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मई 19, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सम्मान का पथ: एक प्रेरणा दायक कहानी

सम्मान का पथ: एक प्रेरणा दायक कहानी  : नवीन सिंह राणा की 🖋️ से       छोटे से गाँव के एक साधारण परिवार में जन्मा रवि, पढ़ाई में हमेशा से अव्वल था। उसके माता-पिता ने हमेशा उसकी पढ़ाई के प्रति उसके जुनून को प्रोत्साहित किया, भले ही उनके पास सीमित संसाधन थे। रवि ने अपनी मेहनत और लगन से इंटरमीडिएट परीक्षा में गाँव में प्रथम स्थान प्राप्त किया।       गाँव के स्कूल में हर साल मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए एक सम्मान समारोह आयोजित होता था, जिसमें उन्हें पुरस्कृत किया जाता था और आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। इस साल, रवि को भी इस समारोह में सम्मानित किया जाना था।       समारोह का दिन आया, और स्कूल में गाँव के सभी प्रमुख लोग, अध्यापक, और विद्यार्थियों के माता-पिता एकत्रित हुए। मंच पर जब रवि का नाम पुकारा गया, तो उसके माता-पिता की आँखों में गर्व और खुशी के आँसू थे। रवि ने मंच पर जाकर पुरस्कार और प्रमाणपत्र प्राप्त किया। उसे सम्मानित करने के लिए गाँव के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति, श्रीमान वर्मा जी, आए थे।     ...

एकता की शक्ति का रहस्य

### एकता की शक्ति का रहस्य  :नवीन सिंह राणा की कलम से  एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक सुंदर आम का बाग था। इस बाग में 12वृक्ष थे, जो अपनी मिठास और सुगंध के लिए प्रसिद्ध थे। गांव के लोगों ने इन पेड़ों की देखभाल के लिए एक 12 मालियों की टोली बनाई। शुरुआत में, सभी सदस्य मिल-जुल कर काम करते थे, जिससे बाग बहुत हरा-भरा और फलदायी हो गया। परन्तु धीरे-धीरे सदस्यों में आपसी बात नही बनने लगी ।कोई एक सदस्य कहता कि पानी कब देना चाहिए, तो दूसरा कहता कि खाद कब डालनी चाहिए। सभी सदस्य अपने-अपने तरीके से काम करना चाहते थे, जिससे बाग की देखभाल ठीक से नहीं हो पाई और पेड़ सूखने की कगार पर आ गए। एक दिन गांव के एक बुजुर्ग, जो अपने अनुभव और ज्ञान के लिए जाने जाते थे, उन्होंने इस समस्या को देखा और सभी सदस्यों को एकत्रित किया। उन्होंने एक छोटी सी कहानी सुनाई: "एक बार एक किसान के पास 10 मजबूत बैल थे। जब सभी बैल एक साथ मिलकर हल खींचते थे, तो खेत बहुत अच्छी तरह से जुतता था और फसलें भी बहुत अच्छी होती थीं। लेकिन कुछ दिनों बाद बैल अपनी अपनी मर्जी से काम करने लगे , बैल ताकत लगाता तो दूसरा ढीला पड़ जा...

"प्रतिभा का सम्मान: एक संगठन की कहानी"

Written and published by Naveen Singh Rana  "प्रतिभा का सम्मान: एक संगठन की कहानी" एक छोटे शहर में एक छोटा सा दुकानदार था जो अपनी दुकान में अकेला काम करता था। वह हमेशा अपने ग्राहकों के साथ मिलनसार और मित्रता से व्यवहार किया करता था। एक दिन, एक संगठन के मालिक ने उसे अपने ग्राहकों के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए अपना सलाह दिया। दुकानदार ने उसे सुना और उसका सुझाव माना, लेकिन उसने यह भी कहा कि उसका प्रमुख कर्मचारी भी अच्छा काम कर रहा है। मालिक ने उसे नए काम के लिए बुलाया और उसने बेहतरीन परिणाम प्राप्त किए। धीरे-धीरे, मालिक ने अपने दुकान में सभी कर्मचारियों की प्रतिभा को पहचाना और उनका उपयोग किया। उसने अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए उनके प्रतिभा का सही तरीके से उपयोग किया और अच्छे परिणाम प्राप्त किए। सभी कर्मचारियों की छिपी प्रतिभाओं का पूरा लाभ मिलने से उसका व्यवसाय तेजी से आगे बढ़ रहा था। इस कहानी से समझ मिलता है कि किसी भी संगठन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि उसके सभी कर्मचारियों की प्रतिभा का सम्मान किया जाए और उनका सही तरीके से उपयोग किया जाए। इससे संगठन को बेहतरीन परिणाम प्राप्...

