अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस: समाज और संस्कृति की रक्षा का संकल्प
अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस: समाज और संस्कृति की रक्षा का संकल्प(लेख में कुछ प्रीतिकात्मक चित्र जोड़े गए हैं जिनका कोई दूसरा उद्देश्य नही है सिर्फ जन जागरुकता हेतु शामिल किए गए हैं)
:राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति
Published by Naveen Singh Rana
26 जून को प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस (International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking) के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस न केवल नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, बल्कि समाज में फैली इस घातक बुराई से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग और समर्पण की आवश्यकता को भी उजागर करता है। इस दिवस का महत्व और भी बढ़ जाता है जब हम देखते हैं कि नशे की लत हमारे समाज, विशेष रूप से युवा पीढ़ी, को किस प्रकार से बर्बाद कर रही है। जिसे वे अभिभावक और माता पिता और करीब से अनुभव कर पाते हैं जिनके युवा बच्चे इसकी गिरफ्त में पड़ जाते हैं।
नशे की सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौती
नशे की लत न केवल व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि यह परिवार, समाज और राष्ट्र की प्रगति में भी बाधा उत्पन्न करती है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण अपराध, हिंसा, और सामाजिक अस्थिरता जैसी समस्याएं भी बढ़ती हैं। परिवार टूटते हैं, रिश्ते बिगड़ते हैं और एक स्वस्थ समाज का सपना धुंधला पड़ता है। जिससे समाज का विकास तो रुकता ही है घर परिवार और समाज में बुराइयों के साथ गरीबी भी अपने पैर पसारती है।
सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, नशा मानव मूल्यों और परंपराओं के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है। भारतीय संस्कृति, जो अपने मूल्यों, परंपराओं और सामाजिक बंधनों के लिए प्रसिद्ध है, नशे की इस समस्या से अछूती नहीं है। यह हमारे सांस्कृतिक ताने-बाने को नष्ट कर रहा है और युवा पीढ़ी को अपने मूल्यों और जिम्मेदारियों से विमुख कर रहा है। जो हर उस इंसान के लिय दुखद है जो इसके प्रभाव से पीड़ित है।
सहयोग की आवश्यकता
अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य नशे के खिलाफ लड़ाई में सहयोग को बढ़ावा देना है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित इस दिवस पर विभिन्न देशों के संगठन और संस्थाएं मिलकर नशे के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ कार्यक्रम और अभियान आयोजित करते हैं।
वैश्विक स्तर पर नशे की समस्या से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और नीतिगत समन्वय आवश्यक है। इसके तहत देशों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान, सीमाओं पर निगरानी और अवैध तस्करी के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए समन्वित प्रयास किए जाते हैं। और इसके लिय जब घर घर, परिवार परिवार गांव गांव के लोग मिलकर आपसी सहयोग से निपटने के लिय कदम उठाएंगे तभी इससे निजात संभव है।
शिक्षा और जागरूकता की भूमिका
नशा निरोधक दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में शिक्षा और जागरूकता का महत्वपूर्ण स्थान है। स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देना और युवाओं को इससे दूर रहने के लिए प्रेरित करना अनिवार्य है।
साथ ही, सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को नशा मुक्त समाज के निर्माण के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। नशे के आदी व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए केंद्रों की स्थापना, परामर्श सेवाओं का प्रावधान और सामुदायिक समर्थन कार्यक्रम इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। इसके लिय विभिन्न संगठनों द्वारा सेमिनार, बैठक, रैली आदि माध्यम से समाज में जाकर जन जागरुकता करे तो कुछ सीमा तक नशे से अवश्य ही निजात मिल सकती है।
समापन
अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस हमें यह याद दिलाता है कि नशे के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई केवल एक दिन की बात नहीं है, बल्कि यह एक सतत प्रयास है। इस दिन हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने गांव, अपने समाज, अपनी संस्कृति और आने वाली पीढ़ियों की रक्षा के लिए नशे के खिलाफ इस जंग में अपना योगदान देंगे।
सभी को मिलकर नशा मुक्त समाज का निर्माण करने का प्रयास करना चाहिए, जहां हर व्यक्ति अपने जीवन को स्वस्थ, सुरक्षित और सम्मानपूर्वक जी सके। यह दिवस हमें इस दिशा में प्रेरित करता है और एक बेहतर और स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए हमें एकजुट करता है। आओ मिलकर इस दिवस के अवसर पर प्रण लें कि नशा को न तो परोसे और न इसे बढ़ावा दें और न ही नशे के प्रति दोहरा चरित्र अपनाए।
राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति