संदेश

जून 16, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बरसात के मेहमान: एक प्रेरणादायक कहानी

बरसात के मेहमान: एक प्रेरणादायक कहानी Published by Naveen Singh Rana      बिलहरी के एक गांव के किनारे एक छोटा सा घर था, जिसमें रमेश सिंह राणा और उसकी पत्नी रमा देवी अपने बच्चों राजू और मीनू के साथ रहते थे। बरसात का मौसम आ चुका था और हर तरफ हरियाली फैल गई थी। बच्चे खूब मस्ती कर रहे थे, लेकिन एक रात कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे परिवार को चौंका दिया।    रात के समय जब सभी सो रहे थे, रमा देवी ने अचानक कुछ आवाजें सुनीं। उसने उठकर देखा तो पाया कि रसोई में एक बड़ा सा सांप रेंग रहा है। काला काला सा, फुफकार रहा था, रमादेवी ने तुरंत रमेश सिंह राणा को जगाया और बच्चों को सावधानी से उठाकर कमरे के एक कोने में बैठा दिया। रमेश सिंह ने बच्चों को समझाते हुए कहा, "डरो मत, हम इसे सही तरीके से संभालेंगे।" फिर उन्होंने यह उपाय अपनाया:  सबसे पहले, रमेश सिंह ने सभी को शांत रहने के लिए कहा। किसी भी जानवर को देख कर हड़बड़ाना नहीं चाहिए क्योंकि इससे जानवर और भी आक्रामक हो सकता है।  रमेश सिंह ने सभी को एक सुरक्षित कोने में बैठा दिया और बच्चों को कहा कि वे वहां से बिल्कुल भी न हिलें। : र...

बरसात की तैयारी: एक बाल कहानी

बरसात की तैयारी: एक बाल कहानी बरसात के हीरो Published by Naveen Singh Rana  कहानी:         रतन पुरा गाँव में रहने वाले नीलेश राणा और उसकी छोटी बहन साक्षी राणा हर साल बरसात का मौसम बड़े उत्साह से इंतजार करते थे। उन्हें बारिश में भीगना और कागज़ की नावें बनाकर बहते पानी में छोड़ना बहुत पसंद था। लेकिन इस बार, उनके पापा ने उन्हें एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी। "बच्चों, इस साल हमें बरसात से पहले कुछ जरूरी काम करने हैं," पापा ने कहा। "तुम्हें मेरी मदद करनी होगी ताकि हम सब सुरक्षित रहें।"     नीलेश और साक्षी ने खुशी-खुशी हामी भर दी। पापा ने उन्हें एक चेकलिस्ट दी और समझाया कि क्या-क्या करना है। घर की तैयारी पहला काम था छत और गटर की सफाई। नीलेश ने छत पर चढ़कर पत्ते और कचरा साफ किया। साक्षी ने नीचे खड़े होकर गटर से कचरा निकाला।  दूसरा काम था रिसाव की जांच। पापा ने बच्चों को दिखाया कि कैसे दीवारों और खिड़कियों में दरारों को देखकर पहचानना है। नीलेश और साक्षी ने मिलकर उन दरारों पर सीलेंट लगाया। आपातकालीन किट     अब बारी थी आपातकालीन किट तैयार करने की। स...

बरसात से पहले कुछ जरूरी काम जिन्हें निपटाना जरूरी हैं?

