संदेश:राणा संस्कृति मंजूषा”एक सांस्कृतिक संवाद मंच
“राणा संस्कृति मंजूषा” एक सांस्कृतिक संवाद मंच 📜 राणा संस्कृति मंजूषा के सभी सम्मानित प्रिय पाठकों, सादर वंदन! आप सभी को हृदय की गहराइयों से नम्र अभिनंदन करता हूँ। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे आप सभी के स्नेह, समर्थन और संवाद का सतत आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। इस समूह में आपका सक्रिय जुड़ाव न केवल मुझे प्रेरित करता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना को भी जीवित और गतिशील बनाए रखता है। "राणा संस्कृति मंजूषा" केवल एक समूह नहीं, यह हमारे गौरवशाली अतीत, रीति-नीति, परंपराओं और पहचान का जीवंत मंच है। आप सभी का साथ इस प्रयास की आत्मा है। जब आप मेरी किसी रचना को पढ़ते हैं, सराहते हैं, सुझाव देते हैं—तो वह संवाद नहीं, बल्कि आत्मीय रिश्ते का प्रतीक बन जाता है। आज मैं आप सभी को एक समर्पित कविता के माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूँ: समर्पण राणा कुल के दीपक हो तुम, संस्कृति के हो प्रहरी, अपने स्नेहिल भावों से, सबको जोड़ने की हो डोरी। मंजूषा की हर बात में, बसता है आप सभी का नाम, तुम न होते तो अधूरा रहता , यह स्वर्णिम काम। आपके इसी विश्वास और प्रेम से मैं निरंतर प्रयासरत हूँ कि समाज के इतिहा...