""पांचवे दशक के आस पास, कैसे थे हमारे गांव ""

दादा जी के साथ बिताए कुछ अमूल्य लम्हों से ली गई यादें ""
नवीन सिंह राणा की कलम से 

हमारे अति बुजुर्ग दादा जी बताते थे कि पाँचवे दशक में जब हमारा गाँव चारों तरफ से आम के बगीचे और घने जंगल से घिरा था, वह एक स्वर्ग जैसा लगता था। कच्चे रास्ते, जो गाँव के दिल तक पहुँचते थे, उन पर चलना मानो किसी सपने में चलने जैसा था। बरसात के मौसम में ये रास्ते कीचड़ से भर जाते, पर जब सूरज की किरणें उन पर पड़तीं, तो वे सोने जैसे चमकने लगते थे।

आम के बगीचे, जो चारों ओर फैले थे, हर समय ताजगी और मिठास से भरे रहते थे। वसंत ऋतु में जब आम के पेड़ों पर बौर आते, तो पूरा गाँव एक मीठी खुशबू में डूब जाता था। आम की डालियाँ लहलहातीं, और हर एक पेड़ मानो किसी कलाकार की कृति हो। गर्मियों में ये बगीचे जीवन से भर जाते, जब बच्चे और बड़े सभी पेड़ों से आम तोड़ने में व्यस्त रहते थे। पके हुए आमों की मिठास और उनके रस से भरे गूदे का स्वाद आज भी याद आता है।

गाँव के लोग मुख्य रूप से गाय पालन से जीवन यापन करते थे। सुबह-सुबह जब सूरज की पहली किरणें धरती को छूतीं, तब हर घर से गायों की घंटियों की मधुर ध्वनि सुनाई देती थी। यह ध्वनि एक सुखद एहसास दिलाती थी कि जीवन यहाँ कितनी सरलता और शांति से बह रहा है। लोग अपने गायों के दूध से मक्खन, घी और दही बनाते थे, जो उनकी समृद्धि और खुशी का मुख्य स्रोत था। 

जंगल के घने पेड़ों के बीच से गुजरते हुए लगता था जैसे हम प्रकृति की गोद में हैं। पक्षियों की चहचहाहट, पेड़ों की पत्तियों की सरसराहट, और जंगली फूलों की खुशबू एक अद्वितीय प्राकृतिक संगीत बनाती थी। इन जंगलों में अनेक प्रकार के जानवर और पक्षी रहते थे, जिनके साथ गाँव के लोग सामंजस्यपूर्ण जीवन बिताते थे।

गाँव का हर दिन एक उत्सव की तरह था, जहाँ प्रकृति और मानव का अद्भुत मेल था। यहाँ की सादगी और प्राकृतिक सौंदर्य ने जीवन को एक अनमोल धरोहर बना दिया था। इस गाँव की हर एक याद, हर एक दृश्य दिल को एक गहरी तसल्ली और अद्भुत आनंद से भर देता है। अब बस यह यादों में खो गया है या स्मृतियों में बस गया है।
""दादा जी के साथ बिताए कुछ अमूल्य लम्हों से लिए गए यादें ""
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