बरसात की तैयारी: एक बाल कहानी
बरसात की तैयारी: एक बाल कहानी
बरसात के हीरो
Published by Naveen Singh Rana
कहानी:
रतन पुरा गाँव में रहने वाले नीलेश राणा और उसकी छोटी बहन साक्षी राणा हर साल बरसात का मौसम बड़े उत्साह से इंतजार करते थे। उन्हें बारिश में भीगना और कागज़ की नावें बनाकर बहते पानी में छोड़ना बहुत पसंद था। लेकिन इस बार, उनके पापा ने उन्हें एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी।
"बच्चों, इस साल हमें बरसात से पहले कुछ जरूरी काम करने हैं," पापा ने कहा। "तुम्हें मेरी मदद करनी होगी ताकि हम सब सुरक्षित रहें।"
नीलेश और साक्षी ने खुशी-खुशी हामी भर दी। पापा ने उन्हें एक चेकलिस्ट दी और समझाया कि क्या-क्या करना है।
घर की तैयारी
पहला काम था छत और गटर की सफाई। नीलेश ने छत पर चढ़कर पत्ते और कचरा साफ किया। साक्षी ने नीचे खड़े होकर गटर से कचरा निकाला।
दूसरा काम था रिसाव की जांच। पापा ने बच्चों को दिखाया कि कैसे दीवारों और खिड़कियों में दरारों को देखकर पहचानना है। नीलेश और साक्षी ने मिलकर उन दरारों पर सीलेंट लगाया।
आपातकालीन किट
अब बारी थी आपातकालीन किट तैयार करने की। साक्षी ने टॉर्च और अतिरिक्त बैटरियों का संग्रह किया, जबकि नीलेश ने सूखा और डिब्बाबंद खाना और पीने का पानी स्टॉक किया। मम्मी ने प्राथमिक चिकित्सा किट तैयार की और सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ वाटरप्रूफ पाउच में रख दिए।
ड्रेनेज सिस्टम
पापा और नीलेश ने मिलकर घर के आस-पास के नालों की सफाई की ताकि पानी का निकास सही से हो सके। पंप की जांच भी की गई ताकि जरूरत पड़ने पर वह ठीक से काम करे।
बाहरी तैयारी
बगीचे के उपकरण और फर्नीचर को सुरक्षित स्थान पर रखा गया। नीलेश ने बड़े पेड़ों की शाखाओं की कटाई की ताकि वे तूफान में टूटकर नुकसान न पहुंचाएं।
वाहनों की सुरक्षा
नीलेश और पापा ने वाहनों को सुरक्षित स्थान पर पार्क किया जहां पानी भरने की संभावना न हो।
संचार व्यवस्था
साक्षी ने सभी आपातकालीन संपर्क नंबर एक कागज पर लिखे और उन्हें फ्रिज पर चिपका दिया। नीलेश ने मोबाइल फोन और अन्य महत्वपूर्ण उपकरणों को पूरी तरह चार्ज किया।
सामुदायिक और पड़ोसी सहायता
नीलेश और साक्षी ने अपने पड़ोसियों से संपर्क किया और सामूहिक तैयारी की। उन्होंने स्थानीय आश्रय और सहायता केंद्रों की जानकारी भी रखी।
जब सारे काम खत्म हो गए, तो पापा ने कहा, "अब हम बरसात के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। तुम दोनों ने बहुत अच्छा काम किया है!"
बरसात शुरू हुई, और नीलेश और साक्षी ने अपनी तैयारियों का फल देखा। उनका घर और परिवार सुरक्षित था, और वे बारिश का मजा बिना किसी चिंता के ले सकते थे।
सीख
इस अनुभव से नीलेश राणा और साक्षी राणा ने सीखा कि बरसात का मजा तभी आता है जब हम सुरक्षित और तैयार रहते हैं। उन्होंने इस साल को "बरसात के हीरो" के रूप में याद रखा।
राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति
टिप्पणियाँ