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जून 9, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राणा थारू समाज की गंगा स्नान (दशहरा स्नान) परंपरा: एक विचारणीय लेख

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राणा थारू समाज की गंगा स्नान (दशहरा स्नान) परंपरा: एक विचारणीय लेख Published by Naveen Singh Rana      भारत की विविध संस्कृति में हर समाज की अपनी अनूठी परंपराएं हैं, और राणा थारू समाज भी इससे अछूता नहीं है। उनकी दशहरा स्नान की परंपरा एक गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। गंगा नदी में स्नान करने की यह प्रथा, समाज के लोगों के लिए एक धार्मिक कर्तव्य और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा रही है। दशहरा के मौके पर, यह स्नान शुद्धिकरण और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है। कुछ दशकों पहले हमारे राणा थारू समाज में इस गंगा दशहरा स्नान को लेकर अलग ही उत्साह रहता था घर परिवार के सदस्य इस अवसर पर अपने घर पर अथवा शारदा नदी के तट पर सत्य नारायण की पूजा पाठ करा कर पुण्य प्राप्त करते थे, बड़ी संख्या में लोग, नदी के तटों पर स्नान कर इस त्योहार में रम जाते थे। चाहें झनकट गांव में परवीन नदी का तट हो या झनकैया में शारदा नदी का तट या टनकपुर में काली नदी का तट, इस गंगा स्नान के अवसर पर भारी संख्या में लोग इकट्ठे होकर कथा पाठ कराकर पुण्य को बांटते थे, जो अब लुप्त प्राय सा लग...

✨🌟✨🌟✨🌟✨🌟✨🌟✨🌟🌟✨✨राणा थारू समाज और पिता दिवस: एक संपादकीय✨🥀✨🥀✨🌟✨✨✨🥀✨🥀🌟🥀✨✨🌟✨✨🥀✨✨🥀✨🥀✨✨🌟✨

राणा थारू समाज और पिता दिवस: एक संपादकीय Published by Naveen Singh Rana  🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷  संपादकीय  🪔"राणा संस्कृति मंजूषा "🪔 🥀🥀राणा समाज की एकमात्र बेहतरीन ऑनलाइन पत्रिका 🥀🥀 ✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨🥀 कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता, कभी धरती तो कभी आसमान है पिता जन्म दिया है अगर मां ने जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता,  कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता, कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता, मां अगर मैरों पे चलना सिखाती है, तो पैरों पे खड़ा होना सिखाते हैं पापा ✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀  पिता दिवस एक ऐसा अवसर है व हर वर्ष जून माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है,जो हमें अपने जीवन में पिता की महत्वपूर्ण भूमिका का स्मरण कराता है। यह दिन पिता के प्रति सम्मान, प्रेम और आभार व्यक्त करने का सुअवसर है। राणा थारू समाज, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक मूल्यों के लिए जाना जाता है, पिता दिवस को अपने अद्वितीय ढंग से मनाना चाहिए है। यह हमारा समाज अपने परंपराओं में पिता के मान-सम्मान, देखभाल, संस्कार और शिक्षा के ...

राणा समाज और विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस: हमारे बुजुर्गों के सम्मान और संरक्षण की आवश्यकता

**राणा समाज और विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस: हमारे बुजुर्गों के सम्मान और संरक्षण की आवश्यकता** Published by Naveen Singh Rana   संपादकीय  ,""राणा संस्कृति मंजूषा "" हमारे समाज की नींव और संस्कृति की धरोहर, हमारे बुजुर्ग, आज एक नई चुनौती का सामना कर रहे हैं। 15 जून को मनाया जाने वाला "विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस" हमें इस गंभीर समस्या की याद दिलाता है और हमें आत्ममंथन करने का अवसर प्रदान करता है। राणा समाज, जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है, आज एक जिम्मेदारी के मोड़ पर खड़ा है।  हमारे बुजुर्ग, जिन्होंने अपने ज्ञान, अनुभव और बलिदान से हमारे समाज को समृद्ध किया है, वे अब संरक्षण और सम्मान के हकदार हैं। यह अत्यंत दुखद है कि आज कई बुजुर्गों को दुर्व्यवहार, उपेक्षा और अकेलेपन का सामना करना पड़ता है। यह केवल एक सामाजिक समस्या नहीं है, बल्कि यह हमारी नैतिकता और संस्कृति पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न है। और गहराई से देखा जाय तो कुछ और भी, जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता,, सिर्फ विचार किया जा सकता है। राणा समाज में, जहां परं...

नया सूरज

**नया सूरज** Published by Naveen Singh Rana  एक समय की बात है, एक हरा-भरा और सुंदर जंगल था, जिसमें एक विशाल बरगद का पेड़ खड़ा था। इस पेड़ पर अनेक पक्षी रहते थे और इसे अपना घर मानते थे। पक्षियों के इस परिवार में एक बुजुर्ग और बुद्धिमान हंस भी था, जिसे सभी आदरपूर्वक 'दादा' कहते थे। दादा हंस की दूरदर्शिता और अनुभव का सभी सम्मान करते थे। एक दिन दादा हंस ने देखा कि पेड़ के तने के पास एक छोटी सी बेल उग रही है। उसने तुरंत सभी पक्षियों को बुलाया और कहा, "देखो, इस बेल को नष्ट कर दो। यह एक दिन हम सबके लिए खतरा बन सकती है।" एक युवा हंस, जिसका नाम गोलू हंस था, हंसते हुए बोला, "दादा, यह छोटी सी बेल हमें कैसे नुकसान पहुंचा सकती है?" दादा हंस ने समझाया, "आज यह छोटी है, लेकिन धीरे-धीरे यह पेड़ को लपेटते हुए ऊपर चढ़ जाएगी और फिर यह पेड़ पर सीढ़ी बना देगी। इससे कोई भी शिकारी आसानी से पेड़ पर चढ़ सकता है और हमें पकड़ सकता है।" गोलू हंस ने दादा की बात ध्यान से सुनी और उसने तय किया कि इस समस्या का समाधान स्वयं करेगा। उसने सभी पक्षियों से सहयोग मांगा और मिलकर उस बेल को ...

🪔राणा थारू समाजस्य कृषिकार्यं संस्कृतिविधानम्🪔

🪔🪔 राणा थारू समाजस्य कृषिकार्यं संस्कृतिविधानम्🪔🪔 ("नवीनसिंहस्य राणा थारू समाजस्य संस्कृतये समर्पितम्") Published by Naveen Singh Rana        उत्तराखण्डराज्यस्य तराई भावर प्रदेशे राणा थारू समाजस्य ग्रामाणां यत्र हरितप्रदेशः सदा मनोहरः दृश्यते, तत्र कृषिकार्यं त्यौहारवत् उत्सवः भवति। कृषिकार्यम् आरभ्य, फसलस्य गृहम् आनयने पर्यन्तं सर्वं कार्यं संस्कृति: परम्परायाश्च अङ्गीभूतं दृश्यते। अस्याः समाजस्य कृषिव्यवस्थायां संस्कृति: प्रमुखं स्थानं धारयति। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺                🌹क्षेत्रसज्जीकरणम्🌹 कृषिकर्मणः प्रारम्भे क्षेत्रस्य सज्जीकरणं क्रियते। क्षेत्रस्य प्रथमः पञ्च जुतयः अनुष्ठीयन्ते यदा 'हरैतो' तथा 'पोया' नामक कृषकद्वारा देवतारूपेण बीजं क्षेत्रे अर्पयन्ति। क्षेत्रस्य सज्जीकरणे तथा बीजारोपणकाले विशेषः धार्मिकः अनुष्ठानः सम्पाद्यते। अस्मिन्कर्मणि क्षेत्रे बीजानां समर्पणं देवतारूपेण कृतं भवति यत् फसलस्य समृद्धये स्यात्। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺               ?...

