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शपथ पत्र

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Prepared and edited by Naveen Singh Rana 

राणा थारू युवा जागृति समिति का अभिन्न अंग: निगरानी कमेटी

राणा थारू युवा जागृति समिति का अभिन्न अंग: निगरानी कमेटी  Written,edited and Submitted by Naveen Singh Rana  परिचय: राणा थारू युवा जागृति समिति की स्थापना करने से पूर्व इस बात का बारीकी से अध्ययन करना जरूरी था कि समिति कैसे मजबूत हो, इस हेतु कई समितियों के बायलॉज का गम्भीरता पूर्वक अध्यन किया गया, जिसमे कई ऐसे दस्तावेज भी थे जो बहुत अच्छा करने का प्रयास भी कर रहे थे। उन्हीं सभी दस्तावेज का अध्ययन कर समिति को मजबूती प्रदान करने हेतु निगरानी समिति की कल्पना कर उसे धरातल पर उतारने का प्रयास किया गया व वैधानिक रूप से उसे शसक्त बनाने हेतु असीम शक्ति प्रदान की गई। जिसे राणा थारू युवा जागृति समिति में रथयुजस निगरानी समिति के नाम से जाना जाता है। निगरानी समिति के सदस्य: प्रारम्भ में रथयुजस निगरानी समिति में सदस्यों की संख्या 8रखी गई थी जिसमे चार सदस्य स्थाई आजीवन व चार सदस्य अस्थाई रखे गए थे। लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए इसमें चार सदस्यों को और बढ़ा दिया गया व सभी पद स्थाई रूप से कर दिए गए। जिससे कुल सदस्यों की संख्या 12 हो गई। भविष्य में निगरानी समिति के सदस्यों को बढ़ाने पर कोई व...

कुछ भूली बिसरी यादें: संस्मरण खंड 1(नवीन सिंह राणा द्वारा लिखित)

नवीन सिंह राणा द्वारा लिखित संस्मरण  मेरे दादा जी की भूली बिसरी यादें  पूजनीय दादा जी भले ही आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन आज भी हमारी स्मृतियों में हैं जीवन में हैं और हमारे परिवार के सदस्यों के रग रग में बसे हैं। उनके द्वारा जो भी सीख हमें बचपन से मिली, आज तक और जीवन पर्यन्त हमारे जीवन में मार्गदर्शिका की तरह राह दिखाती रहेगी।     हमारे दादा जी का जन्म स्वतंत्रता से पूर्व लगभग 1930 के दशक में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिताजी गांव नोगवनाथ बिसाउटा पट्टी के पधान थे और गांव के सभी कामकाज उन्हीं के द्वारा देखे जाते थे। उनका नाम था श्री कड़े सिंह, बहुत ही कठोर मिजाज के थे लेकिन न्याय देखो तो साक्षात  न्याय के देवता। उस समय पधानो को गांव समाज में बहुत ही इज्जत दी जाती थी और उनके बहुत सारे अधिकार भी थे, वे ही गांव समाज की सुरकचा, देखभाल, भूमि के मुखिया हुआ करते थे।यदि कुछ ग़लत होता था तो उसका न्याय वे ही करते थे, यदि गांव में कोई नया परिवार आकर बसता था तो उसको रहने, खाने और जमीन की व्यवस्था पधन ही कराते थे और जब कोई परिवार किसी कारण से गांव छोड़कर जाता था तब उ...

ख्वाहिश नही मुझे....

     प्रिय पाठकों आज आप सभी के समक्ष कुछ ऐसी चंद लाइनें प्रस्तुत कर रहा हूं जो। मशहूर शख्स द्वारा रचित ऐसी पंक्तियां हैं जो इन्हे पढ़ता है वो उन्हीं में सराबोर सा प्रतीत होता है। हर किसी से जुड़ी हुई हैं ये पंक्तियां। धन्य हैं महामहिम प्रेम चंद जी  _ख्वाहिश नहीं मुझे_ _मशहूर होने की,         _आप मुझे पहचानते हो_         _बस इतना ही काफी है._ _अच्छे ने अच्छा और_ _बुरे ने बुरा जाना मुझे,_         _क्यों की जिसकी जितनी जरूरत थी_         _उसने उतना ही पहचाना मुझे._ _जिन्दगी का फलसफा भी_ _कितना अजीब है,_         _शामें कटती नहीं और_         _साल गुजरते चले जा रहें है._ _एक अजीब सी_ _दौड है ये जिन्दगी,_         _जीत जाओ तो कई_         _अपने पीछे छूट जाते हैं और_ _हार जाओ तो_ _अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं._ _बैठ जाता हूँ_ _मिट्टी पे अकसर,_         _क्योंकि मुझे अपनी_         _औकात...

अयोध्या में राम: संस्मरण श्रीमती पुष्पा राणा जी द्वारा लिखित

संस्मरण -अयोध्या में राम आजकल  अयोध्या में भगवान राम के निर्माणाधीन  भव्य एवं दिव्य मंदिर की चर्चा ही चारों ओर हो रही है । सभी ने अपनी तरफ से कविता ,कहानी ,लेख इत्यादि लिख करके अपने उद्गार व्यक्त किए हैं । कोई भगवान की सुंदरता की प्रशंसा कर रहा है तो कोई उनके दिव्य रूप की प्रशंसा कर रहा है तो कोई उनके भव्य मंदिर की प्रशंसा कर रहा है ।लोगों के मन में दिन प्रतिदिन उत्सुकता बढ़ती ही जा रही है ।हर किसी का बस एक ही सपना ,एक ही  अरमान है कि वह उसे दिव्य मंदिर और उसमें प्राण प्रतिष्ठित विराजमान राम लला की छवि को एक बार नजदीक से अपने नेत्रों से निहार सके और अपने मन में नैनाभिराम छवि को हमेशा हमेशा के लिए विराजमान कर सके। बरबस लेखनी चल गयी.. बड़ भाग हमारे हैं। लल्ला पुनः पधारें हैं। डगमग जब तोहरे डग डोलें। छुनक छुनक पैजनियां बोलें।। गरवा का हार हय हाले डोले। भेद जिया का तहुं नही खोले। धरनी पे पहलो पग धारे हैं..... मैंने भी उत्साह अतिरेक में भगवान के बाल स्वरूप का वर्णन करने का प्रयास किया।  दूसरी तरफ कभी उनको जगद्पति तो कभी अपना प्राणपति मानकर लिखा ...। आवेंगे घर मोरे राम पिय...