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संदेश:राणा संस्कृति मंजूषा”एक सांस्कृतिक संवाद मंच

“राणा संस्कृति मंजूषा” एक सांस्कृतिक संवाद मंच 📜  राणा संस्कृति मंजूषा के सभी सम्मानित प्रिय पाठकों, सादर वंदन! आप सभी को हृदय की गहराइयों से नम्र अभिनंदन करता हूँ। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे आप सभी के स्नेह, समर्थन और संवाद का सतत आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। इस समूह में आपका सक्रिय जुड़ाव न केवल मुझे प्रेरित करता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना को भी जीवित और गतिशील बनाए रखता है। "राणा संस्कृति मंजूषा" केवल एक समूह नहीं, यह हमारे गौरवशाली अतीत, रीति-नीति, परंपराओं और पहचान का जीवंत मंच है। आप सभी का साथ इस प्रयास की आत्मा है। जब आप मेरी किसी रचना को पढ़ते हैं, सराहते हैं, सुझाव देते हैं—तो वह संवाद नहीं, बल्कि आत्मीय रिश्ते का प्रतीक बन जाता है। आज मैं आप सभी को एक समर्पित कविता के माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूँ: समर्पण राणा कुल के दीपक हो तुम, संस्कृति के हो प्रहरी,  अपने स्नेहिल भावों से, सबको जोड़ने की हो डोरी। मंजूषा की हर बात में, बसता है आप सभी का नाम, तुम न होते तो अधूरा रहता , यह स्वर्णिम काम। आपके इसी विश्वास और प्रेम से मैं निरंतर प्रयासरत हूँ कि समाज के इतिहा...

कविता : अट्टहास कर रहा है इतिहास, राणाओं के स्वाभिमान पर" — नवीन सिंह राणा द्वारा रचित

उपरोक्त कविता "अट्टहास कर रहा है इतिहास, राणाओं के स्वाभिमान पर" — नवीन सिंह राणा द्वारा रचित है। यह रचना अत्यंत प्रभावशाली ढंग से राणा वीरों की गौरवगाथा, त्याग, बलिदान और स्वाभिमान को प्रस्तुत करती है। नीचे इस कविता का विश्लेषण प्रस्तुत है: 🔷 मुख्य विषयवस्तु और सारांश: यह कविता अतीत की उन स्वाभिमानी राणा विभूतियों को समर्पित है जिनके शौर्य, बलिदान और देशभक्ति की गाथाएं इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। यह रचना नवयुवकों को जागरूक करने और प्रेरित करने का कार्य भी करती है कि वे अपने पूर्वजों की विरासत को समझें, अपनाएं और उसका सम्मान करें। 🔶 प्रमुख बिंदुओं का विश्लेषण: 1. इतिहास का अट्टहास और गर्व: > "अट्टहास कर रहा है इतिहास, राणाओं के स्वाभिमान पर..." इतिहास स्वयं उन स्वाभिमानियों पर गर्व करता है, और दुनिया उनके बलिदानों को सम्मान की दृष्टि से देखती है। यह पंक्ति राणाओं के योगदान को सार्वकालिक और वैश्विक गौरव में परिवर्तित करती है। 2. वीरता और शौर्य का चित्रण: > "गाथा वीथ धैर्य मस्तक, गाथा वीर राणाओं की..." कवि ने यह बताने का प्रयास किया है कि...