योग दिवस पर संपादकीय द्वारा राणा संस्कृति मंजूषा
योग दिवस पर संपादकीय
*योग हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन की कुंजी
Published by Naveen Singh Rana
21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो न केवल भारत बल्कि समूचे विश्व के लिए गर्व का विषय है। यह दिन योग के अद्वितीय लाभों को समझाने और इसे जन-जन तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण अवसर है।
योग की उत्पत्ति भारतीय संस्कृति की गहराईयों में निहित है। हजारों वर्षों से यह प्राचीन विद्या शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का स्रोत रही है। पतंजलि के योग सूत्रों में वर्णित अष्टांग योग हमें जीवन के हर पहलू में संतुलन साधने का मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
शारीरिक लाभों की दृष्टि से, योग एक सम्पूर्ण व्यायाम प्रणाली है। यह न केवल मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, बल्कि शरीर की लचीलापन भी बढ़ाता है। नियमित योगाभ्यास से हृदय रोग, मधुमेह, और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों में भी लाभ मिलता है।
मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से, योग का ध्यान और प्राणायाम मन को शांति और स्थिरता प्रदान करते हैं। आज के तेज़ रफ्तार जीवन में जहाँ तनाव, चिंता और अवसाद आम समस्याएं बन गई हैं, वहाँ योग मानसिक स्वास्थ्य का संरक्षक बनकर उभरता है।
आध्यात्मिक स्तर पर, योग आत्मानुभूति और आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। यह हमें हमारे वास्तविक स्वभाव से परिचित कराता है और जीवन के गहरे रहस्यों को समझने की क्षमता प्रदान करता है।
योग दिवस केवल एक दिन का आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यह हमें हमारे व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर स्वयं के लिए समर्पित करने की प्रेरणा देता है।
इस योग दिवस पर, आइए संकल्प लें कि हम योग को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएंगे। न केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए, बल्कि समाज और राष्ट्र के समग्र कल्याण के लिए भी। योग के माध्यम से हम एक स्वस्थ, खुशहाल और समृद्ध समाज की स्थापना में योगदान दे सकते हैं।
**राणा संस्कृति मंजूषा**