संस्मरण: आदिवासी और वनवासी समाज के अदृश्य सूत्र**अजनबी कलम से
**संस्मरण: आदिवासी और वनवासी समाज के अदृश्य सूत्र** एक अजनबी कलम से जब मैं पहली बार एक घने जंगल के किनारे बसे एक छोटे से गाँव में पहुँचा, तो वहाँ की हवा में एक अलग ही सौंधापन महसूस हुआ। आदिवासी समाज से मेरा परिचय केवल किताबों और समाचारों के माध्यम से हुआ था, लेकिन उस दिन मुझे उनके जीवन का सजीव अनुभव हुआ। गाँव की एक बुजुर्ग महिला ने मेरे स्वागत में कहा, "आप तो शहर के आदमी हैं, लेकिन हमारे पास जंगल है—हमारी आत्मा है।" यह वाक्य मेरे मन में गहरे बैठ गया। यहीं से मेरा सफर शुरू हुआ—आदिवासी और वनवासी समाज को समझने का। उन लोगों के बीच कई दिन बिताने के बाद मैंने महसूस किया कि 'आदिवासी' और 'वनवासी' सिर्फ शब्द नहीं हैं, बल्कि यह समाज की पहचान का प्रतीक हैं। आदिवासी—जो सैकड़ों, बल्कि हजारों साल से इस भूमि के वास्तविक निवासी रहे हैं, और वनवासी—जो जंगल की गोद में बसे हुए, प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर जीवन जीते हैं। कई लोग आदिवासियों और वनवासियों के बीच फर्क को समझ नहीं पाते। मेरा भी यही हाल था। पर जब मैंने उनके बीच रहकर उनकी जीवनशैली देखी, तब यह स्पष्ट हुआ कि आदिवासी समा...