संदेश

कहानी: 'विभाजन की धारा'**(राणा थारू समाज की आधुनिक समय में वास्तविक घटना पर आधारित)

**कहानी: 'विभाजन की धारा'** (राणा थारू समाज की आधुनिक समय में वास्तविक घटना पर आधारित) :नवीन सिंह राणा की कलम से      राणा थारू समाज, अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध था। घने जंगलों और हरे-भरे मैदानों में बसे इस समुदाय के लोग वर्षों से अपने रीति-रिवाजों और त्योहारों का पालन करते आ रहे थे ।परंतु समय के साथ-साथ बाहरी प्रभावों ने इस समाज पर भी अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी। ### पहला दृश्य:      गाँव के चौपाल में बुजुर्गों की बैठक हो रही थी। प्रमुख बुजुर्ग, रतन सिंह राणा ने चिंता भरे स्वर में कहा, "हमारे लोग आजकल अपने पुराने धर्म और पंथ को छोड़कर नए-नए पंथों में जा रहे हैं। इसका क्या असर होगा, यह कोई नहीं जानता।" ### दूसरा दृश्य:      वहीं दूसरी ओर, गाँव के युवा, जिन्हें शिक्षा और आधुनिकता का स्पर्श मिल चुका था, वे नए-नए धर्मों की ओर आकर्षित हो रहे थे। मन्नू राणा जो गाँव के एक युवा थे, ने ईसाई धर्म अपना लिया था। उसकी बहन, गीता राणा बौद्ध धर्म की ओर झुक गई थी। गाँव में हर कोई अपने तरीके से नई-नई मान्यताओं को अपनाने लगा था। ### तीसरा दृ...

विनाश से उभार नशा मुक्ति की ओर कदम (राणा थारू समाज की सच्ची कहानी )

चित्र
### **विनाश से उभार, नशा मुक्ति की ओर कदम (राणा थारू समाज की सच्ची कहानी**) नवीन सिंह राणा की कलम से  **पृष्ठभूमि:** तराई क्षेत्र के हरे-भरे जंगलों में बसा 'अम्बिकापुर' गाँव, राणा थारू समाज का एक प्रमुख केंद्र था। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस गाँव के निवासी मेहनती और सरल थे। लेकिन धीरे-धीरे गाँव में शराब का नशा बढ़ने लगा, जिसका असर युवाओं और बड़ों पर गहराई से पड़ रहा था। **मुख्य पात्र:** 1. **राजू सिंह राणा** - गाँव का एक होनहार युवा, जिसने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। 2. **भीमा सिंह राणा** - राजू का पिता, जो शराब के नशे में डूबा रहता था। 3. **सरिता देवी** - राजू की माँ, जो परिवार को एकजुट रखने की कोशिश करती थी। 4. **गाँव के अन्य निवासी** - जो शराब की समस्या से जूझ रहे थे। **कहानी:** राजू सिंह राणा गाँव का सबसे होनहार युवा था। उसने शहर में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी और गाँव के बच्चों के लिए एक आदर्श था। लेकिन राजू के घर की स्थिति बहुत खराब थी। उसके पिता, भीमा सिंह राणा, शराब के नशे में डूब चुके थे। नशे की लत ने उन्हें इतना कमजोर कर दिया था कि वे परिवार की देखभाल नहीं कर पाते थे।...

"नशे की अंधेरी राह से उजाले की ओर: निर्मलपुर गांव की संघर्ष गाथा"**

चित्र
**"नशे की अंधेरी राह से उजाले की ओर: निर्मलपुर की संघर्ष गाथा"**नवीन सिंह राणा की कलम से     राणा थारू समाज का गाँव निर्मलपुर, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण जीवन के लिए प्रसिद्ध था। चारों फसलों से लहलाते खेत, बाग बगीचों की हरियाली, बहती नदियाँ, और सजीव वन्यजीव और गांव में शाम को लगती चौपाल इसे स्वर्ग के समान बनाते थे। लेकिन समय के साथ गाँव में कुछ बदलाव आने लगे, जो इसके सौंदर्य और शांति को काले साये में ढकने लगे।    गाँव में शराब का चलन पहले से था, जो विशेष अवसरों पर आनंद का साधन था। परंतु धीरे-धीरे यह आनंद एक बुरी लत में बदलने लगा। शराब के बाद, चरस, गांजा और स्मैक जैसी मादक द्रव्यों ने गाँव में अपनी जगह बना ली।  शराब माफिया, स्मैक माफिया लुके छिपे युवाओं को अपनी गिरफ्त में लेने लगे। इससे युवाओं में इन नशों की लत तेजी से फैलने लगी। इससे समाज की स्थिति भयावह हो गई। कई घर-परिवार तबाह हो गए, गरीबी ने उन्हें जकड़ लिया, और हत्याएँ, आत्महत्याएँ जैसी घटनाएँ आम हो गईं।     मनोहर सिंह राणा और गीता देवी का परिवार भी इस संकट से...

