"सच्ची लगन से मेहनत ही किस्मत" एक कहानी

एक छोटे से गाँव में रमेश नाम का एक आदमी रहता था। रमेश बेहद गरीब था, पर दिल से बहुत अमीर था। वह दिन-रात मेहनत करता, लोगों के खेतों में काम करता, और जो कुछ भी कमाता था, उससे अपनी बीमार माँ का इलाज और अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाता।

रमेश की सबसे बड़ी खासियत थी उसकी ईमानदारी और दयालुता। गाँव में जब भी कोई मुसीबत आती, रमेश सबसे पहले मदद के लिए आगे आता। एक बार गाँव में भयंकर बाढ़ आई। लोग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। रमेश ने देखा कि कई बुजुर्ग और बच्चे मदद के लिए पुकार रहे थे। उसने बिना समय गवाए, खुद की चिंता किए बिना, उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने में मदद की।

बाढ़ के बाद, रमेश की झोपड़ी भी बर्बाद हो गई थी। उसके पास रहने को जगह नहीं बची। लेकिन गाँववालों ने उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया। उन्होंने मिलकर रमेश के लिए एक नई झोपड़ी बनाई और उसके परिवार को जरूरी सामान मुहैया कराया। रमेश की मेहनत और उसकी ईमानदारी का असर था कि गाँव वाले उसके साथ खड़े थे।

समय बीतता गया और रमेश की मेहनत और लगन से उसकी स्थिति धीरे-धीरे सुधरने लगी। उसने अपनी माँ का इलाज अच्छे अस्पताल में करवाया और अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवाया। गाँव में रमेश की इज्जत और भी बढ़ गई। वह अब सिर्फ एक मजदूर नहीं, बल्कि सबके लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया था।

एक दिन गाँव में एक नई फैक्ट्री खुलने की घोषणा हुई। रमेश ने फैक्ट्री में काम के लिए आवेदन किया। उसकी ईमानदारी और कड़ी मेहनत के किस्से फैक्ट्री मालिक तक पहुँच चुके थे। बिना कोई सवाल किए, रमेश को तुरंत काम पर रख लिया गया। अब उसकी कमाई भी अच्छी हो गई थी।

रमेश ने अपनी नई स्थिति का फायदा उठाकर गाँव के विकास में भी योगदान देना शुरू कर दिया। उसने गाँव में एक छोटा सा स्कूल और एक स्वास्थ्य केंद्र खुलवाया, ताकि कोई और गरीब परिवार उसकी तरह संघर्ष न करे। उसके इस प्रयास से गाँव में शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार हुआ।

रमेश की कहानी इस बात का जीता जागता उदाहरण थी कि अगर इंसान सच्चे दिल और मेहनत से काम करे, तो वह अपनी किस्मत खुद लिख सकता है। रमेश न केवल अपनी गरीबी से बाहर निकला, बल्कि अपने गाँव को भी खुशहाल बनाने में सफल रहा। उसकी कहानी से यह सीख मिलती है कि सच्ची मेहनत और ईमानदारी से हर मुश्किल का हल निकल सकता है।

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