गांव की एकता और शान्ति की कहानी
गांव की एकता और शान्ति की कहानी
राणा थारू समाज का गांव 'उत्तराखंड की हरी-भरी भूमि तराई भावर के बीच बसा हुआ था। यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और वहां के लोगों की सादगी के लिए प्रसिद्ध था। गांव के लोग शान्ति प्रिय, भोले भाले, मेहनती और सज्जन किस्म के होते थे।
हर साल जब होली का त्योहार आता, तो गांव के हर कोने में रंगों की बारिश होती। छोटे बच्चे, बूढ़े, जवान सभी इस त्योहार को हंसी-खुशी से मनाते थे। गांव की महिलाएं घर-घर जाकर गुलाल लगातीं, गीत गातीं और ढोलक की थाप पर नाचतीं। मर्द, खेतों में मेहनत करने के बाद भी ऊर्जा से भरपूर रहते और होली के महीने भर पूरा गांव एक रंगमंच सा बन जाता था।
गांव में एक बच्चा था, नाम था राधेय सिंह राणा के माता-पिता किसान थे और वह भी उनके साथ खेतों में काम करता था। राधेए सिंह राणा पढ़ाई में भी होशियार था और गांव के बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करता था।
एक बार, होली से कुछ दिन पहले उस का छोटा भाई बीमार हो गया। परिवार बहुत चिंतित हो गया, क्योंकि गांव के पास कोई बड़ा अस्पताल नहीं था। रास्ता कच्चा था और गांव के नाले में पुल भी नहीं था गांव वालों ने मिलकर एक योजना बनाई। गांव के सभी लोग मिलकर कच्चे रास्ते से उसे शहर के अस्पताल तक ले गए। इलाज के बाद राधेए सिंह राणा का भाई स्वस्थ हो गया। इस घटना ने गांव वालों के बीच एकता और सहयोग की भावना को और मजबूत कर दिया।
जब उसका भाई स्वस्थ होकर घर लौटा, तब गांव वालों ने एक विशेष होली का आयोजन किया। इस बार होली के रंगों में एक नई चमक थी, जिसमें गांव वालों की एकता और प्रेम की झलक दिख रही थी। गांव के बुजुर्गों ने इस होली को 'सौहार्द होली' का नाम दिया।
उसने गांव के सभी बच्चों को एकत्रित किया और उन्हें शिक्षा का महत्व समझाया। उसने बताया कि जैसे होली के रंग एक-दूसरे में मिलकर एक सुंदर इंद्रधनुष बनाते हैं, वैसे ही हम सभी मिलकर अपने गांव को खुशहाल और शिक्षित बना सकते हैं।
उसकी बातें सुनकर सभी बच्चों ने प्रण लिया कि वे न केवल खुद पढ़ेंगे बल्कि अपने माता-पिता और गांव के अन्य लोगों को भी पढ़ाई के लिए प्रेरित करेंगे। गांव वालों ने मिलकर एक छोटी सी पाठशाला का निर्माण किया।
समय बीतता गया, गांव ने शिक्षा और एकता की शक्ति से एक नया मुकाम हासिल किया। अब। गांव केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि वहां के लोगों की एकता, शिक्षा और सादगी के लिए भी जाना जाने लगा।
उसकी मेहनत और गांव वालों के सहयोग ने यह साबित कर दिया कि जब लोग एकजुट होकर किसी लक्ष्य के लिए काम करते हैं, तो वे किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।गांव की यह कहानी आज भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है और यह दिखाती है कि सच्चे मेहनती और सज्जन लोग अपने गांव को स्वर्ग बना सकते हैं।
:नवीन सिंह राणा