*"नानकमत्ता डैम त्रासदी: विस्थापन और विनाश की कहानी"

**"नानकमत्ता डैम त्रासदी: विस्थापन और विनाश की कहानी"**
नवीन सिंह राणा की कल्पनाओ में एक वास्तविक घटना वर्णन 

    नानक मता डैम के निर्माण और उसके बाद  की घटना काफी हृदय विदारक और इतिहास में दर्ज किया जाने वाला है। नानकमत्ता डैम का निर्माण उत्तराखंड राज्य के उधम सिंह नगर जिले में किया गया था। यह डैम नदी पर बनाया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन था। लेकिन इसके निर्माण ने कई ग्रामीणों के जीवन को प्रभावित किया।

### डैम निर्माण और विस्थापन

      डैम के निर्माण से पहले, इस क्षेत्र में राणा समाज के गांव बसे हुए थे। इन गांवों में लोग वर्षों से बसे हुए थे और उनकी पूरी जीवनशैली और संस्कृति वहीं की मिट्टी से जुड़ी हुई थी। लेकिन जब सरकार ने डैम बनाने का निर्णय लिया, तो इन ग्रामीणों को अपने घर, खेत, और संपत्ति छोड़कर दूसरी जगह जाने पर मजबूर होना पड़ा। 

        विस्थापन की प्रक्रिया बहुत कठिन और कष्टप्रद थी। कई लोग अपनी जीवनभर की संपत्ति और खेती-बाड़ी वहीं छोड़ आए। विस्थापित परिवारों को नए स्थान पर बसने में बहुत कठिनाई हुई, क्योंकि नई जगह पर सुविधाओं का अभाव था और उन्हें अपनी आजीविका फिर से शुरू करने में बहुत संघर्ष करना पड़ा। 
     विस्थापन के दौरान, लोगों ने अपनी अनेक अमूल्य वस्तुएं और संपत्ति गांव में ही छोड़ दीं। विस्थापित स्थान के पास ही एक गुरुद्वारा का निर्माण हुआ है जो आज भी उस दुखद घटना की याद दिलाता है। 

### डैम टूटने की घटना

      डैम के निर्माण के कुछ वर्षों बाद, एक त्रासदी ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया। सन 1962 में  चौमाश के ऋतु में एक भयंकर बाढ़ के कारण डैम का एक हिस्सा टूट गया, जिससे नदी का पानी अचानक से बड़े वेग से बहने लगा। इस आपदा ने पूरे क्षेत्र में भारी तबाही मचाई। 

       जो लोग उस समय इस घटना के साक्षी थे, उनकी आंखों में उस विनाश का दृश्य आज भी ताजा है। पानी के तेज बहाव ने गांवों को अपनी चपेट में ले लिया, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और बहुत सारी संपत्ति नष्ट हो गई। खेत, घर, और जानवर सब कुछ पानी में बह गए। 

     लोगों ने अपनी आंखों के सामने अपने प्रियजनों और घरों को बर्बाद होते देखा, जो उनके लिए असहनीय पीड़ा का कारण बना। बचाव कार्य भी तुरंत शुरू नहीं हो सका, जिससे नुकसान और भी बढ़ गया।

### पीड़ा और पुनर्निर्माण

इस घटना ने प्रभावित लोगों के ह्रदय में गहरा दर्द छोड़ दिया। जिन्होंने अपने घर, संपत्ति, और प्रियजनों को खो दिया था, उनके लिए यह एक अपूरणीय क्षति थी। कई लोग मानसिक और भावनात्मक रूप से टूट गए और उन्हें इस घटना से उबरने में वर्षों लग गए।

हालांकि सरकार और स्थानीय प्रशासन ने पुनर्निर्माण और राहत कार्य शुरू किए, लेकिन प्रभावित लोगों के लिए फिर से सामान्य जीवन में लौटना बहुत मुश्किल था। इस त्रासदी ने न केवल उनकी संपत्ति बल्कि उनके सपनों और आशाओं को भी तोड़ दिया था।

### निष्कर्ष

   नानकमत्ता डैम का निर्माण और उसके बाद की त्रासदी एक हृदय विदारक घटना है, जो आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। यह घटना विस्थापन और प्राकृतिक आपदाओं के समन्वय से उत्पन्न समस्याओं का एक जीवंत उदाहरण है। इसने यह साबित कर दिया कि विकास के नाम पर मानव जीवन और उनकी संपत्ति का बलिदान किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता।

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Dhanyvad 

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