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अगस्त 18, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कहानी **"शिवा और जन्माष्टमी की झांकी"**

*"शिवा और जन्माष्टमी की झांकी"** कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर वर्ष राणा थारू समाज में धूमधाम से मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर, गाँव के सभी लोग सज-धज कर मंदिर में एकत्र होते हैं। राणा थारू समाज के लोग भगवान कृष्ण के प्रति गहरी आस्था रखते हैं और उनकी लीला को अपनी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। कहानी शुरू होती है गंगापुर गाँव में, जहाँ छोटे-से शिवा ने पहली बार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाने का जिम्मा उठाया। शिवा 12 साल का एक चतुर और साहसी लड़का था, जो हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करता था। उसकी दादी उसे कृष्ण की कहानियाँ सुनाया करती थीं, और वे कहानियाँ उसके मन में गहरे बैठ गई थीं। शिवा ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर पूरे गाँव में मटकी फोड़ने का आयोजन किया। मटकी फोड़ना कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक है। शिवा और उसके दोस्तों ने रंग-बिरंगे कपड़े पहने और सिर पर पगड़ी बांधकर तैयार हो गए। शिवा ने मंदिर के प्रांगण में एक सुंदर झांकी बनाई, जिसमें कृष्ण जी की बाल लीला, गोपियों के साथ रासलीला, और कंस का वध जैसी घटनाएँ दिख...

कहानी का शीर्षक: "विभाजन की लहर: राणा थारू समाज पर क्रीमेलियर का संकट"**

**कहानी का शीर्षक: "विभाजन की लहर: राणा थारू समाज पर क्रीमेलियर का संकट"** : नवीन सिंह राणा  (प्रस्तुत काल्पनिक कहानी में क्रीमेलियर के भविष्य में संभावित प्रभावों को देखते हुऐ वर्णित किया गया है और समाज को कुछ जागरूक करने का प्रयास किया गया है, जिसमे कहानी को रोचकता देने हेतु कुछ ऐसे विचार भी शामिल हो गए हैं जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नही है) राणा थारू समाज, जो उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में बसता है, एक बार फिर चुनौती के सामने था। सदियों से इस समाज ने अपने अद्वितीय संस्कृति, परंपराओं और एकजुटता को बनाए रखा था। यहाँ के लोग खेती, जंगल से उत्पाद एकत्रित करना और हस्तशिल्प के जरिए अपनी आजीविका चलाते थे। समाज में हमेशा समानता और भाईचारे का बोलबाला था। लेकिन एक दिन सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया जिसने पूरे समाज को चिंता में डाल दिया। कोर्ट ने क्रीमेलियर नामक एक विवादास्पद नीति को मंजूरी दे दी। इस नीति के तहत समाज के उन लोगों को आरक्षण और अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया जायेगा जिनकी आर्थिक स्थिति बेहतर मानी जायेगी। समाज में इस फैसले की गूँज सुनाई देने लगी। ...

संघठन मंत्री द्वारा किए जा सकने वाले संभावित गलत कार्य

संघठन मंत्री की जिम्मेदारियों में संगठन को सुव्यवस्थित और सुचारू रूप से चलाना शामिल होता है। लेकिन अगर वह अपनी भूमिका का दुरुपयोग करता है, तो कुछ संभावित गलत कार्य इस प्रकार हो सकते हैं: 1. **सत्ता का दुरुपयोग**: अपने पद का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए करना, जैसे कि अपने करीबी लोगों को पद देना।    2. **भ्रष्टाचार**: संगठन के संसाधनों का दुरुपयोग करके आर्थिक लाभ प्राप्त करना। 3. **जानकारी का दुरुपयोग**: गोपनीय जानकारी को गलत तरीके से इस्तेमाल करना या लीक करना। 4. **गुटबाजी**: संगठन में अपने समर्थकों का गुट बनाकर निर्णय लेने में पक्षपात करना। 5. **गैर-लोकतांत्रिक तरीके**: संगठन के फैसलों में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन न करना। 6. **सूचना दबाना**: संगठन के सदस्यों से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाना। 7. **नैतिक अनियमितताएँ**: नैतिकता और आचार संहिता का उल्लंघन करना। ये कुछ उदाहरण हैं कि एक संगठन मंत्री कैसे अपने पद का गलत उपयोग कर सकता है। इसलिए कभी कभी सभी सद्स्यों को इस पर नजर रखना जरूरी हो सकता है ।

कोन से संभावित गलत कार्य किसी समिति का अध्यक्ष कर सकता है?

