जल की बूंदें - अमृत की धारा ( वर्तमान परिस्थिति पर आधारित कविता)

जल की बूंदें - अमृत की धारा
:नवीन सिंह राणा 




हिमालय की ऊंचाईयों से,
झर-झर कर के बहती धारा।
कल-कल करतीं नदियां 
जीवन को देती प्रति पल सहारा।।1।।

आज बदल रही दुनिया,
हो रहा ग्लोबल वार्मिंग का प्रकोप।
पिघलते ग्लेशियरों से होगी आहत 
झेलेगी मानवता प्रकृति का कोप।।2।।


स्वार्थ में लिप्त मानव ने,
इतनी ऊर्जा को है बड़ाया,
धरती की गर्मी इतनी बड़ी अब,
जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडराया।।3।।

आओ बचाएं इस धरा का जल,
न हो अधिक दोहन, न हो व्यर्थ।
पीने के जल की अनमोल बूंदें,
जीवन की हरितिमा में भरें अर्थ।।4।।

जल ही जीवन, जल ही अमृत,
इसकी हर बूंद है अनमोल,
आओ विचारें, मनन करें,
समझे जल की बूंद बूंद का मोल ।।5।।

प्रकृति का है सौंदर्य निराला ,
झरनों की कलकल , नदियों की धारा,
हर बूंद में छुपा है जीवन,
इसे संजोएं, यही भविष्य का सहारा।।6।।

जल है तो, कल है,
इस मंत्र को अपनाएं,
हर बूंद को अमृत समझें,
धरती को स्वर्ग बनाएं।।7।।

आओ मिलकर करे प्रण, 
प्रकृति के इस उपहार को संजोएं।
जल की हर बूंद में बसा है अमृत,
इसे बचाकर जीवन में खुशहाली लाएं।।8।।

:नवीन सिंह राणा 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*भावुक अपील –राणा थारू समाज के एक बच्चे की आंखों की रोशनी बचाइए* 🙏🖋️By Naveen Singh Rana #Rana Tharu #help #support #Rana Tharu yuva jagrti samiti #Rana Tharu parisad #

तराई की आत्मकथा और राणा थारू समाज

राणा थारु परिषद: एक गौरवशाली यात्रा