राणा थारु परिषद: एक गौरवशाली यात्रा :✍️नवीन सिंह राणा (विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह लेख लिखने का प्रयास किया है यदि भूल बस अथवा जानकारी के अभाव में किसी प्रकार की गलती हुई हो तो आशा है उसे सुधार करने में सहयोग प्रदान करेंगे।) प्रारंभिक बीज – समाज की उन्नति का संकल्प राणा थारु समाज, प्रकृति के बीच बसा, पहाड़ों, नदियों, और घने जंगलों से घिरा हुआ, सादगी और शौर्य का प्रतीक है। इस समाज की जड़ें भारतीय सभ्यता के इतिहास में गहराई से धंसी हुई हैं। सदियों से राणा थारु लोग अपने रीति-रिवाजों, परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए हैं। इस अद्वितीय समाज के उत्थान और विकास की यात्रा की शुरुआत वर्ष 1960 में हुई, जब एक स्वप्न देखा गया—अपने समाज के लोगों को शिक्षा, रोजगार और सम्मान दिलाने का। यह स्वप्न केवल एक व्यक्ति का नहीं था, बल्कि पूरे समाज की उम्मीदें उसमें जुड़ी थीं। इसी संकल्पना से जन्म हुआ *नोगवां ठग्गू विकास समिति* का, जो आगे चलकर "राणा थारु परिषद" के रूप में विख्यात हुआ। श्री ओमप्रकाश सिंह राणा, जो इस आंदोलन के मार्गदर्शक थे, ने राणा थारु समाज के विक...
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