""नव प्रभात की पुकार""

""नव प्रभात की पुकार ""
:नवीन सिंह राणा 


निद्रा से उठो अब 
प्रभात संग स्वप्न है लाया ।
चिड़ियों की ची-ची मधुर सुर, 
आँगन में संगीत है सजाया ।।

उठो, प्रभात की रश्मि निहारो,
यह नव जीवन का संचार है।
मंद शीतल बयार संग, 
नव उमंग का आगाज है।।

आलस छोड़ो, मंजिल निहारो,
सपनों को साकार करो।
परचम लहराने को हो तैयार,
हर चुनौती को पार करो।

सूरज ने भी जगकर पुकारा ,
उजियारे का संधान करो,
 होगी जीत की गाथा,
 जग को नई पहचान दो।

दुनिया को दिखाना है तुम्हें, 
संघर्षों का परिणाम हो,
तुम हो मेरी प्यारी बेटी,
 हर बाधा का समाधान हो।।

प्रकृति के इस सुंदर दृश्य में, 
अपनी शक्ति पहचान लो।
सपनों को हकीकत में बदलो,
 अपने लक्ष्य को जान लो।।

अब उठो, जागो, बढ़ चलो, 
समय का सही उपयोग करो,
 लाया सवेरा नई ताजगी 
सांसों में निर्मल पवन भरो।।


उड़ो ऊँचाईयों की ओर, 
हर पल को इतना उच्च बनाओ,
तुम हो मेरी बेटी, गर्व से, 
जीवन का नवल अलख जलाओ।
:नवीन सिंह राणा 

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