अयोध्या में राम: संस्मरण श्रीमती पुष्पा राणा जी द्वारा लिखित
संस्मरण -अयोध्या में राम आजकल अयोध्या में भगवान राम के निर्माणाधीन भव्य एवं दिव्य मंदिर की चर्चा ही चारों ओर हो रही है । सभी ने अपनी तरफ से कविता ,कहानी ,लेख इत्यादि लिख करके अपने उद्गार व्यक्त किए हैं । कोई भगवान की सुंदरता की प्रशंसा कर रहा है तो कोई उनके दिव्य रूप की प्रशंसा कर रहा है तो कोई उनके भव्य मंदिर की प्रशंसा कर रहा है ।लोगों के मन में दिन प्रतिदिन उत्सुकता बढ़ती ही जा रही है ।हर किसी का बस एक ही सपना ,एक ही अरमान है कि वह उसे दिव्य मंदिर और उसमें प्राण प्रतिष्ठित विराजमान राम लला की छवि को एक बार नजदीक से अपने नेत्रों से निहार सके और अपने मन में नैनाभिराम छवि को हमेशा हमेशा के लिए विराजमान कर सके। बरबस लेखनी चल गयी.. बड़ भाग हमारे हैं। लल्ला पुनः पधारें हैं। डगमग जब तोहरे डग डोलें। छुनक छुनक पैजनियां बोलें।। गरवा का हार हय हाले डोले। भेद जिया का तहुं नही खोले। धरनी पे पहलो पग धारे हैं..... मैंने भी उत्साह अतिरेक में भगवान के बाल स्वरूप का वर्णन करने का प्रयास किया। दूसरी तरफ कभी उनको जगद्पति तो कभी अपना प्राणपति मानकर लिखा ...। आवेंगे घर मोरे राम पिय...