मेरा परिचय मेरा इतिहास,:तीन भयावह जौहर और विस्थापन की व्यथा

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Published by Naveen Singh Rana  मेरा परिचय मेरा इतिहास (तीन भयावह जौहर और विस्थापन की व्यथा) श्रीमती पुष्पा राणा जी द्वारा रचित                     ______****_______              मैं वही हृदय में जिसके ।                  घनीभूत पीड़ा है ।।             सहस्त्र घाव है हल्दीघाटी के ।                  छलनी जिसका सीना है।।              कश्यप गोत्री सूर्यवंश है ।                  मां ने यही बताया था ।।              मनु शतरूपा ने मिलकर ।                    सृष्टि को पुनः रचाया था।।               दादा तेरे नृप दिलीप ने।         ...

*"नानकमत्ता डैम त्रासदी: विस्थापन और विनाश की कहानी"

**"नानकमत्ता डैम त्रासदी: विस्थापन और विनाश की कहानी"* * नवीन सिंह राणा की कल्पनाओ में एक वास्तविक घटना वर्णन      नानक मता डैम के निर्माण और उसके बाद  की घटना काफी हृदय विदारक और इतिहास में दर्ज किया जाने वाला है। नानकमत्ता डैम का निर्माण उत्तराखंड राज्य के उधम सिंह नगर जिले में किया गया था। यह डैम नदी पर बनाया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन था। लेकिन इसके निर्माण ने कई ग्रामीणों के जीवन को प्रभावित किया। ### डैम निर्माण और विस्थापन       डैम के निर्माण से पहले, इस क्षेत्र में राणा समाज के गांव बसे हुए थे। इन गांवों में लोग वर्षों से बसे हुए थे और उनकी पूरी जीवनशैली और संस्कृति वहीं की मिट्टी से जुड़ी हुई थी। लेकिन जब सरकार ने डैम बनाने का निर्णय लिया, तो इन ग्रामीणों को अपने घर, खेत, और संपत्ति छोड़कर दूसरी जगह जाने पर मजबूर होना पड़ा।          विस्थापन की प्रक्रिया बहुत कठिन और कष्टप्रद थी। कई लोग अपनी जीवनभर की संपत्ति और खेती-बाड़ी वहीं छोड़ आए। विस्थापित परिवारों को नए स्थान पर बसने में बहुत कठि...

""शिक्षा के बदलते स्वरूप और उसके मूल्य""

""शिक्षा के बदलते स्वरूप और उसके मूल्य"" नवीन सिंह राणा की कलम से         पाँच दशकों में हमारे राणा समाज के गाँवों में शिक्षा की स्थिति में व्यापक परिवर्तन आया है। एक समय था जब गाँव-गाँव में स्कूलों की कोई व्यवस्था नहीं थी। शिक्षा का केंद्र एक छोटा सा सरकारी स्कूल होता था जो पाँच से सात मील की दूरी पर स्थित होता था। उस समय कुछ ही पढ़े-लिखे लोग होते थे जिन्हें अक्षर ज्ञान था, और वही लोग अन्य ग्रामीणों को अक्षर ज्ञान देकर उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाते थे।        उन दिनों की बात करें तो लोग भले ही औपचारिक शिक्षा में कमज़ोर होते थे, लेकिन उनमें ज्ञान की कोई कमी नहीं थी। वे धार्मिक ग्रंथों को पढ़कर याद कर लेते थे, और उनसे प्रेरणा लेकर गीत, भजन, और दास्तानें बनाते थे। ये लोग अपने ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाते थे, और इसी के माध्यम से समाज को शिक्षित और प्रेरित करते थे।       इसके विपरीत, आज शिक्षा के क्षेत्र में हमने बहुत प्रगति की है। गाँव-गाँव में स्कूल स्थापित हो चुके हैं, उच्च शिक्षा के अवसर बढ़ गए हैं, और डिजिटल माध्यमों से शिक्षा का प्...

""जन्म भूमि की माटी ""कविता

**जन्म भूमि की माटी** नवीन सिंह राणा द्वारा रचित  जन्म भूमि की माटी,  वह सोंधी-सोंधी खुशबू। बचपन की वो यादें,  मन में अब भी हैं जीवंत हूबहू।। गाँव की वो गलियाँ,  खेले और बड़े यहीं, सपनों की दुनिया ,  सजती बसती थी वहीं।। सफलता के शिखर पर,  जब पहुँच जाते यदा, पुरानी बचपन की यादें,  दिल में बसी रही सदा।। वो बचपन के साथी,  मासूम हंसी के पल। मिट्टी के वो घर,  दिल में बसते हर पल।। भूले तो कैसे भूले, उस माटी का कर्ज, जीवन की नींव,  वहीं से होती अर्ज।। अपने आधार को, हमेशा रखना याद, उनके भले के लिए, करना हर एक प्रयास। गाँव की सुबहें,  और वो ढलती शाम। खेतों की हरियाली,  और बचपन के नाम।। उन रिश्तों की गर्माहट,  वो अपनेपन का भाव। जीवन के सफर में,  बना रहता प्रभाव।। चाहे जितनी सफलता,  जीवन में मिले। जन्म भूमि की सेवा,  जब तक प्राण दिल से करे।। अपने समाज के विकास में,  अपना योगदान देते रहे। उनके भले के लिए,  हर पल तत्पर रहे।। जन्म भूमि की माटी,   है जीवन का सार। उसकी सेवा करना, है हमारा कर्तव्य अपार।। ...

**जन्म भूमि की मिट्टी की महक: हमारे अस्तित्व की नींव**

**जन्म भूमि की मिट्टी की महक: हमारे अस्तित्व की नींव** नवीन सिंह राणा की 🖋️ से  हर व्यक्ति के जीवन की कहानी उसकी जन्म भूमि से शुरू होती है। गाँव की गलियों में खेलते हुए, मिट्टी के कच्चे घरों में रहने का अनुभव, और बचपन के उन मासूम पलों की स्मृतियाँ, हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं। जीवन की इस यात्रा में चाहे हम कितनी भी ऊंचाइयों को छू लें, अपने गांव, बचपन के लोग, और पुरानी स्थिति को कभी भूलना नहीं चाहिए। गांव की वो सुबहें, जब सूरज की पहली किरण हमारे आंगन को छूती थी, और गाँव के बुजुर्गों का आशीर्वाद, जो हमारी सफलता की नींव रखते थे। वो छोटे-छोटे पल, जब हम दोस्तों के साथ खेलते थे, या जब गांव के मेले में मस्ती करते थे, ये सारी यादें हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा हैं।  सफलता की ऊंचाइयों को छूने के बाद भी, हमें उन लोगों का शुक्रगुजार होना चाहिए, जिन्होंने हमारे जीवन की शुरुआत में हमारा साथ दिया। हमारे गांव के लोग, जो अपने छोटे-छोटे साधनों से भी हमारी मदद करते रहे, उनके भले के लिए कुछ न कुछ जरूर करना चाहिए। हमारे आधार, हमारे लोग, और हमारे गांव का विकास हमारी जिम्मेदारी है। गाँव का विकास ...

""पांचवे दशक के आस पास, कैसे थे हमारे गांव ""

दादा जी के साथ बिताए कुछ अमूल्य लम्हों से ली गई यादें "" नवीन सिंह राणा की कलम से  हमारे अति बुजुर्ग दादा जी बताते थे कि पाँचवे दशक में जब हमारा गाँव चारों तरफ से आम के बगीचे और घने जंगल से घिरा था, वह एक स्वर्ग जैसा लगता था। कच्चे रास्ते, जो गाँव के दिल तक पहुँचते थे, उन पर चलना मानो किसी सपने में चलने जैसा था। बरसात के मौसम में ये रास्ते कीचड़ से भर जाते, पर जब सूरज की किरणें उन पर पड़तीं, तो वे सोने जैसे चमकने लगते थे। आम के बगीचे, जो चारों ओर फैले थे, हर समय ताजगी और मिठास से भरे रहते थे। वसंत ऋतु में जब आम के पेड़ों पर बौर आते, तो पूरा गाँव एक मीठी खुशबू में डूब जाता था। आम की डालियाँ लहलहातीं, और हर एक पेड़ मानो किसी कलाकार की कृति हो। गर्मियों में ये बगीचे जीवन से भर जाते, जब बच्चे और बड़े सभी पेड़ों से आम तोड़ने में व्यस्त रहते थे। पके हुए आमों की मिठास और उनके रस से भरे गूदे का स्वाद आज भी याद आता है। गाँव के लोग मुख्य रूप से गाय पालन से जीवन यापन करते थे। सुबह-सुबह जब सूरज की पहली किरणें धरती को छूतीं, तब हर घर से गायों की घंटियों की मधुर ध्वनि सुनाई देती थी। यह ध्व...

""काश मेरी लाडली तुम भी.......,""The sound of heart of a father for their daughter, forever' ""

""काश मेरी लाडली तुम भी.......,"" The sound of heart of Naveen Singh Rana  तुम्हारी मुस्कान में चमकता था सितारा, तुम्हारी आंखों में सपनों का था उजियारा। हर वर्ष हम मिलते रहे इस सम्मान के समारोह में, मेरे दिल को गर्व से भरने वाली, मेरी प्यारी बिटिया, तुम ही थी। पर इस बार, एक दर्द का बादल छा गया, तुम्हारे स्वास्थ्य ने हमें, अचानक से रुला गया। देख नहीं सकती, सुन नहीं सकती, बोल नहीं पाती अब तुम, मेरे दिल की धड़कन हो, फिर भी तुम्हारी हर धड़कन सुनता हूं मैं। तुम्हारे  साथ होने से भी कितना सूना है, मेरे लिए  तेरी हंसी के बिना ये संसार कितना रूखा है, मेरे लिए  कभी तुमने ही चमकाई थी ये शामें, आज तुम्हारे बिना बोले, दिल में है सिर्फ बिना खुशी कीहोती हैं बातें। मेरी लाडली, मेरी उम्मीदों की डोरी हो तुम, तुम्हारी यादें बचपन की सजीव हैं, जैसे कोई पवित्र सी कहानी। मैं जानता हूं, ये वक्त है कठिनाई का भले हो, पर तुम्हारे साहस में है, एक नई रौशनी की परछाईं। तुम्हारी संघर्ष की गाथा, हम सबको सिखाएगी, कि हर अंधेरे के बाद, नई सुबह भी आएगी। कोई उत्सव हो या जीवन का सफर, तुम्हारी हिम्मत ने ...

राणा थारू युवा जागृति समिति की नई कार्य का रणी का गठन

नवीन सिंह राणा द्वारा संपादित  दिनाक 21 अप्रैल 2024 को समिति के संघठन मंत्री जी ने एक आकस्मिक बैठक का आयोजन कर सभी निगरानी कमेटी के सदस्यों को आमंत्रित किया और सर्व सम्मति से पुरानी वर्किंग कमेटी को भंग कर दिया गया जिससे पूर्व अध्यक्ष श्री राजवीर सिंह राणा जी ने अपना इस्तीफा समिति को सौंप दिया। मीटिंग में त्दोपरांत नए अध्यक्ष हेतु प्रस्ताव मांगे गए जिसमे विभिन्न सदस्यो ने अलग अलग नामों के प्रस्ताव दिए जिनमे विभिन्न नामों पर चर्चा करते हुए दिल्लु सिंह राणा जी के नाम की सम्मति हुई । उसके बाद निगरानी कमेटी सद्स्य ब अध्यक्ष महोदय ने चर्चा द्वारा कार्य का रणी का गठन किया गया। जिसमे विभिन्न पदों को निम्न प्रकार सहमति बनी। स्रंच्छक: कुलदीप सिंह राणा वा राजवीर सिंह राणा  अध्यक्ष :डील्लू सिंह  सचिव :मनोज सिंह राणा चारूबेटा  उपाध्यक्ष: पवन सिंह राणा  कोषाध्यक्ष :वास्तव सिंह राणा  उप कोषाध्यक्ष/ऑडिटर: सुरजीत सिंह राणा  प्रवक्ता :दुष्यंत सिंह राणा  संघठन मंत्री: मनोज सिंह राणा  सांस्कृतिक प्रमुख: दीपक सिंह राणा  संस्कृतिक सह प्रभार: घनस्याम सिंह राण...

राणा समाज और उनकी उच्च संस्कृति written by shrimati pushpa Rana

Published by Naveen Singh Rana  ""राणा समाज और उनकी उच्च संस्कृति  "" श्रीमती पुष्पा राणा जी की कलम से लिखित   1:राणा राजपूतों का तराई क्षेत्र में विस्थापन: मैं आज पुन: भाव विभोर हूं जब अपने पिता पर पितामह की जीवन शैली पर एक नजर डालकर उनका विश्लेषण करती हूं राणा समाज के जीवन शैली हर तरह से शाश्वत सनातनी जीवन मूल्य पर आधारित थी। संभवत: इन्ही सार्वभौमिक जीवन मूल्यों को आत्मसात करके उन्हें अपने जीवन का आधार बनाना ही एकमात्र महत्वपूर्ण कारक रहा होगा जो विषम परिस्थितियों में राजस्थान से एक ऐसे दुरुह स्थान पर विस्थापित होने को मजबूर हुआ हमारा राणा समाज, जहां कदम कदम पर प्रकृति जीवन के अस्तित्व को चुनौती देती प्रतीत होती थी ।यह जो तराई क्षेत्र है ,तब घने जंगलों से आच्छादित था और जौरा साल जैसे जंगल जहां सूर्य की रोशनी तक नहीं पहुंचती थी। लगातार वारिस से तर रहने के कारण ही इस क्षेत्र का नाम तराई पड़ा ।यहां की उष्ण नाम न् जलवायु कीटाणु, बिषाणु तथा जहरीले सांप बिच्छुओं को पनपने के लिए एकदम मुफीद थी। ऐसी विषैली जलवायु में संसाधन हीन विस्थापित लोगों का ,जीवन के लिए संघर्...

""बहु विकलांगता का जीवन, कितना कठिन और दुश्वार""

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"बहु विकलांगता का जीवन,  कितना कठिन और दुश्वार" Composed by Naveen Singh Rana  एक शरीर जिसमे बसी,  कितनी पीड़ाएँ अपार। बहु विकलांगता का जीवन,  कितना कठिन और दुश्वार।। चलने में अक्षम,  हिलने में बाधा अपार। हर कदम पर जैसे,  हो काँटों का भार।। आंखों में धुंधलापन,  सुनने में असीम दर्द। दुनिया की आवाजें,  लगती हों जैसे बेअर्थ।। हाथों में ताकत नहीं,  हो पैरों में जान नहीं। जीवन की हर चाहत,  हो जैसे बेजान कहीं।। दिल में उमड़ती भावनाएँ,  पर अभिव्यक्त न हो पाए। मन में बसे हजारों सपने,  पर सब हकीकत से डर जाए।। दर्द का ये अथाह सागर,  अश्रु की बहती सहस्त्र धाराएं। अस्त्र से हृदय को चीर, मिटती मन से हजारोंआशाएं।। हर दिन की लड़ती लड़ाई,  खुद से और निरंतर जग से। जीने की चाह है हरपल, फिर भी न हटे मन और रग रग से।। सपनों में उमंगों भरी उड़ान,  पर जमीं पर बंधी बेड़ियाँ, आशा की रोशनी में,  बस दुखों की कंटीली झड़ियाँ।। पर हिम्मत न हारता कभी, मन का वो शूर वीर, लड़ता है जीवन छन छन  रखकर बिना किसी धीर।। प्रेम और सह...

""शिक्षा से ही होगा बदलाव ""by Naveen Singh Rana

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राणा समाज का शिक्षा से , ही होगा अब बदलाव।  खो सकता है अस्तित्व , यदि न माना यह सुझाव।।1।। ज्ञान की रोशनी से , जगमगाए हर एक चेहरा। शिक्षा ही है वो राह,  जो दिखाएगा एक नया सवेरा।।2।। अनपढ़ता के अंधकार में , कहीं खो न जाएं हम। शिक्षा के दीप जलाकर, हर घर रोशनी फैलाएं हम।।3।। हर बच्चे को मिले अब, किताबों का पूरा सहारा। ज्ञान की इस गंगा में,  झूमे नित राणा समाज हमारा।।4।। सपने हों ऊँचे हर मन में, और हौसले हों मजबूत। शिक्षा से ही पंख लगें, सभी की उड़ानें हों दूर।।5।। सफलता की सीढ़ियों पर, हर बालक चढ़ते रहें निरंतर। शिक्षा का दीप जले , उजाले हों हर एक घर।।6।। सभी सफल जन अब, मिलकर करें ये निरंतर प्रयास। शिक्षा जागरुकता कर, ज्ञान का फैलाएं उजास।।7।। राणा समाज का हर कोना,  हर पल ज्ञान की बातों से गूंजे। राणा समाज का बच्चा बच्चा,  नित निरंतर पढ़ाई में ही झूमें।।8।। आओ हम सब मिलकर , अब एक नई शुरुआत करें। शिक्षा की ज्योति जला, अपने समाज के भविष्य संवारें।।9।। अज्ञानता का अंधकार मिटाएं,  ज्ञान का फैलाएं उजाला। राणा समाज का ...

"बिकती धरती मां की गोद"composed by Naveen Singh Rana

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Composed and Published by Naveen Singh Rana  बिकती धरती मां की गोद  धरती माँ की गोद से , बिछड़ते राणा किसान। बिक रही है उनकी ज़मीन,  बिछड़ रहे अरमान।।1।। खेतों में खिलती थी जहाँ,  हरियाली की कहानी। आज बिकते हैं वे हिस्से,  जैसे बिक रही जवानी।।2।। पसीने से सींची थी जो धरा,  दुखद वही बिक गई। किसान की मेहनत मानो , एक धुंधली याद बन गई।।3।। वो पेड़, वो पौधे,  वो लहलहाती फसल की बयार। सब छूट ते जा रहे ,रह गए बस सूने-से घर द्वार।।4।। गाँव की गलियों में अब , सुनाई सी देती है तन्हाई। धरोहर की इस बर्बादी ने अब ,हर आँख को है रुलाई।।5।। कहाँ गया वो अपनापन,  कहाँ अपनेपन की छाँव। अपनी धरती को बेचकर खो रहा,  सपनो सा अपना गाँव।।6।। हर बूंद पसीने की, हर कण  माटी का है पुकारता । धरती का दर्द, दिल में , एक टीस सी है मारता ।।7।। आओ मिलकर , फिर से उठाएँ ये सवाल। धरती माँ की रक्षा में,  हम सब करें कमाल।।8।। ना बेचो ये धरोहर,  ना छीनो धरती मां का हक। धरती माँ की सेवा में,  तत्पर हों सब सच्चे बेशक।।9।। ...

"मेधावी विद्यार्थियों के नाम एक पत्र"

प्रिय छात्र छात्राओं, सप्रेम नमस्ते! राणा थारू युवा जागृति समिति द्वारा अयोजित मेधावी छात्र छात्रा सम्मान समारोह में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। सबसे पहले, इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी को हमारी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाईयाँ। हमारा उद्देश्य केवल आपको सम्मानित करना ही नहीं है, बल्कि आपको एक प्रेरणादायक और सहयोगपूर्ण माहौल प्रदान करना भी है, जहाँ आप अपने सपनों को साकार कर सकें और अपने लक्ष्य की दिशा में निरंतर अग्रसर रहें। यह समारोह आपके उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन की प्रशंसा करता है और हमें यह विश्वास है कि आपके जैसे मेधावी छात्र हमारे समाज का भविष्य उज्जवल बनाएंगे। इस सम्मान समारोह की उपयोगिता आपके लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है: 1. **प्रेरणा का स्रोत**: इस समारोह के माध्यम से हम चाहते हैं कि आप अपने अंदर छुपी हुई संभावनाओं को पहचाने और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए और अधिक मेहनत करें। 2. **मान्यता और स्वीकृति**: यहाँ पर आपको आपके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाता है, जो आपको और अधिक आत्मविश्वास और उत्साह से भर देगा। 3. **सहयोग और मार्गदर्शन**: व्...

"letter to all Rana people's to support with body,mind and wealth in Meritorious Student Award Ceremony"by Naveen Singh Rana

राणा समाज के सभी सदस्यों, नमस्कार! मुझे यह पत्र लिखते हुए अत्यंत गर्व और खुशी हो रही है कि हमारा समाज एक नया और महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है। हम अपने मेधावी छात्र-छात्राओं का सम्मान करने और उनके उज्जवल भविष्य के निर्माण में सहयोग करने के लिए एक विशेष "मेधावी छात्र-छात्रा सम्मान समारोह" और "कैरियर काउंसलिंग" सत्र का आयोजन करने जा रहे हैं। यह कार्यक्रम केवल एक सम्मान समारोह नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के युवाओं के भविष्य को दिशा देने का एक सार्थक प्रयास है। हमारे बच्चे हमारे समाज की धरोहर हैं, और उन्हें सही मार्गदर्शन देना हमारी जिम्मेदारी है। इस आयोजन के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं, जिनसे हमारे समाज का प्रत्येक परिवार लाभान्वित होगा। 1. **प्रेरणा और प्रोत्साहन:**    सम्मान समारोह के माध्यम से मेधावी छात्रों को सम्मानित करना उनके आत्मविश्वास और उत्साह को बढ़ाएगा। जब हमारे बच्चे देखेंगे कि उनके परिश्रम और मेहनत को सराहा जा रहा है, तो वे और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित होंगे। 2. **सकारात्मक प्रतिस्पर्धा:**    इस प्रकार के आयोजन से बच्चों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का माहौल ...

"क्यों जरूरी है राणा समाज की परम्परा और संस्कृति की सुरक्षा "by Naveen Singh Rana

Written by Naveen Singh Rana  "राणा समाज की परम्परा और संस्कृति की सुरक्षा जरूरी क्यों " प्रिय पाठकों जैसा कि राणा समाज भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अपनी अद्वितीय परम्पराओं और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। राणा समाज की परम्परा और संस्कृति की सुरक्षा क्यों जरूरी है, इसे विस्तार से समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा की जा सकती है: 1. ** सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा:** राणा समाज की परम्पराएं और संस्कृति उसकी पहचान का आधार हैं। इन परम्पराओं को सुरक्षित रखना समाज की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। यह उनकी ऐतिहासिक और सामाजिक जड़ों को मजबूत करता है और उन्हें अपनी विशिष्टता को संरक्षित करने में मदद करता है। 2. ** ऐतिहासिक धरोहर:** राणा समाज की संस्कृति और परम्पराएं उनके ऐतिहासिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह समाज अपनी बहादुरी, शौर्य और बलिदान की गाथाओं के लिए प्रसिद्ध है। इन कहानियों और परम्पराओं को संजो कर रखने से आने वाली पीढ़ियाँ अपने इतिहास और पूर्वजों के गौरव को समझ सकेंगी। 3. ** सामाजिक एकता:** परम्पराएं और संस्कृति समाज को एकजुट रखने...

"8 ways to develop our Rana villages"

राणा थारू युवा जागृति समिति हमारे समाज के विकास हेतू तत्पर है जिसमे अधिकतर आबादी गांव में बसी हुई है और रोजगार की तालाश में हम शहर की ओर निरंतर पलायन कर रहे हैं लेकिन गांव से हमारा जुड़ाव है इसलिए हमारे गांव का विकास ही हमारा असली विकास है। हमारे अपने गांवों का विकास बहुआयामी दृष्टिकोण से किया जा सकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, और सामाजिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। यहां कुछ प्रमुख कदम दिए गए हैं जो हमारे गांवों के विकास में सहायक हो सकते है। ### 1. ** बुनियादी ढांचे का विकास:**    - *बेहतर सड़कें और परिवहन सुविधाओं से गाँवों को शहरों से जोड़ा जा सकता है, जिससे व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।    -हर गाँव में 24/7 बिजली और स्वच्छ पेयजल की सुविधा सुनिश्चित करना आवश्यक है।    - इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क का विस्तार गांवों में डिजिटल शिक्षा और ई-गवर्नेंस के माध्यम से विकास को प्रोत्साहित कर सकता है। ### 2. ** शिक्षा का सुधार: **    - **गुणवत्तापूर्ण शिक्षा:** गाँवों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लि...

धरती है अनमोल by Naveen Singh Rana

धरती है अनमोल, ये सत्य कभी न भूलें, आँचल में बसीं हैं खुशियां, आओ मिल झूले।। हरी-भरी ये धरती, देती हमें है जीवन, इसके बिना न हो पाए, सपनों का सृजन।। नदियों की कल-कल, पर्वतों की ऊँचाई, धरती माँ की ममता, हमें देती है परछाई।। इसकी मिट्टी में छुपी, अनगिनत कहानियाँ, फसलों की लहराती, सोने सी बलियाएं।। वृक्षों की छाया में, सुकून की धारा बहती, धरती के आँगन में, हर दिशा में रौशनी रहती।। पर हमने ही इसे, दर्द दिया बेहिसाब, पेड़ों को काटा, जल वायु को किया खराब।। अब भी समय है, चेत जाएँ हम सब, धरती माँ को बचाएँ, हो जाएँ नेक सब।। आओ मिलकर करें, खुद से एक वादा अटल, धरती को बचाएँगे, रखे इसे पावन और निर्मल।। इसकी हरियाली से ,इसकी मिठास बनाएँ, धरती है अनमोल, इसे हम सहेज कर रख पाएँ।। प्रकृति की गोद में, जीवन का ये उत्सव मनाएं  धरती की खुशबू में," नवीन "जीवन फैलाए।।

"सच्ची लगन से मेहनत ही किस्मत" एक कहानी

एक छोटे से गाँव में रमेश नाम का एक आदमी रहता था। रमेश बेहद गरीब था, पर दिल से बहुत अमीर था। वह दिन-रात मेहनत करता, लोगों के खेतों में काम करता, और जो कुछ भी कमाता था, उससे अपनी बीमार माँ का इलाज और अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाता। रमेश की सबसे बड़ी खासियत थी उसकी ईमानदारी और दयालुता। गाँव में जब भी कोई मुसीबत आती, रमेश सबसे पहले मदद के लिए आगे आता। एक बार गाँव में भयंकर बाढ़ आई। लोग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। रमेश ने देखा कि कई बुजुर्ग और बच्चे मदद के लिए पुकार रहे थे। उसने बिना समय गवाए, खुद की चिंता किए बिना, उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने में मदद की। बाढ़ के बाद, रमेश की झोपड़ी भी बर्बाद हो गई थी। उसके पास रहने को जगह नहीं बची। लेकिन गाँववालों ने उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया। उन्होंने मिलकर रमेश के लिए एक नई झोपड़ी बनाई और उसके परिवार को जरूरी सामान मुहैया कराया। रमेश की मेहनत और उसकी ईमानदारी का असर था कि गाँव वाले उसके साथ खड़े थे। समय बीतता गया और रमेश की मेहनत और लगन से उसकी स्थिति धीरे-धीरे सुधरने लगी। उसने अपनी माँ का इलाज अच्छे अस्पताल में करवाया और अपने बच्चों को अ...

"समिति विस्तार के 5 बेहतरीन तरीके"

Written and published by Naveen Singh Rana  प्रिय पाठकों किसी भी समिति का भविष्य उससे जुड़ने वाले नए सदस्यों पर आधारित होता है जैसे जैसे समिति में नए सदस्यों का जुड़ाव होता है समिति विस्तार भी बढ़ता जाता है इसलिए नए सदस्यों को समिति में शामिल करने और उन्हें समिति के प्रति विश्वास और कार्य करने के लिए कुछ रणनीतियों का अनुसरण किया जाना आवश्यक है जो निम्न प्रकार है: 1. **स्वागत और परिचय**:    - नए सदस्यों को समिति का स्वागत करें और उन्हें समिति के महत्वपूर्ण सदस्यों के साथ परिचय कराएं।    - उन्हें समिति की मिशन, उद्देश्य और गतिविधियों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दें। 2. **संवाद और सहयोग**:    - नए सदस्यों के साथ नियमित संवाद और सहयोग करें।    - उनकी विचारों, सुझावों, और आवश्यकताओं को सुनें और उन्हें समिति के कार्य में सक्रिय रूप से शामिल करें। 3. **प्रशिक्षण और संभावनाओं का प्रदान**:    - नए सदस्यों को आवश्यक प्रशिक्षण और संभावनाएं प्रदान करें ताकि वे समिति के कार्य में सक्षम हो सकें।    - उन्हें कौशल विकसित करने और उनके प्र...

