संगठन में नवीकरण और निरंतरता: राणा थारू समाज के भविष्य की दिशा~ एक चिंतन
**संगठन में नवीकरण और निरंतरता: राणा थारू समाज के भविष्य की दिशा~ एक चिंतन
*✍️राणा संस्कृति मंजूषा*
राणा थारू समाज की एक संगठनात्मक संरचना विगत कई वर्षों से समाज की सेवा कर रही है। इस लंबी यात्रा में संगठन ने कई कठिनाइयों का सामना किया और समाज के हित में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इस संगठन का नेतृत्व कुछ प्रमुख व्यक्तियों के हाथों में रहा है, जिन्होंने अपने अनुभव, समर्पण और कौशल से संगठन को यहां तक पहुँचाया है। परंतु, समय के साथ, यह देखा जा रहा है कि इन वरिष्ठ सदस्यों की उम्र अब 70 से 75 वर्ष के बीच हो चुकी है। यही लोग संगठन में लगातार पदों में फेरबदल कर रहे हैं, जिससे युवाओं को सीखने और नेतृत्व में शामिल होने का अवसर नहीं मिल रहा।
यह स्थिति किसी भी संगठन के लिए चिंता का विषय हो सकती है। ऐसे में यह सवाल उठता है: **इनके बाद संगठन का भविष्य क्या होगा?** क्या युवा पीढ़ी अनुभव की कमी के कारण संगठन को आगे ले जा पाएगी, या संगठन का अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा? इस लेख का उद्देश्य इसी सवाल का समाधान खोजने और संगठन में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए एक प्रेरणादायक विमर्श प्रस्तुत करना है।
### **वरिष्ठ सदस्यों का महत्व और अनुभव का आदान-प्रदान**
वरिष्ठ सदस्यों ने संगठन को जो दिशा दी है, वह अमूल्य है। उनका अनुभव, संघर्ष और निर्णय लेने की क्षमता संगठन के लिए एक विरासत के रूप में देखी जानी चाहिए। परंतु, यह अनुभव केवल उन्हीं तक सीमित रहने से संगठन का विकास रुक सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि यह अनुभव नई पीढ़ी तक पहुँचे ताकि संगठन निरंतर आगे बढ़ सके।
वरिष्ठ सदस्यों को चाहिए कि वे अपने अनुभव और ज्ञान को युवा सदस्यों के साथ साझा करें। उन्हें यह समझना होगा कि संगठन का भविष्य तभी सुरक्षित रहेगा जब युवा पीढ़ी को जिम्मेदारियों का एहसास होगा और वे अनुभव के साथ आगे बढ़ेंगे। **मेंटॉरशिप प्रोग्राम** या **अनौपचारिक प्रशिक्षण सत्रों** के माध्यम से युवा सदस्यों को अनुभव सिखाया जा सकता है।
### **युवाओं के लिए अवसरों का निर्माण**
किसी भी संगठन में बदलाव तब आता है जब नई सोच, नई ऊर्जा और नए नेतृत्व को मौका मिलता है। राणा थारू समाज के संगठन में भी यही बदलाव जरूरी है। युवाओं को नेतृत्व में शामिल करने के लिए पदों पर समय सीमा तय करनी चाहिए।
उदाहरण के लिए, **अध्यक्ष या सचिव जैसे पदों की अवधि 3 से 5 वर्ष तक सीमित** होनी चाहिए। इससे नए सदस्यों को भी नेतृत्व का अनुभव मिल सकेगा। साथ ही, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि **निर्वाचन प्रक्रिया पारदर्शी और नियमित** हो। इससे यह समस्या हल होगी कि केवल कुछ ही लोग संगठन पर अधिकार रखते हैं।
