"दृढ़ संकल्प की मिसाल: मनेंद्र सिंह राणा की प्रेरणादायक कहानी"
"दृढ़ संकल्प की मिसाल: मनेंद्र सिंह राणा की प्रेरणादायक कहानी"(राणा थारू समाज के एक युवा की कहानी जिसने विकलांगता को अपनी मजबूती बना ली)
: नवीन सिंह राणा की कलम से
उत्तराखंड की तराई भावर में बसा एक गांव, इलाबिर्दी, एक प्रेरणादायक कहानी का गवाह है। इस गांव का एक बालक, मनेंद्र सिंह राणा, जिसने बचपन से ही कठिनाइयों का सामना किया। हर रोज 8 से 10 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना उसकी दिनचर्या थी। मेहनत उसके रग-रग में बसी थी। उसके पिता गांव के पधना, एक किसान और सम्मानित व्यक्ति थे, जिनसे यह बालक अछूता नहीं था।
लेकिन एक दिन अचानक आई विपत्ति ने उसकी सुनने की क्षमता छीन ली। दिमागी बुखार ने उसे श्रवण बाधित बना दिया। इसके बावजूद, मनेंद्र ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई जारी रखी। जीवन यापन के लिए उसने कपड़े सिलने और इलेक्ट्रिकल का काम सीखा। परंतु, उसकी महत्वाकांक्षा यहीं नहीं रुकी। उसने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया, बिना सुने, सिर्फ इशारों के माध्यम से।
इसके बाद उसने संविदा पर सरकारी बिजली विभाग में काम किया और अपनी मेहनत और लगन से रेलवे विभाग में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनकर अपना नाम समाज में प्रसिद्ध कर दिया। मनेंद्र सिंह राणा ने यह साबित कर दिया कि कोई भी अक्षमता किसी को अपने लक्ष्य प्राप्त करने से नहीं रोक सकती। उसकी कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी बताती है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।
:नवीन सिंह राणा