"आवश्यक दस्तावेज जो मंच संचालन हेतु होते हैं जरूरी "

Written and published by Naveen Singh Rana  प्रिय पाठकों मंच संचालन किसी भी समारोह का एक आवश्यक हिस्सा होता है इसलिए यह जरूरी है कि संचालन हेतु पहले आवश्यक सामग्री जमा कर ली जाय। अतः मेधावी छात्र-छात्राओं के सम्मान समारोह में मंच संचालन हेतु संचालक के पास निम्नलिखित विस्तार से दस्तावेज़ होने चाहिए: 1. **समारोह की संरचना**: समारोह का विस्तृत नक्शा या संरचना, जिसमें कार्यक्रम के विभिन्न अंशों की व्याख्या हो। 2. **समारोह कार्यक्रम**: उद्घाटन से समाप्ति तक का कार्यक्रम, साथ ही विशेष आकर्षण या संबंधित गतिविधियों का विवरण। सभी उपास्थित सद्स्योकी सूची, उपस्थित अथिति यो की सूची, दान दाताओं की सूची, 3. **मेधावी छात्र-छात्राओं की सूची**: सम्मान पाने वाले छात्र-छात्राओं की सूची और उनके प्राप्त उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण। 4. **अवार्ड या पुरस्कार**: प्रतिष्ठित पुरस्कारों या उपलब्धियों का स्पष्टीकरण, साथ ही जरूरत अनुसार पुरस्कार पत्रिकाओं की तैयारी। 5. **निर्देश और नोट्स**: संचालक के निर्देश और सामग्री की संग्रहीत नोट्स, जो उपस्थित लोगों को कार्यक्रम के बारे में जानकारी प्रदान करें। 6. **अनुम...

मेधावी छात्र छात्रा सम्मान समारोह हेतु आर्थिक सहयोग हेतु निवेदन फॉर्मेट by Naveen Singh Rana

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अथिति आमंत्रण पत्र फॉर्मेट by Naveen Singh Rana

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मेधावी छात्र छात्रा सम्मान समारोह हेतु आवश्यक सामग्री की चैक लिस्ट by Naveen Singh Rana

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मेधावी छात्र छात्रा सम्मान समारोह हेतु आवश्यक दस्ताव

"8 कारण त्यागो और खुश रहो"

Written and published by Naveen Singh Rana  मेरे प्यारे सम्मानित पाठकों हमारे समाज में अक्सर सुनने को मिलता है कि भाई भाई में बन नही रही है, जबकि भाई भाई का प्रेम सदियों से चला आ रहा है जिसके कई उदाहरण देखने को मिल जाते है , आखिर ऐसा क्यों होता है इस बारे में मैंने काफी चिंतन किया, क्योंकि कलह इंसान को कमज़ोर कर देता है जिससे समाज कमज़ोर होता है ,मैने यहां इस बारे मे कुछ बिंदुओ में प्रकाश डालने की कोशिश की है कि भूल बस कई बार हम गलती करते हैं और उसका हमे अहसास नही होता। यदि समय रहते इन बातो पर थोडा ध्यान दे दिया जाय तो अपना भाई भाई का प्रेम सदा बना रहे। भाई-भाई के बीच ईर्ष्या और जलन के विभिन्न कारण हो सकते हैं। यहाँ कुछ सामान्य कारण दिए गए हैं: 1. **माता-पिता का ध्यान और प्यार**: एक भाई को यह महसूस हो सकता है कि माता-पिता दूसरे भाई को अधिक ध्यान और प्यार दे रहे हैं, जिससे ईर्ष्या उत्पन्न होती है। 2. **प्रतिस्पर्धा**: शैक्षणिक, खेलकूद, या अन्य गतिविधियों में एक दूसरे से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश में भी ईर्ष्या हो सकती है। 3. **संसाधनों की उपलब्धता**: यदि एक भाई को अधिक संसाधन, जै...

शिक्षक हेतु अपने विद्यालय में अभिभावको के समक्ष भाषण

प्रिय विद्यार्थियों, अभिभावकों और सम्माननीय अतिथिगण, आज का यह दिन हमारे विद्यालय के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आज हम अपने मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। यह हमारे बच्चों की मेहनत, लगन और प्रतिबद्धता का उत्सव है।  मुझे गर्व है कि मैं उन छात्रों को देख रहा हूँ, जिन्होंने न केवल अपनी कक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, बल्कि अपने व्यवहार, अनुशासन और नैतिक मूल्यों से भी हमें गर्वित किया है। आप सभी ने कठिन परिश्रम और समर्पण से यह सिद्ध किया है कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। मैं विशेष रूप से उन माता-पिता का धन्यवाद करना चाहता हूँ, जिन्होंने अपने बच्चों को सही मार्गदर्शन और समर्थन दिया। आपका समर्पण और त्याग ही इन बच्चों की सफलता का आधार है। आपकी मेहनत और आपके सपनों ने ही इन बच्चों को यहाँ तक पहुँचाया है। प्रिय छात्रों, आज आप जो सम्मान प्राप्त कर रहे हैं, वह केवल एक शुरुआत है। यह आपकी यात्रा का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, लेकिन अभी भी आपको अपने जीवन में कई और ऊँचाइयाँ छूनी हैं। यह सम्मान आपको प्रेरित करे, और आप अपने भविष्य के सभी लक्ष्यों ...