      बरसात से पहले कुछ जरूरी काम कौन से हैं? Published by Rana sanskrti manjusha      पाठकों जैसा कि मानसून आने को है और हम चाहते है इस बारिश से पहले आप अपने कुछ जरूरी काम निपटा लें जिसके लिय पहले तैयारी हेतु एक चेकलिस्ट बनाना महत्वपूर्ण है ताकि आप और आपका परिवार सुरक्षित और तैयार रहे। यहां एक विस्तृत चेकलिस्ट दी गई है: घर की तैयारी 1. छत और गटर की सफाई    - छत पर जमा कचरा साफ करें।    - गटर और पाइपों की सफाई करें ताकि पानी का बहाव सही से हो सके। 2. रिसाव की जांच:    - छत, दीवारें, और खिड़कियों में रिसाव की जांच करें और आवश्यक मरम्मत करें। 3. सीलिंग:    - खिड़कियों और दरवाजों के चारों ओर सीलेंट लगाएं ताकि पानी अंदर न आए। 4. विद्युत सुरक्षा:    - इलेक्ट्रिक स्विच और उपकरणों को पानी से बचाने के लिए ऊंचाई पर रखें।    - किसी भी खराब या ढीले विद्युत तारों की मरम्मत कराएं। आपातकालीन किट 1. आपातकालीन लाइटिंग:    - टॉर्च और अतिरिक्त बैटरियों का संग्रह करें। 2. भोजन और पानी    - सूखा और...

विश्व वर्षावन दिवस और राणा थारू समाज: एक महत्वपूर्ण समन्वय संपादकीय राणा संस्कृति मंजूषा

विश्व वर्षावन दिवस और राणा थारू समाज: एक महत्वपूर्ण समन्वय संपादकीय  राणा संस्कृति मंजूषा  Published by Naveen Singh Rana       वर्षावनों का महत्व केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अद्वितीय है। हर साल 22 जून को विश्व वर्षावन दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इन अमूल्य वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण की दिशा में जागरूकता फैलाना है। इस संदर्भ में, हमारा राणा थारू समाज का योगदान और उनकी संस्कृति पर विचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।    राणा थारू समाज, जो भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित तराई क्षेत्र में निवास करता है, यह एक ऐसा समुदाय है जिसने वर्षो से वर्षावनों के साथ एक विशेष संबंध विकसित किया है। उनकी परंपराएँ और जीवनशैली वर्षावनों पर अत्यधिक निर्भर रही हैं क्योंकि इस समुदाय को प्रकृति पूजक माना जाता है, प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर सदियों से थारू समाज के लोग अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर करते हैं और पारंपरिक कृषि तथा वनोपज का उपयोग करते हुए अपने जीवनयापन करते रहे हैं।      विश्व वर...

डाकूओ का कहर अंधेरी काली रात की दास्तान(स्मृतियों की धूमिलपरतों में छिपी सच्ची घटना पर अधारित कहानी)

डाकूओ का कहर अंधेरी काली रात की दास्तान(स्मृतियों की धूमिलपरतों में छिपी सच्ची घटना पर अधारित कहानी) Written and published by Naveen Singh Rana       आज से लगभग 34-35 वर्ष पहले की बात है। खटीमा की सीमावर्ती जंगल से सटे गांव की एक अंधेरी काली रात। उस रात गांव की शांति अचानक टूट गई थी, जब डकैतों का एक दल गांव के कुछ परिवारों पर अचानक धावा बोल दिया। यह घटना गांववालों के लिए एक भयानक याद बन गई और एक चेतावनी भी कि समाज की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है।      उस रात आसमान पर काले बादल छाए हुए थे, और गांव में एक गहरा सन्नाटा था। लोग अपने-अपने घरों में सोए हुए थे। अचानक, गांव के कुछ परिवारों के घरों से चीख-पुकार की आवाजें आने लगीं। डकैतों ने दरवाजे तोड़ दिए, खिड़कियां फोड़ दीं और घरों में घुस गए। वे किसी को बांध रहे थे, किसी को पीट रहे थे, और जो उनका विरोध करता, उसे बेरहमी से मार रहे थे। लहू के छींटे दीवारों पर पड़ रहे थे और घरों में चीखें गूंज रही थीं, लेकिन बाहर का गांव अब भी गहरी नींद में सो रहा था।        गांव के एक कोने में, राम चरन नाम क...

