बाढ़ प्रबंधन (आपदा कंट्रोल )की प्रेणादायक बाल कहानी (समय की जरूरत, जागरुकता ही बचाव, बचाव ही सुरक्षा, समाज की सुरक्षा को समर्पित)
बाढ़ प्रबंधन (आपदा कंट्रोल) की प्रेणादायक बाल कहानी
(सरकार द्वारा प्रतिवर्ष आपदा कंट्रोल रूम की स्थापना की जाती है यदि किसी को बाढ़ या तेज बारिश से जल भराव की दिक्कत होती है तो आपदा कंट्रोल रूम मे दूरभाष से सम्पर्क कर सूचित किया जा सकता है, आपदा प्रबंधन टीम द्वारा हर संभव दिलाई जाती है।)
राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति
published by Naveen Singh Rana
एक बार की बात है, सुशांतपुर नामक एक छोटे से गाँव में, हर साल मानसून के मौसम में बाढ़ का खतरा बना रहता था। इस गाँव के लोग खेती पर निर्भर थे और बाढ़ से उनकी फसलें और घरों को हमेशा नुकसान पहुँचता था। लेकिन इस साल, सरकार ने बाढ़ प्रबंधन और कंट्रोल रूम की एक नई पहल शुरू की थी।
गाँव में एक सरकारी अधिकारी आए और उन्होंने गाँव वालों को एकत्रित किया। अधिकारी ने बताया, "इस साल सरकार ने बाढ़ प्रबंधन और कंट्रोल रूम की स्थापना की है। यदि जल स्तर बढ़ने का खतरा हो या किसी भी प्रकार की बारिश से संबंधित दिक्कत हो, तो आप हमारे दिए गए दूरभाष नंबर पर कॉल कर सकते हैं। हमारी आपदा प्रबंधन टीम तुरंत आपकी मदद करेगी।"
गाँव के लोग इस पहल से बहुत खुश हुए और उन्होंने ध्यानपूर्वक सभी निर्देशों को सुना। अधिकारी ने बताया कि कंट्रोल रूम में चौबीसों घंटे निगरानी की जाएगी और सभी को सुरक्षित स्थानों की जानकारी दी गई। इसके साथ ही, उन्होंने बाढ़ के समय बरतने वाली सावधानियों के बारे में भी बताया।
एक दिन, भारी बारिश शुरू हो गई और नदी का जल स्तर तेजी से बढ़ने लगा। गाँव के मुखिया ने तुरंत दूरभाष नंबर पर कॉल किया और स्थिति की जानकारी दी। कंट्रोल रूम की टीम ने तुरंत कार्यवाही की और बाढ़ प्रबंधन टीम को गाँव की ओर रवाना किया।
कुछ ही समय में, बाढ़ प्रबंधन टीम गाँव पहुँच गई। उन्होंने गाँव वालों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया और जरूरी राहत सामग्री का वितरण किया। टीम ने जल निकासी के इंतजाम किए और पानी का प्रवाह रोकने के लिए अस्थायी बांध बनाए।
गाँव के बच्चों ने यह सब देखा और समझा कि किस तरह सरकार की पहल और आपदा प्रबंधन टीम की तत्परता से गाँव सुरक्षित हो गया। बच्चों को यह देखकर प्रेरणा मिली और उन्होंने भी मिलकर मदद की। वे सभी अपने-अपने घरों से पानी निकालने में बुजुर्गों की सहायता करने लगे।
जब बारिश थमी और बाढ़ का पानी कम हुआ, तो गाँव वाले और बच्चे सभी ने राहत की सांस ली। सभी ने समझा कि आपदा के समय एकजुटता और सही जानकारी कितना महत्वपूर्ण होता है।
गाँव के मुखिया ने सभी को एकत्र किया और कहा, "हमारी सरकार और बाढ़ प्रबंधन टीम की तत्परता और हमारी एकजुटता ने हमें इस आपदा से बचाया है। हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और समय पर सही कदम उठाना चाहिए।"
इस तरह, सुशांतपुर के लोग और बच्चे इस प्रेरणादायक कहानी से जागरूक हो गए कि किसी भी आपदा का सामना करने के लिए सही जानकारी, तैयारी और एकजुटता सबसे महत्वपूर्ण है। सभी ने समझा कि आपदा प्रबंधन के माध्यम से हम अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं और सुरक्षित रह सकते हैं। इस तरह की जानकारी समाज के सभी लोगों को होनी चाहिए ताकि अचानक इस तरह की स्थिति उत्पन्न हो तो तुरन्त सूचित कर मदद ली जा सके।
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राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति