आपदा के बादल और उससे बचाव : वर्तमान परिपेक्ष्य में लिखी घटनाओं पर आधारित कहानी
आपदा के बादल और उससे बचाव : वर्तमान परिपेक्ष्य में लिखी घटनाओं पर आधारित कहानी
Published by Naveen Singh Rana
एक दिन की बात है, जब मोहन सिंह और श्याम सिंह आपदा प्रबंधन की ड्यूटी पर थे। वह रात बेहद अंधेरी थी और जोरदार बारिश हो रही थी। दोनों कंट्रोल रूम में बैठे हुए थे और गाँव के चारों ओर की निगरानी कर रहे थे। सरकार द्वारा स्थापित यह कंट्रोल रूम बाढ़ के समय मदद के लिए सक्रिय रहता था।
और प्रतिवर्ष लगाया जाता था जिसमे अलग अलग समय पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगा करती थी और वे बड़े मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी किया करते थे।
हर रोज की तरह दोनों अपनी ड्यूटी पर दे, तभी मोहन ने नदी की ओर से तेज आवाज सुनी। उसे लगा कि नदी का जल स्तर अचानक बढ़ रहा है। उसने तुरंत अपनी टार्च उठाई और श्याम के साथ नदी की ओर नजर दौड़ाई तेज बारिश होने से टॉर्च का प्रकाश धुमिल सा था करीब जाने पर जब उन्होंने टार्च की रोशनी में देखा, तो पाया कि नदी का पानी तेजी से जल स्तर ऊपर बड़ रहा है और लग रहा है कि वह धीरे धीरे गाँव की ओर बढ़ रहा है। मोहन सिंह और श्याम सिंह ने आपस में बात कर तुरन्त निर्णय लिया और कन्ट्रोल रूम में सूचित करने का विचार बनाया।
मोहन ने तुरंत दूरभाष नंबर पर कंट्रोल रूम को सूचना दी और स्थिति की गंभीरता को बताया। कंट्रोल रूम से तत्काल मदद का आश्वासन मिला। लेकिन मोहन सिंह और श्याम सिंह ने महसूस किया कि समय बहुत कम है और गाँव वालों को तुरंत सचेत करना जरूरी है। यदि थोड़ी भी चूक हो गई तो भारी जान माल का नुकसान हो सकता है, आपदा टीम को गांव में पहुंचने में समय लग सकता है,यह सोचकर मोहन और श्याम ने अपने मेगाफोन का इस्तेमाल किया और गाँव में दौड़-दौड़ कर सभी को जगाने लगे। "बाढ़ का खतरा है! सभी लोग सुरक्षित स्थान पर चले जाएं!" उनकी आवाज सुनकर गाँव वाले जाग गए और उन्होंने अपने परिवारों को इकट्ठा किया। और अपनी अपनी बहुत ही आवश्यक चीजें समेटने लगे।
श्याम ने बच्चों और बुजुर्गों को प्राथमिकता दी और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने में मदद की। दूसरी ओर, मोहन ने गाँव के मुखिया और अन्य जिम्मेदार लोगों के साथ मिलकरकुछ अस्थाई बचाव की योजना बनाई। सभी ने मिलकर बोरियों में रेत भरी और उन्हें नदी के किनारे लगा दिया ताकि पानी का बहाव कम किया जा सके। गांव के सभी युवा इस काम में आगे आए और मदद करने लगे। बारिश तेज होने से परेशानी तो हो रही थी लेकिन जो आने बाली परेशानी थी ,वह और भी भयंकर हो सकती थी। इसलिए सभी पूरे जोश से काम में लगे हुऐ थे।
कुछ ही समय में, कंट्रोल रूम से आपदा प्रबंधन की टीम भी गाँव पहुँच गई। उन्होंने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया और गाँव वालों को राहत सामग्री दी। उनके साथ आईं नावों की मदद से पानी में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
मोहन सिंह और श्याम सिंह की तत्परता और बहादुरी से गाँव के सभी लोग सुरक्षित रहे। एक दो दिन में बारिश कम होने से बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम होने लगा और स्थिति नियंत्रण में आ गई। गाँव वालों ने मोहनसिंह और श्याम सिंह की तारीफ की और उन्हें धन्यवाद दिया।
गाँव के मुखिया ने कहा, "मोहन सिंहऔर श्याम सिंह की बहादुरी और समझदारी से आज हम सब सुरक्षित हैं। हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और आपदा प्रबंधन टीम की सलाह का पालन करना चाहिए।"
इस घटना ने गाँव के बच्चों और बड़ों को यह सिखाया कि कठिन समय में बहादुरी, तत्परता और एकजुटता से किसी भी आपदा का सामना किया जा सकता है। मोहनसिंह और श्याम सिंह कहानी सभी के लिए प्रेरणादायक बन गई और गाँव के लोग अधिक जागरूक और सतर्क हो गए।
इस तरह, मोहन सिंह और श्याम सिंह ने अपनी बहादुरी और समझदारी से एक बड़ा संकट टाल दिया और सभी को यह सिखाया कि सही समय पर सही कदम उठाना कितना महत्वपूर्ण होता है।
:राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति
(मानसून की तेज बारिश होने से बाढ़ का खतरा बना रहता है और नदी, नालों, तटीय क्षेत्रों में पानी भरने की संभावना अधिक होती है इस स्थिति में वहां रह रहे लोगों की जान माल का खतरा भी बना रहता है इसी को आधार मानते हुए आवश्यक बिंदुओं को ध्यान में रखते हुऐ यह कहानी आधारित जागरुकता पूर्ण रचना लिखने का प्रयास मात्र है)