योग दिवस पर संपादकीय द्वारा राणा संस्कृति मंजूषा

योग दिवस पर संपादकीय * योग हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन की कुंजी Published by Naveen Singh Rana  21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो न केवल भारत बल्कि समूचे विश्व के लिए गर्व का विषय है। यह दिन योग के अद्वितीय लाभों को समझाने और इसे जन-जन तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण अवसर है।  योग की उत्पत्ति भारतीय संस्कृति की गहराईयों में निहित है। हजारों वर्षों से यह प्राचीन विद्या शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का स्रोत रही है। पतंजलि के योग सूत्रों में वर्णित अष्टांग योग हमें जीवन के हर पहलू में संतुलन साधने का मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। शारीरिक लाभों की दृष्टि से, योग एक सम्पूर्ण व्यायाम प्रणाली है। यह न केवल मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, बल्कि शरीर की लचीलापन भी बढ़ाता है। नियमित योगाभ्यास से हृदय रोग, मधुमेह, और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों में भी लाभ मिलता है।  मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से, योग का ध्यान और प्राणायाम मन को शांति और स्थिरता प्रदान करते हैं। आज के तेज़ रफ्तार जीवन में जहाँ तनाव, चिंता और अवसाद आम समस्याएं...

""खुद को जानने के 7 बेहतरीन तरीके ""by Naveen Singh Rana

By Naveen Singh Rana  प्रिय पाठकों अपने इस अमूल्य जीवन में अक्सर हम दूसरों के बारे में जानने में अपना समय गुजार देते हैं, और खुद को जानने और समझने का कभी प्रयास ही नहीं करते हैं। हम दूसरों के गुण व अवगुण को जानकर भले ही खुश या दुखी हो लेते हैं लेकिन उससे भी थोडा जरूरी है कि हम अपने आप को भी जानने और समझने का प्रयास करना चाहिए और खुद की खूबियों को जानना एक महत्वपूर्ण और आत्म-विकास का हिस्सा है इससे हम वो खुशी पा सकते हैं जो हमें इधर उधर देखने से नही मिल सकती इसके लिए हम सब निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं: 1. आत्म-निरीक्षण (Self-Reflection)  आत्म निरीक्षण के दो तरीके मैं आप सभी के साथ शेयर करना चाहूंगा जिनसे आप और हम बेहतर तरीके से अपने आप को महसूस कर टटोल सकते हैं। - ** डायरी लेखन:** नियमित रूप से अपनी सोच, भावनाएं और दिन की घटनाओं को लिखें। यह आपके व्यवहार और प्रतिक्रियाओं को समझने में मदद करेगा। - ** मेरे बारे में सोचें :** अपने गुण, विशेषताएं और कमजोरियों के बारे में सोचें। अपने बारे में ईमानदारी से विचार करें कि हम खुद किन चीजों में अच्छे हैं और किन्हें सुधारने की ज...

कौन थे वीर शिरोमणि बप्पा रावल जिन्होंने सिसोदिया वंश की नीव रखी ?

### बप्पा रावल: ऐतिहासिक जीवनी (ऐतिहासिक पुस्तकों पर आधारित जानकारी के अनुसार लिखित ) Published by Naveen Singh Rana  **बप्पा रावल**  भारतीय इतिहास में राजपूत योद्धा और सिसोदिया वंश के संस्थापक के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका वास्तविक नाम *कलभोज* था और वे मेवाड़ के आठवीं सदी के शासक थे। उनका जीवन वीरता, स्वतंत्रता, और धर्मनिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। प्रारंभिक जीवन -: बप्पा रावल का जन्म 713 ईस्वी में मेवाड़ के गुहिलोत (गहलोत) वंश में हुआ था। -  गुहिलोत वंश के राजा नागादित्य के वंशज थे। बप्पा रावल के पिताजी का नाम नरपति रावल था। सत्ता की प्राप्ति -  बप्पा रावल ने अपनी बहादुरी और कौशल से अपने राज्य को शत्रुओं से सुरक्षित किया। वे भील प्रमुखों के समर्थन से मेवाड़ की गद्दी पर बैठे। -  उन्होंने चित्तौड़ के मौर्य शासक मानमोरी को हराकर चित्तौड़ पर अधिकार किया और इसे अपनी राजधानी बनाया।  शासनकाल - रावल ने कई क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की, जिनमें मालवा, गुजरात, और कर्नाट शामिल थे।  - शासनकाल में मेवाड़ एक शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा और उन्होंने एक विस्तृत सा...

कौन कौन है?सूर्यवंश के वीर प्रतापी

धार्मिक पुस्तकों पर आधारित जानाकारी के अनुसार वर्णित  राम की वंशावली को "सूर्यवंश" या "रघुवंश" के नाम से जाना जाता है। इस वंशावली का वर्णन वाल्मीकि रामायण, विष्णु पुराण, और अन्य पुराणों में मिलता है। यहां पर राम की प्रमुख वंशावली दी गई है: 1. **सूर्य** 2. **विवस्वान** 3. **वैवस्वत मनु** 4. **इक्ष्वाकु** - वैवस्वत मनु के पुत्र, जिनसे सूर्यवंश की शुरुआत मानी जाती है। 5. **विकुक्षि** 6. **ककुत्स्थ** 7. **अनरन्य** 8. **पृथु** 9. **त्रिशंकु** (सत्यव्रत) 10. **हरिश्चन्द्र** 11. **रोहिताश्व** 12. **हर्यश्व** 13. **वसुमान** 14. **सुदास** 15. **मित्रसह (कल्माषपाद)** 16. **अशमंजस** 17. **अंशुमान** 18. **दिलीप** 19. **भगीरथ** - जिन्होंने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए तपस्या की थी। 20. **ककुत्स्थ** 21. **रघु** - इनके नाम पर वंश को रघुवंश कहा जाता है। 22. **अज** 23. **दशरथ** - राम के पिता 24. **राम** - अयोध्या के राजा, विष्णु के सातवें अवतार राम के पुत्र: 25. **लव** 26. **कुश** लव और कुश से राम के वंश का विस्तार हुआ और आगे यह वंश कई राजाओं तक चला। इस प्रकार, राम का वंश सूर्यवंशी...

रानी लक्ष्मी बाई की शहादत दिवस पर एक संपादकीय

रानी लक्ष्मी बाई की शहादत दिवस पर एक संपादकीय - राणा संस्कृति मंजूषा  भारतीय इतिहास में वे कमाल के उदाहरण हैं जो अपने साहस और बलिदान से हमें प्रेरित करती हैं। रानी लक्ष्मी बाई, जिन्हें झांसी की रानी के नाम से जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अनमोल धरोहर हैं। उनकी वीरता, साहस और अपने देश के प्रति निष्ठा ने उन्हें एक महान योद्धा बना दिया। रानी लक्ष्मी बाई ने झांसी की सिंघासनी बनकर अपने देशवासियों के प्रति अपनी कटिबद्धता से दिखाया कि स्त्रियाँ भी अगर जिद्दी हो तो समय की भी रुकावट नहीं बन सकती है। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ निरंतर लड़ा और अपनी शहादत देकर वीरता का प्रतीक बन गईं। आज, उनकी शहादत के दिन, हम सभी उनकी स्मृति में गर्व से सिर झुकाते हैं और उनके बलिदान को सलामी अर्पित करते हैं। रानी लक्ष्मी बाई का जीवन हमें सिखाता है कि जब तक हम अपने स्वतंत्रता और सम्मान के लिए लड़ते हैं, हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। उनकी प्रेरणा हमें आगे बढ़ने की दिशा में प्रेरित करती है और हमें अपने देश और समाज के लिए समर्पित बनाती है। आज के दिन, हमें उनकी याद में उनके बलिदान को याद करना ...

रोबोटिक मशीन और बालक की कहानी**

**रोबोटिक मशीन और बालक की कहानी** Published by राणा संस्कृति मंजूषा  एक छोटे से गाँव में एक बालक, आरव, रहता था। आरव को नई तकनीक और मशीनों का बड़ा शौक था। वह हमेशा अपने छोटे-छोटे खिलौनों को खोलकर देखता और उन्हें जोड़ने की कोशिश करता। उसके इस जुनून को देखकर उसके माता-पिता ने उसे एक रोबोटिक मशीन दी, जिसका नाम "रोबी" था।  रोबी एक स्मार्ट रोबोट था, जिसे कई कार्यों के लिए प्रोग्राम किया जा सकता था। आरव ने सबसे पहले रोबी को अपना दोस्त बनाया और उसके साथ कई नई-नई चीजें सीखनी शुरू कीं। वे दोनों साथ में खेलते, पढ़ते और नई-नई खोजें करते।  एक दिन, गाँव में एक समस्या आई। गाँव के जलस्रोत सूखने लगे थे और पानी की कमी हो गई थी। गाँववाले बहुत परेशान थे। आरव ने सोचा कि अगर वह रोबी की मदद ले, तो इस समस्या का हल निकाल सकता है। उसने अपने माता-पिता से अनुमति ली और रोबी के साथ गाँव के पास स्थित एक पुराने कुएँ की तरफ चल पड़ा। रोबी के पास एक विशेष सेंसर था, जो जमीन के अंदर के पानी को ढूंढ सकता था। आरव ने रोबी को कुएँ के पास ले जाकर उसे सक्रिय किया। रोबी ने कुछ ही समय में जानकारी दी कि कुएँ के नीचे ...

महाराणा कुंभा का जीवन और योगदान: मेवाड़ का स्वर्णिम युग

महाराणा कुंभा का जीवन और योगदान: मेवाड़ का स्वर्णिम युग(ऐतिहासिक पुस्तकों पर आधारित जानकारी के अनुसार लिखित) Publised by Naveen Singh Rana  महाराणा कुंभा का जीवन इतिहास मेवाड़ और सिसोदिया वंश के गौरवशाली अध्याय का महत्वपूर्ण हिस्सा है। राणा कुंभा का वास्तविक नाम महाराणा कुम्भकर्ण था और उनका शासनकाल 1433 से 1468 ईस्वी तक फैला हुआ था। इस अवधि में उन्होंने न केवल मेवाड़ को एक मजबूत सैन्य शक्ति बनाया बल्कि कला, संस्कृति, और वास्तुकला में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। ### प्रारंभिक जीवन और सत्ता संभालना - **जन्म**: महाराणा कुंभा का जन्म 1433 ईस्वी में महाराणा मोकल के घर हुआ था। - **सत्ता संभालना**: महाराणा मोकल की हत्या के बाद, कुंभा ने 1433 में मेवाड़ की गद्दी संभाली। उन्होंने अपनी सूझबूझ और वीरता से मेवाड़ को सुदृढ़ और संगठित किया। ### सैन्य और राजनीतिक उपलब्धियाँ 1. **मलवा और गुजरात के सुल्तानों के खिलाफ युद्ध**:     - महाराणा कुंभा ने गुजरात और मालवा के सुल्तानों के साथ कई संघर्ष किए और उन्हें पराजित किया।      - 1442 और 1456 में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी के...

सिसोदिया वंश की स्थापना और इतिहास: एक विस्तृत अध्ययन

सिसोदिया वंश की स्थापना और इतिहास: एक विस्तृत अध्ययन(ऐतिहासिक पुस्तकों पर आधारित जानकारी) Published by Naveen Singh Rana  सिसोदिया वंश का इतिहास भारतीय राजपूतों के गौरवशाली इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस वंश की स्थापना मेवाड़ (वर्तमान राजस्थान) में हुई और इसके शासकों ने मेवाड़ राज्य पर सैकड़ों वर्षों तक शासन किया। सिसोदिया वंश की स्थापना और इतिहास को विस्तार से जानने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा की जा सकती है: ### स्थापना और प्रारंभिक इतिहास 1. **वंश की उत्पत्ति**:     - सिसोदिया वंश का संबंध सूर्यवंशी राजपूतों से है, जिनकी वंशावली भगवान राम से मानी जाती है।     - प्रारंभिक शासक गहलोत वंश के थे, जो मेवाड़ के पहले शासक माने जाते हैं। 2. **बाप्पा रावल**:     - बाप्पा रावल (730-753 ई.) को सिसोदिया वंश का संस्थापक माना जाता है।     - उन्होंने 8वीं सदी में चित्तौड़ को राजधानी बनाकर मेवाड़ राज्य की स्थापना की।     - बाप्पा रावल को भील प्रमुखों की सहायता से कई युद्ध जीतने का श्रेय दिया जाता है। ### मध्यकालीन इतिहास 1. **राणा ह...

**महा राणा सांगा: एक वीर राजपूत योद्धा की ऐतिहासिक जीवनी**

**महा राणा सांगा: एक वीर राजपूत योद्धा की ऐतिहासिक जीवनी**(ऐतिहासिक पुस्तकों पर आधारित जानकारी) Published by Naveen Singh Rana  महाराणा सांगा ,जिन्हें महाराणा संग्राम सिंह के नाम से भी जाना जाता है, मेवाड़ के राजपूत शासक थे और राणा सांगा का जन्म 1482 में हुआ था। वे उदयपुर (वर्तमान राजस्थान) के सिसोदिया राजवंश के राजा थे। राणा सांगा ने 1508 से 1528 तक शासन किया और अपने वीरता और नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध हुए। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा राणा सांगा का जन्म राणा रायमल और उनकी रानी श्रीमती का पुत्र के रूप में हुआ था। वे अपने तीन भाईयों, पृथ्वीराज, जयमल और विक्रमादित्य के साथ बड़े हुए। राणा सांगा ने कम उम्र में ही युद्ध कला और प्रशासनिक कौशल की शिक्षा प्राप्त की थी। सत्ता संघर्ष और सिंहासन प्राप्ति राणा सांगा के पिता राणा रायमल की मृत्यु के बाद, उत्तराधिकार के संघर्ष में राणा सांगा ने अपने चचेरे भाइयों और अन्य प्रतिद्वंद्वियों को पराजित कर सिंहासन प्राप्त किया। इस संघर्ष ने उन्हें एक मजबूत और निर्णायक नेता बना दिया। शासनकाल और सैन्य अभियान राणा सांगा का शासनकाल उनकी बहादुरी और सैन्य अभियानों ...

मेवाड़ का संक्षिप्त इतिहास और राणा थारू समाज की यात्रा (इतिहास की पुस्तकों पर आधारित)

 मेवाड़ का संक्षिप्त इतिहास और राणा थारू समाज की यात्रा (इतिहास की पुस्तकों पर आधारित) मेवाड़ का गौरवशाली इतिहास मेवाड़, राजस्थान के दक्षिणी हिस्से में स्थित, प्राचीन काल से ही वीरता, स्वतंत्रता, और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक रहा है। इसकी राजधानी उदयपुर है। मेवाड़ का इतिहास विभिन्न योद्धाओं, किलों, और सांस्कृतिक धरोहरों के माध्यम से जीवित है। प्रारंभिक इतिहास और गुहिल वंश **गुहिल वंश** ने मेवाड़ के प्रारंभिक इतिहास को आकार दिया। 6वीं शताब्दी में गुहिल नामक राजा ने इसकी नींव रखी। बप्पा रावल इस वंश के प्रमुख शासक थे जिन्होंने मेवाड़ की स्वतंत्रता को मजबूत किया और इसे एक सशक्त राज्य के रूप में स्थापित किया।  महत्वपूर्ण शासक  राणा हम्मीर (14वीं सदी) राणा हम्मीर ने 14वीं सदी में मेवाड़ को दिल्ली सल्तनत की अधीनता से मुक्त कराया और राज्य की समृद्धि और स्वतंत्रता को पुनः स्थापित किया।  राणा कुम्भा (15वीं सदी) राणा कुम्भा ने मेवाड़ को सांस्कृतिक और स्थापत्य कला में उच्च स्थान दिलाया। उन्होंने कुम्भलगढ़ किले का निर्माण किया और साहित्य, कला, और संगीत को प्रोत्साहित किया। ...