कभी कभी किसी सामाजिक संगठन में अध्यक्ष द्वारा किए जा सकने वाले कुछ गलत कार्य निम्नलिखित हो सकते हैं: 1. **धन का दुरुपयोग**: संगठन के धन का अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोग करना। 2. **सत्ता का दुरुपयोग**: संगठन के सदस्यों पर अपने निजी हितों को थोपना या अपने पद का अनुचित लाभ उठाना। 3. **भ्रष्टाचार**: निर्णय प्रक्रिया में पक्षपात करना, रिश्वत लेना, या अनैतिक तरीकों से संगठन के संसाधनों का उपयोग करना। 4. **पारदर्शिता की कमी**: संगठन के कार्यों और वित्तीय मामलों में पारदर्शिता नहीं रखना, जिससे सदस्यों को सही जानकारी न मिल सके। 5. **सदस्यों की अनदेखी**: संगठन के अन्य सदस्यों के सुझावों, विचारों और आवाज़ को नजरअंदाज करना। 6. **गुप्त निर्णय लेना**: संगठन के महत्वपूर्ण फैसले बिना सलाह-मशविरा के गुप्त रूप से लेना। 7. **अवांछनीय गतिविधियों में शामिल होना**: संगठन के नाम का उपयोग अवैध या अनैतिक गतिविधियों के लिए करना। 8. **दुराचार या शोषण**: संगठन के सदस्यों या कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार, शोषण, या अनुचित व्यवहार करना। ऐसे कार्य संगठन की छवि और उद्देश्यों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और अध्यक्ष को ...

कैसे करें बिना अध्यक्ष के समिति का संचालन?

किसी संगठन को बिना अध्यक्ष के आगे बढ़ाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यदि अध्यक्ष पद को हटाने से संगठन में दिक्कतें कम होती हैं, तो इसे कुछ तरीकों से सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया जा सकता है: 1. **कोर टीम का गठन**: अध्यक्ष की जगह, एक कोर टीम बनाई जा सकती है जिसमें संगठन के महत्वपूर्ण कार्यों को संभालने के लिए विभिन्न लोगों को जिम्मेदारियां सौंपी जाएं। यह टीम सामूहिक रूप से निर्णय लेगी और संगठन के उद्देश्यों की ओर कार्य करेगी। 2. **स्वायत्तता और पारदर्शिता**: संगठन के सभी सदस्यों को अपने काम में स्वायत्तता दी जाए, ताकि वे अपनी भूमिका निभा सकें। साथ ही, पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सभी निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाएं और सभी सदस्यों को इसके बारे में जानकारी दी जाए। 3. **लोकतांत्रिक निर्णय प्रक्रिया**: निर्णय लेने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई जाए, जिसमें सभी सदस्यों की राय ली जाए और बहुमत से निर्णय लिया जाए। इससे किसी एक व्यक्ति पर निर्भरता कम होगी। 4. **लघु समिति**: संगठन के विभिन्न पहलुओं को संभालने के लिए अलग-अलग समितियों का गठन किया जाए, जो अपने कार्यक्षेत्र में स्वतंत्रता से काम करें। इ...

अनुभव आधारित प्रशिक्षण (Experience-Based Training) क्या है?**

**अनुभव आधारित प्रशिक्षण (Experience-Based Training) क्या है?** अनुभव आधारित प्रशिक्षण एक ऐसी विधि है जिसमें व्यक्ति को वास्तविक जीवन के अनुभवों से सीखने का अवसर दिया जाता है। इस प्रकार के प्रशिक्षण में व्यक्ति किसी कार्य को करके, समस्याओं का सामना करके, और उनके समाधान खोजकर सीखता है। यह प्रशिक्षण पुस्तकीय ज्ञान के बजाय वास्तविक जीवन की परिस्थितियों पर आधारित होता है। **मुख्य विशेषताएँ:** 1. **सीखने का सक्रिय तरीका:** इस प्रशिक्षण में व्यक्ति को खुद से कार्य करने और निर्णय लेने का मौका मिलता है। इससे वह सक्रिय रूप से सीखता है और ज्ञान को अपने अनुभवों के साथ जोड़ता है। 2. **समस्या-समाधान कौशल का विकास:** प्रशिक्षण के दौरान व्यक्ति को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे उसकी समस्या-समाधान की क्षमता में सुधार होता है। 3. **टीम वर्क और नेतृत्व का विकास:** अनुभव आधारित प्रशिक्षण में अक्सर समूह में काम किया जाता है, जिससे टीम वर्क और नेतृत्व के गुणों का विकास होता है। 4. **व्यावहारिक ज्ञान:** यह प्रशिक्षण व्यक्ति को वास्तविक परिस्थितियों में काम करने का अनुभव प्रदान करता है, जिससे...