अर्जुन भी भागा........ पुष्पा राणा द्वारा रचित


नवीन सिंह राणा द्वारा संपादित 


श्रीमती पुष्पा राणा जी द्वारा रचित बेहतरीन कविता 

अर्जुन भी रण से भागा था।
विवेक न तब तक जागा था ।।
वह देख स्वजन घबराया था।
न कृष्ण ने जब समझाया था।

हे पार्थ उठो तुम युद्ध करो।
स्वजन का न शोक करो।।
तुम धर्म का आलोक भरो।
हे कौंतेय अपना कर्म करो।।

धरा से अधर्म को आलोप करो।
अर्जुन नहीं व्यर्थ विलाप करो।।
तुम बढ़कर आगे हुंकार भरो।
अन्याय का अभी प्रतिकार करो।।

जगत में कर्म ही प्रधान है।
धर्म कर रहा आह्वान है।।
रण तो पहले ही वियावान है।
कर्महीन कभी न हुए महान है।

इंशा जब कर्तव्य निभायेगा।
इतिहास स्वयं रच जायेगा।।
कोई कृष्ण तो आगे आयेगा।
अर्जुन को राह दिखायेगा।।

हर नर में अर्जुन बैठा है।
 कृष्ण रमा है अन्तस में ।।
घूंघट के पट खोल जरा।
देखो तो अपने मन में।।
 
पुष्पा राणाराणा 



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