"बलिदान की अमर गाथा: शहीद वीरेंद्र सिंह राणा"

"बलिदान की अमर गाथा: शहीद वीरेंद्र सिंह राणा"
नवीन सिंह राणा की कलम से 

 फरवरी 2019 का वो मनहूस दिन, जिसे भारत हमेशा एक काला दिवस के रूप में याद करेगा। इस दिन, जम्मू-कश्मीर के जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाइवे पर अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा में, सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान बलिदान हो गए थे। उन्हीं वीर जवानों में से एक थे वीर शहीद वीरेंद्र सिंह राणा, जो उत्तराखंड के तराई भावर में स्थित सुंदर से गांव मोहम्मद पुर भुड़िया में जन्मे थे। 

वीरेंद्र सिंह राणा का बचपन उसी गांव में बीता। उनका गांव, चारो ओर से हरी भरी फसलों से लहलाते खेतों की गोद में बसा हुआ, आम के बगीचों से भरपूर और प्रकृति की अद्वितीय सुंदरता से ओतप्रोत था। गांव की हरियाली, शांत वातावरण, और सरसों के पीले फूलों के बीच खेलते हुए उन्होंने देशभक्ति का जज्बा अपने दिल में संजोया। उनकी आंखों में हमेशा एक चमक और दिल में देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना स्पष्ट दिखाई देती थी।
बचपन से ही वीरेंद्र सिंह राणा में देशभक्ति की एक अद्भुत ललक थी। उनके परिवार और समाज के लोग हमेशा उनकी इस भावना को प्रोत्साहित करते थे। यह उनका यही जज्बा था जो उन्हें सेना तक खींच लाया। सीआरपीएफ में उन्होंने अपने शौर्य और पराक्रम का कई बार प्रदर्शन किया, और हर बार उनके साथियों और अधिकारियों ने उनके साहस की प्रशंसा की।

लेकिन समय ने कुछ और ही तय कर रखा था। 14 फरवरी 2019 का वो मनहूस दिन आया, जब देश का यह वीर सपूत अपने परिवार, समाज और देश को रोता बिलखता छोड़ गया। इस दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। उनके बलिदान की खबर सुनकर हर आंख नम हो गई और हर दिल ने उनके परिवार के लिए प्रार्थना की।

तदोपरांत, सरकार और समाज के अनेक लोगों ने अपने-अपने स्तर पर उनके परिवार की आर्थिक सहायता की। 
राणा थारू युवा जागृति समिति के सदस्य भी इस मुहिम में शामिल हुए और सहयोग राशि भेंट कर अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। सरकार ने वीर शहीद वीरेंद्र सिंह राणा के नाम पर एक विद्यालय का नामकरण किया, जो उनके बलिदान की गाथा को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाता रहेगा।

भले ही आज वीर शहीद वीरेंद्र सिंह राणा हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे हमारे ह्रदय में और इतिहास के पन्नों में हमेशा अमर रहेंगे। उनके गांव की हरियाली, गांव की शांति, और उस दिन की मनहूस यादें, सब मिलकर उनकी शौर्य गाथा को हमेशा जीवित रखेंगी। वीरेंद्र सिंह राणा का जीवन और बलिदान हमें यह सिखाता है कि देशभक्ति की भावना हमें किसी भी कठिनाई का सामना करने और देश के लिए बलिदान देने की प्रेरणा देती है। उनके अद्वितीय साहस और बलिदान की यह ऐतिहासिक कहानी हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
:नवीन सिंह राणा 
नोट: शहीद वीरेंद्र सिंह राणा जी के बारे में,उनको स्मृतियों में रखने, उनको याद करने का छोटा सा प्रयास मात्र है, जिसका संबंध किसीकी भी भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है भूल वस यदि कोई त्रुटि हो तो उस हेतु खेद व्यक्त करता है।

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