कहानी: "विनम्रता की जीत
कहानी: "विनम्रता की जीत"
नवीन सिंह राणा
एक छोटे से गांव में, एक महिला जिसका नाम राधा देवी था, रहती थी। राधा देवी को उसकी तीव्र बुद्धि और ज्ञान के कारण सभी सम्मान करते थे। गांव के लोग अक्सर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए राधा के पास आते थे, और वह हमेशा उनकी मदद के लिए तैयार रहती थी। धीरे-धीरे, राधा को अपने ज्ञान और समझ पर गर्व होने लगा और उसने खुद को सबसे अधिक बुद्धिमान मानना शुरू कर दिया।उसे अभिमान हो गया था।
राधा देवी को अब लोगों का सम्मान मिलने के बजाय, वे उससे दूर भागने लगे। वह लोगों के सवालों का जवाब तो देती थी, लेकिन उनके विचारों को कभी महत्व नहीं देती थी। उसने यह मान लिया था कि केवल वही सही है और दूसरों की राय कोई मायने नहीं रखती।
एक दिन गांव में एक नई महिला, सुमनदेवी, आई। सुमन देवी भी बहुत बुद्धिमान थी लेकिन वह विनम्र और समझदार भी थी। उसने लोगों के साथ बात की, उनकी समस्याओं को सुना और उनकी राय को भी महत्व दिया। धीरे-धीरे लोग सुमन देवी के पास जाने लगे और राधा देवी को भूलने लगे।
राधा देवी को यह बदलाव महसूस हुआ और उसने अपने आप से सवाल किया कि आखिर क्यों लोग उससे दूर हो रहे हैं। उसने महसूस किया कि उसका अहंकार और दूसरों की अवमानना ही उसकी असली दुश्मन थी। उसने सोचा कि अगर वह अपने व्यवहार को नहीं बदलेगी तो वह अकेली रह जाएगी।
राधा देवी ने अपने आप को बदलने का संकल्प लिया। उसने सुमन देवी से जाकर माफी मांगी और उससे सीखने की इच्छा जाहिर की। सुमन ने खुशी-खुशी उसे स्वीकार किया और दोनों ने मिलकर गांव की भलाई के लिए काम करना शुरू किया।
धीरे-धीरे, राधा देवी ने अपने पुराने व्यवहार को छोड़कर विनम्रता और सहनशीलता को अपनाया। अब वह केवल अपने ज्ञान के लिए नहीं, बल्कि अपने व्यवहार और दयालुता के लिए भी लोगों के बीच प्रिय हो गई। उसने समझा कि सच्चा सम्मान वही है जो दिल से मिले, न कि डर या प्रभाव के कारण।
इस प्रकार, राधा देवी ने अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण सीख ली कि केवल ज्ञान ही सब कुछ नहीं होता, बल्कि विनम्रता और दूसरों के विचारों का सम्मान करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इसलिए हमको कोशिश करनी चाहिए कि कभी भी खुद को दूसरों के सामने इतना श्रेष्ठ न दिखाने की कोशिश करे की लोग ही आपसे दूरभागने लगे।