हे भूमसेन देव बस इतना कर दीजीए : प्रार्थना :नवीन सिंह राणा

हे भूमसेन देव बस इतना कर दीजीए : विनय  :नवीन सिंह राणा  हे भूमसेन देवता आप हमारे गांव समाज के आराध्य हैं आप हमारे समाज पर इतनी कृपा कर दीजीए   हमारे राणा समाज में खुशी और समृद्धि हो। समाज शिक्षित हो, रोजगार और स्वरोजगार से परिपूर्ण हो। हमारी संस्कृति और परंपराएँ सदैव नए आयाम प्राप्त करें। समाज से सभी अवगुण समाप्त हो जाएँ, बच्चे संस्कारित, नैतिक, बलवान और ज्ञानवान बनें। वृद्धों का सम्मान सदैव बना रहे, माताओं और बहनों का आदर सतत बना रहे। हमारे खेत-खलिहान हरे-भरे और समृद्धशाली हों। खुशी का मूल शिक्षा का महत्व समझा जाता है। समाज में शिक्षा का प्रसार अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा के अभाव में न केवल व्यक्तिगत विकास बाधित होता है, बल्कि समाज की समृद्धि भी बाधित होती है। अतः हम सभी समाज में शिक्षा के प्रसार के लिए प्रयास करें। रोजगार और स्वरोजगार समाज की आर्थिक स्थिति का मूलाधार है। युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करें। वे नवोन्मेषपूर्ण योजनाएँ शुरू करके आत्मनिर्भर बनें। रोजगार केवल आर्थिक समृद्धि नहीं देता, बल्कि स्वाभिमान भी बढ़ाता है। संस्कृति और परंपराएँ समाज की आत्मा के स...

🌹🌹भूम्याः देवस्य वन्दना💥💥💥

🌸🌸🌸भूम्याः देवस्य वन्दना🌸🌸🌸 published by Naveen Singh Rana  🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀✨✨✨✨✨ जयः भूम्याः देवं नत्वा, करोषि ग्रामस्य रक्षणम्। राणा थारू ग्रामस्य, पालय त्वं सदा प्रभो॥१॥ 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀✨✨✨✨✨✨🥀🥀 ग्रामे वसतां जनानां, कुरु रक्षणम् उत्तमम्। सर्वेभ्यः सुखसमृद्धिं, निरोगतां च दापय॥२॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 निर्धनता शत्रुतां च, घृणां लोभं च नाशय। सर्वेषां हृदि स्थिता, भावनाः सन्तु निर्मलाः॥३॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 क्षेत्रे धान्यानि वर्धन्तां, फलान्युपवनेषु च। गोशालायां च पश्यन्तु, पशुधनस्य वर्धनम्॥४॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 निरंतरं विकासाय, कृषकाः कुर्वन्तु कर्म च। ग्रामस्य सर्वत्र सौख्यं, भवतु नित्यं हरिप्रियम्॥५॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 चप्पे चप्पे सुखं स्यात्, सौम्यतां सदा भावय। भूम्याः देवः कृपां कुरु, सदा भवतु मंगलम्॥६॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 ग्रामे ग्रामे हर्षं स्यात्, स्नेहं प्रेमं च सन्तु यत्। वैराणि नाशय त्वं, दया दाक्षिण्यं दापय॥७॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌹🌹🌹 अन्नं वस्त्रं च पर्याप्तं, सर्वेभ्यः सदा दापय। ग्रामस्य...

Problems of the Rana Tharu Community: Lack of Leadership

 Problems of the Rana Tharu Community: Lack of Leadership Published by Naveen Singh Rana  The Rana Tharu community, residing in the Terai-Bhabar region of northern India, is a society rich in unique cultural and historical heritage. Despite its abundant cultural heritage and historical significance, this community faces numerous challenges today. The primary reason for these challenges is the lack of good and selfless leadership. In this article, we will discuss the various problems that arise due to the lack of leadership and hinder the community from becoming organized and progressing. ### 1. Lack of Social Organization Social organization is essential for the progress of any community. Due to the lack of leadership in the Rana Tharu community, there is a lack of collective spirit and organization. The community lacks unity and organization, preventing its members from fighting for their rights and benefits. Proper leadership plays a crucial role in uniting the community mem...

