धरती है अनमोल by Naveen Singh Rana

धरती है अनमोल, ये सत्य कभी न भूलें,
आँचल में बसीं हैं खुशियां, आओ मिल झूले।।

हरी-भरी ये धरती, देती हमें है जीवन,
इसके बिना न हो पाए, सपनों का सृजन।।

नदियों की कल-कल, पर्वतों की ऊँचाई,
धरती माँ की ममता, हमें देती है परछाई।।

इसकी मिट्टी में छुपी, अनगिनत कहानियाँ,
फसलों की लहराती, सोने सी बलियाएं।।

वृक्षों की छाया में, सुकून की धारा बहती,
धरती के आँगन में, हर दिशा में रौशनी रहती।।

पर हमने ही इसे, दर्द दिया बेहिसाब,
पेड़ों को काटा, जल वायु को किया खराब।।

अब भी समय है, चेत जाएँ हम सब,
धरती माँ को बचाएँ, हो जाएँ नेक सब।।

आओ मिलकर करें, खुद से एक वादा अटल,
धरती को बचाएँगे, रखे इसे पावन और निर्मल।।

इसकी हरियाली से ,इसकी मिठास बनाएँ,
धरती है अनमोल, इसे हम सहेज कर रख पाएँ।।

प्रकृति की गोद में, जीवन का ये उत्सव मनाएं 
धरती की खुशबू में," नवीन "जीवन फैलाए।।

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