# कहानी: **जीवन की सीख**धारा 129

कहानी: जीवन की सीख
(सावधानी ही बचाव)
Published by Naveen Singh Rana 

रवि एक युवा लड़का था जो अपने गाँव से शहर में पढ़ाई करने के लिए आता था। उसके पास एक पुरानी मोटरसाइकिल थी जिसे वह अपने पिता से उपहार में मिला था। रवि का स्वभाव मस्तीभरा और कुछ लापरवाह था। हेलमेट पहनना और ट्रैफिक नियमों का पालन करना उसे समय की बर्बादी लगता था। 

एक दिन, रवि अपने दोस्तों के साथ शहर में घूमने निकला। उसने बिना हेलमेट पहने ही अपनी मोटरसाइकिल तेज गति से चलाई और ट्रैफिक सिग्नल की परवाह किए बिना आगे बढ़ गया। अचानक, एक कार से टकरा जाने के कारण उसे गंभीर चोटें आईं। अस्पताल में भर्ती कराने के बाद डॉक्टर ने बताया कि हेलमेट न पहनने के कारण उसका सिर में गंभीर चोट आई है, जिसे ठीक होने में लंबा समय लगेगा।

    रवि के इस हादसे ने उसके परिवार को हिला कर रख दिया। अस्पताल में रहते हुए रवि ने मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 129 के बारे में सुना, जिसमें यह अनिवार्य है कि दोपहिया वाहन चलाने वाले हर व्यक्ति को सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनना चाहिए। उसे एहसास हुआ कि अगर उसने हेलमेट पहना होता तो उसकी चोट इतनी गंभीर नहीं होती।

     इस दुर्घटना से सीख लेकर रवि ने ठान लिया कि वह न केवल खुद हेलमेट पहनेगा, बल्कि अपने दोस्तों और समाज में भी इसके प्रति जागरूकता फैलाएगा। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद, रवि ने गाँव में एक कार्यक्रम आयोजित किया। उसने गाँव के लोगों को बुलाकर अपनी कहानी सुनाई और बताया कि कैसे उसकी लापरवाही ने उसे और उसके परिवार को कितना कष्ट दिया।

    उसने धारा 129 के महत्व को समझाया और सभी से अपील की कि वे हमेशा हेलमेट पहनें और ट्रैफिक नियमों का पालन करें। रवि ने एक स्थानीय एनजीओ के साथ मिलकर गाँव में मुफ्त हेलमेट वितरण का अभियान भी शुरू किया।

   रवि की इस पहल ने गाँव के लोगों पर गहरा प्रभाव डाला। धीरे-धीरे सभी ने हेलमेट पहनना शुरू किया और ट्रैफिक नियमों का पालन करने लगे। रवि की इस जागरूकता अभियान ने न केवल उसके गाँव को सुरक्षित बनाया, बल्कि आस-पास के गाँवों में भी एक नई सोच की शुरुआत की।

   रवि की कहानी यह बताती है कि लापरवाही का अंजाम कितना घातक हो सकता है, और सही जानकारी और जागरूकता के माध्यम से हम अपने और अपने प्रियजनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 129 का पालन करके हम न केवल कानून का सम्मान करते हैं, बल्कि अपने जीवन की भी रक्षा करते हैं।
राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति

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