राणा थारू समाज की गंगा स्नान (दशहरा स्नान) परंपरा: एक विचारणीय लेख
राणा थारू समाज की गंगा स्नान (दशहरा स्नान) परंपरा: एक विचारणीय लेख Published by Naveen Singh Rana भारत की विविध संस्कृति में हर समाज की अपनी अनूठी परंपराएं हैं, और राणा थारू समाज भी इससे अछूता नहीं है। उनकी दशहरा स्नान की परंपरा एक गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। गंगा नदी में स्नान करने की यह प्रथा, समाज के लोगों के लिए एक धार्मिक कर्तव्य और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा रही है। दशहरा के मौके पर, यह स्नान शुद्धिकरण और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है। कुछ दशकों पहले हमारे राणा थारू समाज में इस गंगा दशहरा स्नान को लेकर अलग ही उत्साह रहता था घर परिवार के सदस्य इस अवसर पर अपने घर पर अथवा शारदा नदी के तट पर सत्य नारायण की पूजा पाठ करा कर पुण्य प्राप्त करते थे, बड़ी संख्या में लोग, नदी के तटों पर स्नान कर इस त्योहार में रम जाते थे। चाहें झनकट गांव में परवीन नदी का तट हो या झनकैया में शारदा नदी का तट या टनकपुर में काली नदी का तट, इस गंगा स्नान के अवसर पर भारी संख्या में लोग इकट्ठे होकर कथा पाठ कराकर पुण्य को बांटते थे, जो अब लुप्त प्राय सा लग...