डाकूओ का कहर अंधेरी काली रात की दास्तान(स्मृतियों की धूमिलपरतों में छिपी सच्ची घटना पर अधारित कहानी)

डाकूओ का कहर अंधेरी काली रात की दास्तान(स्मृतियों की धूमिलपरतों में छिपी सच्ची घटना पर अधारित कहानी)
Written and published by Naveen Singh Rana 

     आज से लगभग 34-35 वर्ष पहले की बात है। खटीमा की सीमावर्ती जंगल से सटे गांव की एक अंधेरी काली रात। उस रात गांव की शांति अचानक टूट गई थी, जब डकैतों का एक दल गांव के कुछ परिवारों पर अचानक धावा बोल दिया। यह घटना गांववालों के लिए एक भयानक याद बन गई और एक चेतावनी भी कि समाज की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है।

     उस रात आसमान पर काले बादल छाए हुए थे, और गांव में एक गहरा सन्नाटा था। लोग अपने-अपने घरों में सोए हुए थे। अचानक, गांव के कुछ परिवारों के घरों से चीख-पुकार की आवाजें आने लगीं। डकैतों ने दरवाजे तोड़ दिए, खिड़कियां फोड़ दीं और घरों में घुस गए। वे किसी को बांध रहे थे, किसी को पीट रहे थे, और जो उनका विरोध करता, उसे बेरहमी से मार रहे थे। लहू के छींटे दीवारों पर पड़ रहे थे और घरों में चीखें गूंज रही थीं, लेकिन बाहर का गांव अब भी गहरी नींद में सो रहा था।

       गांव के एक कोने में, राम चरन नाम का एक व्यक्ति भी सो रहा था। अचानक वह जगा और उसे अपने पड़ोस से अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। उसने सोचा, "इतनी रात गए क्या हो रहा है?" वह जिज्ञासा से भरकर पड़ोस के घर की ओर बढ़ा। जैसे ही उसने घर के भीतर झांका, एक डकैत ने उसे देख लिया और चिल्लाया, "आजा इधर तुझको भी मजा चखाते हैं!"

      राम चरन के अंदर एक अजीब सा डर और साहस जाग उठा। बिना सोचे-समझे उसने दौड़ लगा दी। उसकी दौड़ इतनी तेज थी कि वह बिना रुके अपने दोस्त दिलवर के घर पहुंच गया। उसकी सांसें फूल रही थीं, और वह डर के मारे कुछ भी ठीक से बोल नहीं पा रहा था।

      राम चरन ने जैसे-तैसे दिलवर को सारी घटना बताई। दिलवर ने बिना देर किए अपनी बंदूक निकाली, लेकिन भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया। बंदूक रास्ते में ही चल गई और दूसरी कारतूस भी नहीं थी। लेकिन इस बीच, राम चरन की चिल्लाहट और दिलवर की बंदूक की आवाज ने गांववालों को जगा दिया। लोग अपने-अपने घरों से निकलकर उस घर की ओर दौड़ पड़े जहां डकैत थे।

      गांववाले डकैतों का सामना करने के लिए इकट्ठा हो गए, लेकिन उनके पास अच्छे असलाह नहीं थे। डकैत बेखौफ होकर लूटपाट कर रहे थे। गांववालों ने डकैतों को घेरने की कोशिश की, लेकिन उनके पास साधन सीमित थे। डकैतों ने गहने, जेवरात और धन संपदा लूट ली और गांववालों के सामने से भाग निकले।

    उस रात ने गांववालों को एक महत्वपूर्ण सीख दी - समाज की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। आज भी वह घटना गांववालों के दिलों में ताजा है और हर बार जब कोई नई पीढ़ी गांव में कदम रखती है, तो उसे यह कहानी सुनाई जाती है। यह याद दिलाती है कि कैसे एकजुटता और सतर्कता से किसी भी खतरे का सामना किया जा सकता है।
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