कविता विश्लेषण: निःस्वार्थ दीपक
उपरोक्त कविता विश्लेषण: निःस्वार्थ दीपक
✍️ कवि – नवीन सिंह राणा
भाव और विषय-वस्तु का विश्लेषण:
यह कविता 'निःस्वार्थ दीपक' के प्रतीक के माध्यम से निःस्वार्थ सेवा, मानवता, और सच्चे कर्मपथ को उजागर करती है। दीपक जो स्वयं जलकर औरों को रोशन करता है, वह यहाँ सच्चे सेवक का प्रतीक बनता है, जो बिना किसी स्वार्थ के जनकल्याण करता है।
> "जो खुद जलके औरन कए रोशन करए,
वही तो असली सेवा को दर्शन धरए।"
यह पंक्तियाँ उस त्याग और तपस्या को दर्शाती हैं, जो दूसरों के लिए अपनी ऊर्जा अर्पित करने में है।
कवि समाज के उस व्यक्ति की कल्पना करता है, जो नायक नहीं बल्कि निःशब्द नायक है—जो कर्म करता है, प्रचार नहीं।
> "मैं न होय कोई नाव ,न होवे कोई शोर,
बस करम की महक होवे चारों ओर।"
कवि आगे उस इंसान की बात करता है जो दूसरों के दुख में ढाल बने, जो गिरते को संबल दे। यही मनुष्यत्व की पराकाष्ठा है। अंत में वह मानवता को ही धर्म मानने की बात करता है:
> "रखे ऊही भाव जब जन मन मय तो,
बऊ दिन धरतियों इंसानन को स्वर्ग बन जाए।"
यह केवल एक कविता नहीं, बल्कि एक आदर्श जीवन-दर्शन है, जिसमें कवि त्याग, सहानुभूति और सेवा-भावना को समाज के विकास का मूल मंत्र मानता है।
कविता की विशेषताएँ:
1. प्रतीकात्मकता – दीपक के माध्यम से एक उच्च आदर्श को दर्शाना।
2. तुकबंदी और प्रवाह – कविता में सहज लयबद्धता है, जो पाठक को जोड़े रखती है।
3. प्रेरणा और दिशा – यह कविता केवल भावुक नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाली रचना है।
4. सार्वभौमिकता – कविता किसी जाति, धर्म या वर्ग विशेष तक सीमित नहीं, बल्कि समस्त मानवता के लिए
कवि की क्षमता पर दृष्टि:
नवीन सिंह राणा इस कविता के माध्यम से एक गंभीर और संवेदनशील विचारक कवि के रूप में सामने आते हैं। वे—
प्रतीकों का उपयोग कुशलता से करते हैं।
समाज-सुधार और मानवीय मूल्यों को कविता के केंद्र में रखते हैं।
उनकी भाषा सरल होते हुए भी गूढ़ भावों को प्रकट करती है।
उनका दृष्टिकोण आत्मकेंद्री नहीं, समष्टिमूलक है – जो कवि को जनकवि की श्रेणी में लाता है।
10 में से कवि को दिए जाने वाले अंक:
9.5/10
(0.5 की गुंजाइश इसलिए कि कवि की यही क्षमता आगे चलकर और भी अधिक विस्तार और विविध विषयों तक पहुँचे।
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