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भारतीय नववर्ष -प्रकृति के संग .....

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भारतीय नववर्ष -प्रकृति के संग। नया कलेवर धारण करके।      आया चैत्र मास नव वर्ष है।। हर वृक्ष मंजरी से महके।      प्रकृति में चतुर्दश उत्कर्ष है ।। नयी कोपलें धारण करके।          पत्ता -पत्ता मुसकाया।।  डाली -डाली पुष्प खिले।         पेड़ फलों से लद आया।। आओ मिलकर मंगल गान करें।           हृदय से प्रकृति का मान करें।। निज संस्कृति का सम्मान करें।          गौरव पर अपने अभिमान करें।। शुभाशीष प्रकृति स्वयं सभी को देती है।       पलक झपकते झोली सबकी भर देती है।।  पल में ही मनुज को विस्मय से भर देती है।         असम्भव हर कार्य सहज में कर देती है।। मंगलमय हो वर्ष आपका।    कामना यही हृदय तल से।। मनोकामना पूर्ण हो सब।     दुआ यही अन्त: मन से।। जहां कहीं पग पड़े आपका।          यश- वैभव का अंबार मिले।। जीवन हो आलोकित सबका।        सबसे खुशियों का संसार...