🌷🌷🌷राणा समाजः - इतिहासः, वर्तमानः च भविष्यः🌷🌷

राणा समाजः - इतिहासः, वर्तमानः च भविष्य: 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 "नवीनसिंहेन राणेन रचितं च संपादितं च।( एतत् केवलं लेखकस्य प्रयत्नं अस्ति, विद्वान् च संस्कृतविषये न भवति) 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 🌟🌟 प्रस्तावना🌟🌟 राणा समाजः भारतदेशे प्रतिष्ठितः समाजः अस्ति।उत्तराखंडे तराईभावर क्षेत्रऐ राणा समाज: निवसति, अस्य समाजस्य इतिहासः गौरवपूर्णः, सांस्कृतिकः च अस्ति। राणा समाजे वीरता, शौर्यं, नेतृत्वं च सदैव प्रमुखं स्थानं प्राप्तं अस्ति। इदानीं वर्तमानसमाजे राणा समाजस्य भूमिका महत्वपूर्णा अस्ति, तथा भविष्ये अपि अस्य समाजस्य स्थिति उत्कर्षाय स्पृहणीयम् अस्ति। 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 ✨💥💥इतिहासः💥💥 राणा समाजस्य इतिहासः शौर्यपूर्णः अस्ति। अस्मिन्समाजे महानः योद्धारः, शासकाः च उत्पन्नाः। एते जनाः स्वधर्मे निष्ठाः, स्वदेशे प्रेमयुक्ताः, तथा स्वकर्मणि कटाक्षिणः आसन्। राणा प्रतापः, उदयसिंहः च प्रसिद्धयोद्धारः एतेषां मध्ये मुख्याः सन्ति। एते वीराः स्वराज्यस्य रक्षणार्थं पराक्रमं प्रदर्शितवन्तः। राणा प्रतापः विशेषतः मेवाड़ राज्यस्य रक्षायाः निमित्तं अद्वितीयं साह...

राणा समाजस्य सुखसमृद्धिः

राणा समाजस्य सुखसमृद्धिः अस्माकं राणा समाजस्य सुखं, समृद्धिः च भवेत्। समाजः शिक्षितः भवेत्, रोजगारस्वरोजगाराभ्यां च परिपूर्णः भवेत्। अस्माकं संस्कृति: परंपराश्च नित्यं नवीनान् आयामान् प्राप्नुयाताम्। समाजे सर्वेऽपि अवगुणाः नश्येयुः, बालकाः संस्कारिताः, नैतिकाः, बलवन्तः, ज्ञानवन्तः च भवन्तु। वृद्धानां सम्मानः सततं भवेत्, मातृभगिन्योः आदरः च सततं भवेत्। अस्माकं क्षेत्रखल्यानि हरीतलानि भवन्तु, समृद्धशालीनि च भवन्तु। सुखस्य मूलं शिक्षायाः महत्वं अवगम्यते। शिक्षायाः प्रसारः अस्माकं समाजे अत्यावश्यकः अस्ति। शिक्षायाः अभावे न केवलं वैयक्तिक विकासः बाध्यते, अपितु समाजस्य समृद्धिः अपि बाध्यते। अतः सर्वे समाजे शिक्षायाः प्रसाराय प्रयत्नं कुर्मः। रोजगारः च स्व रोजगारः समाजस्य आर्थिकस्थितेः मूलाधारः अस्ति। युवानः स्व रोजगाराय प्रेरिताः भवन्तु। तैः नवोन्मेषपूर्णाः योजनाः आरभ्य, आत्मनिर्भराः भवन्ति। रोजगारः केवलं आर्थिकसमृद्धिं न प्रददाति, अपितु स्वाभिमानं च वर्धयति। संस्कृतिः परंपराश्च समाजस्य आत्मा इव भवन्ति। अस्माकं प्राचीनसंस्कृतिः परंपराश्च नित्यं नवीनान् आयामान् प्राप्नुयाताम्। ताभिः अस्माकं ज...

दानदातृप्रायोजककर्मठसदस्यानां प्रति आभारप्रदर्शनंनवीनसिंह राणेन लिखितं सम्पादितं च

