**महा राणा सांगा: एक वीर राजपूत योद्धा की ऐतिहासिक जीवनी**

**महा राणा सांगा: एक वीर राजपूत योद्धा की ऐतिहासिक जीवनी**(ऐतिहासिक पुस्तकों पर आधारित जानकारी)
Published by Naveen Singh Rana 

महाराणा सांगा ,जिन्हें महाराणा संग्राम सिंह के नाम से भी जाना जाता है, मेवाड़ के राजपूत शासक थे और राणा सांगा का जन्म 1482 में हुआ था। वे उदयपुर (वर्तमान राजस्थान) के सिसोदिया राजवंश के राजा थे। राणा सांगा ने 1508 से 1528 तक शासन किया और अपने वीरता और नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध हुए।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
राणा सांगा का जन्म राणा रायमल और उनकी रानी श्रीमती का पुत्र के रूप में हुआ था। वे अपने तीन भाईयों, पृथ्वीराज, जयमल और विक्रमादित्य के साथ बड़े हुए। राणा सांगा ने कम उम्र में ही युद्ध कला और प्रशासनिक कौशल की शिक्षा प्राप्त की थी।

सत्ता संघर्ष और सिंहासन प्राप्ति
राणा सांगा के पिता राणा रायमल की मृत्यु के बाद, उत्तराधिकार के संघर्ष में राणा सांगा ने अपने चचेरे भाइयों और अन्य प्रतिद्वंद्वियों को पराजित कर सिंहासन प्राप्त किया। इस संघर्ष ने उन्हें एक मजबूत और निर्णायक नेता बना दिया।

शासनकाल और सैन्य अभियान
राणा सांगा का शासनकाल उनकी बहादुरी और सैन्य अभियानों के लिए जाना जाता है। उन्होंने मेवाड़ की सीमाओं का विस्तार किया और इसे राजपूत साम्राज्य का एक शक्तिशाली केंद्र बनाया। उन्होंने कई प्रमुख युद्ध लड़े और कई राज्यों के गठबंधन का नेतृत्व किया।

खानवा का युद्ध
राणा सांगा के शासनकाल का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध खानवा का युद्ध था, जो 1527 में बाबर के खिलाफ लड़ा गया था। इस युद्ध में, राणा सांगा ने एक विशाल गठबंधन सेना का नेतृत्व किया, जिसमें राजपूत, अफगान और अन्य भारतीय राजा शामिल थे। हालांकि, बाबर की तोपखाना और रणनीतिक कौशल के कारण राणा सांगा की सेना को पराजय का सामना करना पड़ा।

अंतिम दिन और मृत्यु
राणा सांगा का अंतिम समय राजनीतिक और सैन्य संघर्षों से भरा रहा। खानवा की लड़ाई के बाद, उनकी स्थिति कमजोर हो गई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 1528 में, एक अन्य युद्ध अभियान के दौरान, उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के कारणों पर विवाद है, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उन्हें उनके ही लोगों द्वारा विष दिया गया था।

विरासत
राणा सांगा की विरासत उनकी वीरता, नेतृत्व और साहस के किस्सों में जीवित है। उन्हें मेवाड़ और समस्त राजपूत समुदाय में एक महान योद्धा और आदर्श राजा के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनकी कहानियाँ आज भी राजस्थान और भारतीय इतिहास में गर्व और प्रेरणा का स्रोत हैं।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*भावुक अपील –राणा थारू समाज के एक बच्चे की आंखों की रोशनी बचाइए* 🙏🖋️By Naveen Singh Rana #Rana Tharu #help #support #Rana Tharu yuva jagrti samiti #Rana Tharu parisad #

तराई की आत्मकथा और राणा थारू समाज

राणा थारु परिषद: एक गौरवशाली यात्रा