और...

**राणा थारू समाज का थारू विकास भवन: गौरव स्थल से स्वाभिमान और आदर का प्रतीक बनाने की दिशा में रणनीति**

** राणा थारू समाज का थारू विकास भवन: गौरव स्थल से स्वाभिमान और आदर का प्रतीक बनाने की दिशा में रणनीति: एक विचार  : नवीन सिंह राणा  राणा थारू समाज का थारू विकास भवन न केवल इस समाज का गौरव स्थल है, बल्कि यह समाज की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक धरोहर को संरक्षित रखने का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है। यह भवन उस गौरवशाली इतिहास और धरोहर का प्रतीक है, जिसने राणा थारू समाज को पहचान दी है। इस गौरव स्थल को समाज के प्रत्येक व्यक्ति के दिल से जोड़ने, इसे स्वाभिमान का प्रतीक बनाने और अन्य समाज के लोगों के लिए आदरणीय स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है। 1. ** थारू विकास भवन के सांस्कृतिक महत्व को बढ़ावा देना** थारू विकास भवन का मुख्य उद्देश्य राणा थारू समाज की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना और उसका प्रचार-प्रसार करना है। इसके लिए आवश्यक है कि इस भवन में समाज के इतिहास, कला, संगीत, और परंपराओं का व्यापक प्रदर्शन हो।  - ** सांस्कृतिक संग्रहालय का निर्माण**: भवन में एक स्थायी सांस्कृतिक संग्रहालय की स्थापना की जानी चाहिए, जिसमें राणा थारू समाज के ऐतिहास...

**"राणा थारू समाज: आधार से जुड़कर संगठन की साख को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की रणनीति"**

**"राणा थारू समाज: आधार से जुड़कर संगठन की साख को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की रणनीति"** :नवीन सिंह राणा  राणा थारू समाज, उत्तर भारत के ऐतिहासिक और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने वाला एक समाज है। इस समाज का गौरवशाली अतीत और उज्ज्वल भविष्य तब ही संभव हो सकता है जब समाज अपने आप को संगठित और सशक्त बनाए। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, हमें आधार से जुड़े सामाजिक संगठन का निर्माण करना होगा, जो जन-जन तक अपनी पकड़ मजबूत बनाकर हर गांव में अपनी साख बढ़ा सके। राणा थारू समाज का कोइ संगठन तभी सफल होगा जब समाज के हर वर्ग, हर उम्र और हर क्षेत्र के लोग इसमें सक्रिय रूप से भाग लें। संगठन की नींव को मजबूत बनाने के लिए सबसे पहले आवश्यक है कि समाज के सभी सदस्य एकजुट हों और एक-दूसरे के प्रति सहयोग का भाव रखें। इस एकजुटता के माध्यम से समाज को एक शक्तिशाली संगठनात्मक ढांचे की आवश्यकता है, जो आधार से जुड़ा हो और जन-जन तक अपनी पकड़ बनाए रखे। 1. **स्थानीय समितियों का गठन**: हर गांव और कस्बे में राणा थारू समाज के संघठन की स्थानीय समितियां गठित की जानी चाहिए। ये समितियां स्थानीय समस्याओं को सुलझाने औ...

राणा थारू समाज: विकास की राह में चुनौतियाँ और संभावनाएँ :विमर्श

** राणा थारू समाज: विकास की राह में चुनौतियाँ और संभावनाएँ** : नवीन सिंह राणा की कलम से  आजादी के बाद भारत ने विकास की दिशा में बड़े कदम उठाए। नए भारत के निर्माण में हर वर्ग, हर समाज ने अपना योगदान दिया। लेकिन कुछ समाज ऐसे भी रहे जो विकास की इस दौड़ में पूरी तरह से भागीदार नहीं बन सके, और उनमें से एक है राणा थारू समाज। यद्यपि इस समाज ने खेती और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, फिर भी वह व्यापार में बुलंदियों को छूने, बड़े अधिकारी बनने, और राजनीति में उच्च पदों पर पहुँचने में अभी भी संघर्ष कर रहा है।  ### ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान स्थिति राणा थारू समाज का इतिहास अद्वितीय है, यह समाज सदियों से अपने परंपरागत जीवनशैली और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ा रहा है। आजादी के बाद, जब देश के अन्य हिस्सों में विकास की बयार बह रही थी, तब राणा थारू समाज ने भी शिक्षा और खेती के क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाने शुरू किए। बच्चों को स्कूल भेजने, और खेती में नई तकनीकों का उपयोग करने जैसी पहलें समाज में बदलाव का संकेत थीं।  हालाँकि, इस बदलाव के बावजूद, राणा थारू समाज आर्...

**"राणा थारू समाज: भूमि विभाजन, आर्थिक संकट, और भविष्य की चुनौतियाँ": सम सामयिक लेख

**"राणा थारू समाज: भूमि विभाजन, आर्थिक संकट, और भविष्य की चुनौतियाँ": सम सामायिक लेख  : नवीन सिंह राणा की कलम से  राणा थारू समाज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य एक ऐसा विषय है जिसमें समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक संघर्ष दोनों ही महत्वपूर्ण रूप से शामिल हैं। इस लेख में हम इस समाज की कृषि व्यवस्था, भूमि विभाजन, बाहरी प्रभाव, और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न समस्याओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे। ### **प्रारंभिक कृषि व्यवस्था और भरण-पोषण** राणा थारू समाज का इतिहास यह बताता है कि पहले इस समुदाय के लोग मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर थे। वे अपने भरण-पोषण के लिए अनाज उत्पादन करते थे, लेकिन उस समय खेती का उद्देश्य केवल घरेलू उपयोग के लिए अनाज उगाना था। उत्पादन की दर कम थी और यह सिर्फ परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त था। बाजार की अवधारणा और व्यापारिक मंशा उस समय समाज में नहीं थी। ### **हरित क्रांति और पंचवर्षीय योजनाओं का प्रभाव** हरित क्रांति और पंचवर्षीय योजनाओं के आने से खेती के तरीके और उत्पादन में बदलाव आया। सरकार की ओर से नए कृषि उपकरण, उन्नत बीज, और खादों का प्रयोग बढ़...

राणा थारू समाज और समाज से उच्च प्रतिभाओं का पलायन

राणा थारू समाज और समाज से उच्च प्रतिभाओं का पलायन: लेख  :नवीन सिंह राणा  राणा थारू समाज, जो अपने आप में एक विशेष पहचान और संस्कृति को समर्पित है, ने वर्षों की मेहनत और संघर्ष के बाद अपने बच्चों को उच्च शिक्षा की राह पर चलायाहै । इस समाज के बुजुर्गों और नेताओं का सपना था कि उनकी संतानें ऊँचे पदों पर पहुंचें, और उनकी इस कामयाबी से समाज का उत्थान हो। वे चाहते थे कि बेटे-बेटियाँ अपने समाज के भीतर ही रहें, शादी करें, और समाज को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। लेकिन आधुनिकता और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के चलते, इस समाज के युवा एक नई दिशा में बढ़ रहे हैं, जो कि समाज की अपेक्षाओं से भिन्न है। **समाज का सपना ** बच्चों के लिए उच्च शिक्षा दिलवाने का सपना आज समाज के हर सदस्य का था। इसके लिए उन्होंने कठिन परिश्रम कियाहै ,खेतों में पसीना बहाकर, अपनी संपत्ति गिरवी रखकर, और कभी-कभी तो अपने पेट पर पत्थर बांधकर, वे अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों और कॉलेजों में भेजने में सक्षम हो पाए। उनका मानना है कि जब उनके बच्चे पढ़-लिखकर बड़े पदों पर पहुंचेंगे, तो वे समाज की सेवा करेंगे और उसकी गरिमा...

"राणा थारू समाज की उड़ान"**

 "राणा थारू समाज की उड़ान"** :नवीन सिंह राणा  भारत देश के कई गाँव में बसे राणा थारू समाज की पहचान सदियों से उसकी परंपरागत जीवनशैली, खेती-बाड़ी, और जंगलों से जुड़ी है ।आजादी के बाद जब देश ने विकास की ओर कदम बढ़ाए, तो राणा थारू समाज ने भी धीरे-धीरे शिक्षा और खेती के क्षेत्र में अपने छोटे-छोटे कदम रखना शुरू किया। यह समाज धीरे-धीरे शिक्षा के महत्व को समझने लगा, और गाँव के बच्चों को स्कूल भेजने लगा। समाज के कुछ लोगों ने खेती के अलावा शिक्षा को भी अपनाना शुरू किया, और उनके बच्चे अब उच्च शिक्षा के लिए शहरों की ओर जाने लगे। हालाँकि, शिक्षा का यह प्रयास सराहनीय था, लेकिन समाज अब भी उच्च अधिकारी बनने, व्यापार में बुलंदियों को छूने, और राजनीति में ऊँचे पदों पर पहुँचने में पीछे था। इसका मुख्य कारण समाज की आर्थिक स्थिति और पुरानी मान्यताओं में जकड़ा रहना था।  गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति, राम सिंह जी, समाज के भले के लिए हमेशा चिंतित रहते थे। और अपने गांव के बड़े पधान थे, जिनका खूब आदर सम्मान समाज में था,।एक दिन उन्होंने गाँव समाज की पंचायत बुलाईजिसमे कई गांव के बड़े बुजुर्गों और युवाओ...