दानदातृप्रायोजककर्मठसदस्यानां प्रति आभारप्रदर्शनं नवीनसिंह राणेन लिखितं सम्पादितं च सर्वेषां दानदातॄणां, प्रायोजकानां, कर्मठसदस्यानां च प्रति हार्दिकं नमनं, आभारं च प्रकटयामः।  राणा थारू युवा जागृति समितिना आयोजितः मेधावी छात्र-छात्रा सम्मान समारोहः यथा सफलतया सम्पन्नः, तत् सर्वेषां अनुग्रहस्य, प्रयत्नस्य च फलमस्ति। अत्र निर्मलस्य प्रकृतेः सौन्दर्ये, हरितकाननस्य मध्ये, पावनम् आकाशम् अधः, पर्णानि पुष्पाणि च यत्र सदा सुशोभन्ते, तत्र अस्माकं हृदयानि अपि सन्तुष्टानि सन्ति।  दूरतः हि पर्वताः, निर्झराणां कलकलः, विहङ्गानां कूजनं च यथा मधुरम् अनुभूयते, तथैव भवद्भिः सहकार्यमाणस्य उत्सवस्य यशः श्रूयते।  एतस्य आयोजने सर्वे दानदातारः, प्रायोजकाः, कर्मठसदस्याः च आत्मनिष्ठया, परिश्रमेण च अतीव प्रशंसनीयाः। भवतां कृते अनेके धन्यवादाः।  यथा सरिताः समुद्रं प्रति वहन्ति, तथा अस्माकं सद्भावना, कृतज्ञता च भवतः प्रति अविरतं प्रवहतु। भविष्येऽपि अस्माकं समितेः कृते युष्माकं सहयोगः एवं स्नेहः अनवरतं प्रवर्तते इति प्रार्थयामः। धन्यवादाः। भवदीयः जयः सदा उज्ज्वलितः अस्तु।

Prayer to God to protect nature"Published by Naveen Singh Rana

Prayer to God to protect nature" Published by Naveen Singh Rana  Oh God, Bowing at your feet, I offer my all. Everything in this world is yours. You are the master of this entire universe, and we are all a part of you. I request you to give us wisdom, prudence and patience so that we can protect this earth. O Lord, please give such a mindset to all human beings living in this entire world that they understand the importance of this earth. Water, air and land, these three are the basis of our life. Our existence is possible only if these are protected. We should be aware of the importance of water resources, feel the need for purity of air and be able to appreciate the prosperity of this earth. Lord, give us the wisdom to take appropriate steps to protect our environment. The beauty of nature inspires us, we must protect it. Plant trees, conserve water, reduce air pollution and keep the land clean. Every element of nature, whether it is rivers, mountains, forests or animals, is pre...

राणा समाज और विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस: एक संकल्प 12जून

### राणा समाज और विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस: एक संकल्प Published by Naveen Singh Rana  12 जून को मनाया जाने वाला विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस, बाल श्रम के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि बच्चों का स्थान स्कूल में है, न कि कामकाजी जीवन में। राणा समाज, जो अपनी वीरता, परंपराओं और समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है, इस संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।  बाल श्रम की वास्तविकता बाल श्रम, जिसमें बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित करके कठिन और जोखिम भरे कार्यों में लगाया जाता है, आज भी विश्व के कई हिस्सों में एक गंभीर समस्या बनी हुई है। भारत में भी यह समस्या व्याप्त है, जहां गरीब और वंचित परिवारों के बच्चे अपने बचपन को खोते हुए मजदूरी करने पर मजबूर हैं। ये बच्चे अक्सर अत्यधिक खराब परिस्थितियों में काम करते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामान्य विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। राणा समाज का योगदान राणा समाज का एक समृद्ध इतिहास और संस्कृति है, जिसमें समाज सुधार और शिक्षा को हमेशा महत्व दिया गया है। राणा समाज की महान विभूतियों...

"प्रकृति की रक्षा के लिए प्रभु से प्रार्थना"

"प्रकृति की रक्षा के लिए प्रभु से प्रार्थना" Published by Naveen Singh Rana  हे प्रभु, आपके चरणों में नमन करते हुए, मैं अपना सर्वस्व अर्पण करता हूँ। इस लोक में जो भी है, वह सब आपका ही है। आप ही इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड के मालिक हैं, और हम सब आपके ही अंश हैं। आपसे विनती है कि आप हमें सद्बुद्धि, विवेक और धैर्य प्रदान करें ताकि हम इस धरती की रक्षा कर सकें। हे प्रभु, इस सम्पूर्ण विश्व में रहने वाले सभी मानव जीवों को ऐसी मानसिकता प्रदान करें कि वे इस धरती के महत्व को समझें। जल, वायु और भूमि, ये तीनों ही हमारे जीवन के आधार हैं। अगर ये सुरक्षित रहेंगे, तभी हमारा अस्तित्व संभव है। हमें जल संसाधनों की महत्ता का भान हो, वायु की शुद्धता की जरूरत महसूस हो और इस धरती की समृद्धि का मूल्यांकन कर सकें।  प्रभु, हमें यह ज्ञान दें कि हम अपने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाएं। प्रकृति का सौंदर्य हमें प्रेरित करता है, हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए। वृक्षों का रोपण करें, जल का संरक्षण करें, वायु प्रदूषण को कम करें और भूमि को स्वच्छ रखें।  प्रकृति का प्रत्येक तत्व, चाहे वह नदियाँ हों, पर्वत ह...