### **संयुक्त नेतृत्व: नए और पुराने का समन्वय**
संगठन में सिर्फ बदलाव लाना ही काफी नहीं है, बल्कि एक ऐसा मॉडल विकसित करना जरूरी है जिसमें नए और पुराने सदस्यों का समन्वय हो। संगठन को चाहिए कि वह **संयुक्त नेतृत्व मॉडल** अपनाए, जिसमें वरिष्ठ सदस्य सलाहकार के रूप में कार्य करें और युवा सदस्य जिम्मेदारीपूर्ण पदों पर रहें। इससे युवा पीढ़ी निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होगी, लेकिन वरिष्ठ सदस्य उनके मार्गदर्शक होंगे।
यह मॉडल संगठन को मजबूती देगा, क्योंकि इसमें अनुभव और नई सोच का संतुलन होगा। इसके साथ ही, **युवा नेतृत्व को भी चुनौतियों का सामना करना** सिखाया जाएगा, जिससे वे भविष्य में संगठन का प्रभावी ढंग से नेतृत्व कर सकें।
### **संगठन के दीर्घकालिक लक्ष्यों पर पुनर्विचार**
जब हम संगठन में नेतृत्व और जिम्मेदारियों की बात करते हैं, तो यह जरूरी है कि संगठन के **दीर्घकालिक लक्ष्यों** पर भी पुनर्विचार किया जाए। राणा थारू समाज के संगठन का प्राथमिक उद्देश्य समाज की उन्नति और सुधार करना है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, यह जरूरी है कि संगठन के भीतर **अलग-अलग कार्यबल** का गठन किया जाए, जहाँ अलग-अलग सदस्य अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार योगदान दे सकें।
उदाहरण के लिए, **शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार** जैसे क्षेत्रों में उप-समितियाँ बनाई जा सकती हैं, जिनका नेतृत्व युवा सदस्य करें और वरिष्ठ सदस्य मार्गदर्शन दें। इससे न केवल संगठन में युवा पीढ़ी की भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि समाज में भी इन क्षेत्रों में विकास होगा।
### **प्रेरणादायक परिवर्तन के लिए कदम**
राणा थारू समाज के संगठन में नवीकरण और नेतृत्व का बदलाव समय की मांग है। लेकिन यह बदलाव तभी संभव होगा जब पुराने और नए सदस्य एक साथ मिलकर इसे अपनाएं। यहाँ कुछ प्रमुख कदम दिए जा रहे हैं जिन्हें संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए उठाया जा सकता है:
1. **नेतृत्व की समय सीमा तय करना**: अध्यक्ष, सचिव जैसे पदों पर कार्यकाल की समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए ताकि नए लोग भी जिम्मेदारी उठा सकें।
2. **मेंटॉरशिप प्रोग्राम**: वरिष्ठ सदस्य युवा सदस्यों को मार्गदर्शन और अनुभव प्रदान करें।
3. **संयुक्त नेतृत्व मॉडल**: वरिष्ठ और युवा सदस्यों का मिलाजुला नेतृत्व संगठन को मजबूत बनाएगा।
4. **संगठनात्मक कार्यबल का गठन**: अलग-अलग उप-समितियों के माध्यम से युवाओं को जिम्मेदारी सौंपी जाए।
5. **विकासशील कार्यक्रमों पर ध्यान**: समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए नए कार्यक्रमों को लागू किया जाए जिनमें युवा पीढ़ी की भागीदारी हो।
### **निष्कर्ष**
राणा थारू समाज का संगठन पिछले कई वर्षों से समाज की सेवा कर रहा है, लेकिन अब इसे एक नई दिशा की आवश्यकता है। यह दिशा तभी मिलेगी जब संगठन में नेतृत्व का नवीकरण होगा और युवाओं को भी जिम्मेदारी दी जाएगी। पुराने और नए सदस्यों को मिलकर संगठन को मजबूत बनाने के लिए काम करना होगा। यह संगठन न केवल समाज के हित में है, बल्कि समाज की दिशा तय करने का महत्वपूर्ण माध्यम भी है।
**इसलिए, सबको मिलकर यह संकल्प लेना होगा कि संगठन में बदलाव लाकर इसे अधिक प्रभावी और भविष्य के लिए तैयार बनाएंगे।**