"स्वर्णा और साहसी अर्जुन की अद्भुत यात्रा"कहानी

"स्वर्णा और साहसी अर्जुन की अद्भुत यात्रा"कहानी  एक बार की बात है, उत्तराखंड के हरे-भरे जंगलों के किनारे राणा थारू जनजाति के एक छोटे से गाँव में एक नन्हा बच्चा, अर्जुन, रहता था। अर्जुन बेहद निडर और जिज्ञासु था। उसे जंगल के जीव-जंतु और उनकी कहानियों में बहुत दिलचस्पी थी। एक दिन, अर्जुन को उसकी दादी ने एक अद्भुत परियों की कहानी सुनाई। दादी ने कहा, "बहुत समय पहले, हमारे गाँव के पास एक जादुई तालाब था। उस तालाब में एक सुनहरी मछली रहती थी, जिसका नाम था स्वर्णा। स्वर्णा के पास जादुई शक्तियाँ थीं और वह बच्चों की मदद करने के लिए जानी जाती थी।" अर्जुन ने दादी की कहानी सुनी और उसकी आँखों में चमक आ गई। उसने मन ही मन निश्चय किया कि वह उस जादुई तालाब को ढूंढ़ेगा और स्वर्णा से मिलेगा। अगली सुबह, अर्जुन ने अपने सबसे अच्छे दोस्तों, नीलू और पायल, को अपने साहसिक अभियान के बारे में बताया। वे तीनों साथ में जंगल की ओर निकल पड़े। रास्ते में उन्हें रंग-बिरंगे पक्षी, चमकते फूल और झरने मिले। चलते-चलते वे एक छोटे से गाँव पहुंचे, जहाँ एक बूढ़ा आदमी बैठा हुआ था। बूढ़े ने बच्चों को देखा और मुस्क...

**कहानी: संघर्षों की दास्तान

**कहानी: संघर्षों की दास्तान** नवनीत एक साधारण इंसान था, जो अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ एक शांतिपूर्ण जीवन बिता रहा था। उसने अपनी जिंदगी के हर छोटे-बड़े कदम को सोच-समझकर उठाया था, ताकि उसके परिवार को किसी भी प्रकार की कमी महसूस न हो। हालांकि, जैसे-जैसे समय बीतता गया, उसे एहसास हुआ कि उसके पास अब खुद का एक घर होना चाहिए। नवनीत ने कई सालों तक बचत की थी, लेकिन वह इतनी नहीं थी कि वह सीधे एक घर खरीद सके। इसीलिए, उसने होम लोन लेने का फैसला किया। कागजी कार्यवाही और बैंक के चक्कर काटने के बाद, नवनीत ने आखिरकार अपना सपना पूरा कर लिया। उसने एक छोटा-सा, लेकिन सुंदर घर बनवाया, जहां उसके परिवार की हर खुशी और उसकी मेहनत का फल था। लेकिन घर का काम अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि उसकी बड़ी बेटी, रिया, की तबियत अचानक बिगड़ने लगी। नवनीत और उसकी पत्नी ने सोचा कि यह साधारण बुखार या कोई छोटी बीमारी होगी, जो जल्द ही ठीक हो जाएगी।  लेकिन जब रिया की तबियत में कोई सुधार नहीं हुआ और उसकी दृष्टि कमजोर होने लगी, तो उनका दिल बैठ गया। वे देश के सबसे अच्छे डॉक्टरों के पास गए, हर संभव इलाज कराया, लेकिन कोई भी इलाज ...

जन्माष्टमी क्विज 2024

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