"स्वर्णा और साहसी अर्जुन की अद्भुत यात्रा"कहानी

"स्वर्णा और साहसी अर्जुन की अद्भुत यात्रा"कहानी 


एक बार की बात है, उत्तराखंड के हरे-भरे जंगलों के किनारे राणा थारू जनजाति के एक छोटे से गाँव में एक नन्हा बच्चा, अर्जुन, रहता था। अर्जुन बेहद निडर और जिज्ञासु था। उसे जंगल के जीव-जंतु और उनकी कहानियों में बहुत दिलचस्पी थी।

एक दिन, अर्जुन को उसकी दादी ने एक अद्भुत परियों की कहानी सुनाई। दादी ने कहा, "बहुत समय पहले, हमारे गाँव के पास एक जादुई तालाब था। उस तालाब में एक सुनहरी मछली रहती थी, जिसका नाम था स्वर्णा। स्वर्णा के पास जादुई शक्तियाँ थीं और वह बच्चों की मदद करने के लिए जानी जाती थी।"

अर्जुन ने दादी की कहानी सुनी और उसकी आँखों में चमक आ गई। उसने मन ही मन निश्चय किया कि वह उस जादुई तालाब को ढूंढ़ेगा और स्वर्णा से मिलेगा।

अगली सुबह, अर्जुन ने अपने सबसे अच्छे दोस्तों, नीलू और पायल, को अपने साहसिक अभियान के बारे में बताया। वे तीनों साथ में जंगल की ओर निकल पड़े। रास्ते में उन्हें रंग-बिरंगे पक्षी, चमकते फूल और झरने मिले। चलते-चलते वे एक छोटे से गाँव पहुंचे, जहाँ एक बूढ़ा आदमी बैठा हुआ था। बूढ़े ने बच्चों को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हें स्वर्णा की तलाश है, है ना?"

बच्चों ने चौंककर पूछा, "आपको कैसे पता?"

बूढ़े ने बताया, "मैंने तुम्हारे साहस की कहानियाँ सुनी हैं। आगे बढ़ो, तालाब तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है, लेकिन याद रखना, सच्चे दिल और नेक इरादे से ही तुम स्वर्णा से मिल पाओगे।"

बच्चों ने धन्यवाद दिया और आगे बढ़े। आखिरकार, जंगल के बीचों-बीच उन्हें एक सुंदर तालाब दिखा, जिसमें पानी स्वर्ण की तरह चमक रहा था। अर्जुन ने तालाब के किनारे जाकर धीरे से कहा, "स्वर्णा, हम तुम्हारी मदद चाहते हैं।"

तुरंत ही पानी में हलचल हुई और एक सुनहरी मछली सतह पर आई। वह स्वर्णा थी। स्वर्णा ने बच्चों की ओर देखा और कहा, "तुम्हारी साहसिक यात्रा और सच्चे दिल ने मुझे बुलाया है। मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूँ?"

अर्जुन ने कहा, "हम चाहते हैं कि हमारे गाँव के सभी बच्चे खुश रहें और उन्हें हमेशा प्यार और सुरक्षा मिले।"

स्वर्णा मुस्कुराई और अपनी जादुई शक्तियों से एक सुनहरी रोशनी फैलाई। उसने कहा, "तुम्हारे नेक इरादे और साहस को देखकर मैं तुम्हारी यह इच्छा पूरी कर रही हूँ। अब से तुम्हारे गाँव में हमेशा खुशी और समृद्धि रहेगी।"

बच्चों ने धन्यवाद दिया और स्वर्णा ने उन्हें विदा दी। वे खुशी-खुशी अपने गाँव लौटे और वहाँ की खुशहाली देखकर सभी लोग हैरान रह गए। अर्जुन, नीलू और पायल ने अपनी अद्भुत यात्रा और स्वर्णा की कहानी सभी को सुनाई।

और इस तरह, अर्जुन की निडरता और सच्चे दिल ने गाँव को हमेशा के लिए खुशहाल बना दिया। गाँव के सभी बच्चे अर्जुन की इस कहानी से प्रेरणा लेकर साहसी और नेक बनने का संकल्प लेने लगे।

और इस तरह, राणा थारू के बच्चों की परियों की यह कहानी सदियों तक सुनाई जाती रही।

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