कीर्तिवान राणा के वंशज(श्रीमती पुष्पा राणा जी वरिष्ठ प्रबंधक केनरा बैंक लखनऊ जी की बेहतरीन रचना)

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कीर्तिवान राणा के वंशज : श्रीमती पुष्पा राणा जी की बेहतरीन रचना  Published by Naveen Singh Rana  काल का तू काल बन।  त्रिदेव महाकाल बन।। तू दृष्टा त्रिकाल बन। राह की मशाल बन।। तू ज्ञान के लिए मचल। कदम दर कदम चल।। मजबूत कर आत्मबल। छूने को आशमा निकल।। अभिमान कर तू वंश पर। "हूं "महाराणा के अंश पर।। क़दम एक बढा जिधर। मुड़ेगी राह भी उधर।। ध्वज फहरा जीत का। आगाज़ नयी रीत का। स्वयं तू कीर्तमान बन।। अनन्त शौर्यवान बन।। चन्द्र तू ही सूर्य तू। तू ही आसमान है।। प्रदीप्त श्रेष्ठ मेधा से । आलोकित जहान है।। स्वप्न अपने आप बुन। स्वयं अपनी राह चुन।। रहे दिल में एक धुन। जीत का संगीत सुन।। कल न आयेगा कभी। जो करना , कर अभी।। विजय मिलेगी तभी। करेंगें जयकार सभी।।

Drops of water - stream of nectar

Drops of water - stream of nectar Composed by Naveen Singh Rana (Poem based on current situation) From the heights of the Himalayas, The stream flowing with a gurgling sound. the rivers murmuring, Gives support to life every moment found. Today the world is changing, The outbreak of global warming is taking place. Will be hurt by melting glaciers Humanity will bear the wrath of nature  A selfish human being, So much energy has been generated, The earth is so hot now, The threat of climate change looms. Let's save the water of this earth, There should neither be excessive exploitation nor wastage. Precious drops of drinking water, Fill meaning in the greenery of life. Water is life, water is nectar, Every drop of it is precious, Come let's think, let's reflect, Understand the value of every drop of water.  The beauty of nature is unique, the gurgling of waterfalls, the flowing rivers, Life is hidden in every drop, Cherish it, this is your support for the future.  If water ...

जल की बूंदें - अमृत की धारा ( वर्तमान परिस्थिति पर आधारित कविता)

जल की बूंदें - अमृत की धारा :नवीन सिंह राणा  हिमालय की ऊंचाईयों से, झर-झर कर के बहती धारा। कल-कल करतीं नदियां  जीवन को देती प्रति पल सहारा।।1।। आज बदल रही दुनिया, हो रहा ग्लोबल वार्मिंग का प्रकोप। पिघलते ग्लेशियरों से होगी आहत  झेलेगी मानवता प्रकृति का कोप।।2।। स्वार्थ में लिप्त मानव ने, इतनी ऊर्जा को है बड़ाया, धरती की गर्मी इतनी बड़ी अब, जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडराया।।3।। आओ बचाएं इस धरा का जल, न हो अधिक दोहन, न हो व्यर्थ। पीने के जल की अनमोल बूंदें, जीवन की हरितिमा में भरें अर्थ।।4।। जल ही जीवन, जल ही अमृत, इसकी हर बूंद है अनमोल, आओ विचारें, मनन करें, समझे जल की बूंद बूंद का मोल ।।5।। प्रकृति का है सौंदर्य निराला , झरनों की कलकल , नदियों की धारा, हर बूंद में छुपा है जीवन, इसे संजोएं, यही भविष्य का सहारा।।6।। जल है तो, कल है, इस मंत्र को अपनाएं, हर बूंद को अमृत समझें, धरती को स्वर्ग बनाएं।।7।। आओ मिलकर करे प्रण,  प्रकृति के इस उपहार को संजोएं। जल की हर बूंद में बसा है अमृत, इसे बचाकर जीवन में खुशहाली लाएं।।8।। :नवीन सिंह राणा