📚 राणा थारू लोक साहित्य में लोकगीत 🖋️ नवीन सिंह राणा
📚 राणा थारू लोक साहित्य में लोकगीत 🖋️ नवीन सिंह राणा 1. राणा थारू लोक साहित्य की विशेषता पुरातन समय से राणा थारू समाज का लोक साहित्य मुख्यतः मौखिक परंपरा पर आधारित है। जिसमें गीत, कहावतें, दस्तान, चुटकले,कहानी आदि को शामिल किया गया है। राणा थारू लोक साहित्य में जीवन के विविध पक्षों जैसे जन्म, विवाह, मृत्यु, खेती, ऋतु, पर्व, भक्ति, प्रेम, संघर्ष आदि को लोकगीतों के माध्यम से व्यक्त किया गया है। राणा थारू समाज में लोक साहित्य के अन्तर्गत लोक गीतों में लोक-मन की संवेदना, सामाजिक संरचना और संस्कृति का जीवंत दस्तावेज है। 📌 उदाहरण: "होली गीत", "हन्ना गीत", "नाच गीत"सावन के झूला गीत,। 2. लोकगीतों की प्रमुख श्रेणियाँ (क) संस्कार गीत राणा थारू समाज में मानव जीवन के विभिन्न संस्कारों जैसे जन्म, नामकरण, मुंडन, विवाह, मृत्यु आदि के अवसरों में विभिन्न तरह के गीत हर्ष व विषाद को व्यक्त करते हुए गाए जाते हैं। 📌 उदाहरण: " (जन्म पर, सटी गीत) " (विवाह में विदाई पर, बारात गीत) “(मृत्यु बाद रोटी पर विषाद गीत) (ख) ऋतुगीत राणा थारू समाज सांस्कृतिक रूप से सम्पन्न...