*प्रकृति की गोद में राणा थारू समाज: एक प्रेरणादायक कहानी**

चित्र
**प्रकृति की गोद में राणा थारू समाज: एक प्रेरणादायक कहानी** नवीन सिंह राणा की कलम से         ग्राम रामपुरा की हरी-भरी वादियों में बसा राणा थारू समाज अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ के लोग मेहनती, खुशहाल और प्राकृतिक जीवन जीने में विश्वास रखते थे। मगर पिछले कुछ वर्षों में नशे की लत ने यहाँ की शांति को भंग कर दिया था। नशे के कारण कई परिवार बर्बाद हो चुके थे, बच्चे अनाथ हो गए थे, बूढ़े मां बाप बेसहारा और पत्नियाँ अपने बच्चों की परवरिश को लेकर चिंतित थीं।     इस समाज की एक बहादुर महिला, सुमित्रा, जो अपने गाँव में सुमी दीदी के नाम से मशहूर थी, ने ठान लिया कि वह इस नशे की समस्या से अपने समाज को मुक्त करेगी। सुमी दीदी के पति भी नशे की लत के शिकार हो चुके थे और कुछ साल पहले ही उनका निधन हो गया था। अपने पति के निधन के बाद सुमी ने अपने बच्चों और समाज को सँभालने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।      एक दिन, सुमी दीदी ने गाँव के बीचों-बीच एक सभा का आयोजन किया। सभा का स्थान गाँव के सुंदर तालाब के किनारे चुना गया, जहाँ चा...

राणा थारू समाज की एक खुशहाल कहानी

### राणा थारू समाज की खुशहाल कहानी :नवीन सिंह राणा की कलम से  **पृष्ठभूमि:** तराई क्षेत्र के हरे-भरे जंगलों में बसा एक छोटा सा गाँव, 'हरियालीपुर', राणा थारू समाज का केंद्र था। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता अद्वितीय थी – चारों ओर फैले घने जंगल, नदी की कलकल करती धारा और खेतों में खिलते रंग-बिरंगे फूल। **मुख्य पात्र:** 1. **भीम सिंह राणा** - एक मेहनती किसान और परिवार का मुखिया। 2. **गौरी देवी** - भीम सिंह राणा की पत्नी, जो घर की देखभाल और खेती-बाड़ी में मदद करती थी। 3. **कमल सिंह राणा और कुमारी सरोज राणा** - भीम और गौरी के बच्चे, जो गाँव के स्कूल में पढ़ते थे। **कहानी:** भीम सिंह राणा एक मेहनती और अनुशासित व्यक्ति था। वह सुबह-सवेरे उठकर खेतों में काम करने निकल जाता। खेतों में काम के दौरान वह अपने बच्चों को प्रकृति के महत्व और इसके संरक्षण के बारे में भी समझाता। उसकी पत्नी गौरी देवी भी खेती में उसकी मदद करती थी और घर का काम संभालती थी।  भीम सिंह राणा का मानना था कि घर, काम और समाज के बीच संतुलन बनाए रखना ही सच्ची खुशी का आधार है। वह अपने बच्चों को भी यही सिखाता। भीम और गौरी ने अपने बच...

सम्मान का पथ: एक प्रेरणा दायक कहानी

सम्मान का पथ: एक प्रेरणा दायक कहानी  : नवीन सिंह राणा की 🖋️ से       छोटे से गाँव के एक साधारण परिवार में जन्मा रवि, पढ़ाई में हमेशा से अव्वल था। उसके माता-पिता ने हमेशा उसकी पढ़ाई के प्रति उसके जुनून को प्रोत्साहित किया, भले ही उनके पास सीमित संसाधन थे। रवि ने अपनी मेहनत और लगन से इंटरमीडिएट परीक्षा में गाँव में प्रथम स्थान प्राप्त किया।       गाँव के स्कूल में हर साल मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए एक सम्मान समारोह आयोजित होता था, जिसमें उन्हें पुरस्कृत किया जाता था और आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। इस साल, रवि को भी इस समारोह में सम्मानित किया जाना था।       समारोह का दिन आया, और स्कूल में गाँव के सभी प्रमुख लोग, अध्यापक, और विद्यार्थियों के माता-पिता एकत्रित हुए। मंच पर जब रवि का नाम पुकारा गया, तो उसके माता-पिता की आँखों में गर्व और खुशी के आँसू थे। रवि ने मंच पर जाकर पुरस्कार और प्रमाणपत्र प्राप्त किया। उसे सम्मानित करने के लिए गाँव के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति, श्रीमान वर्मा जी, आए थे।     ...

एकता की शक्ति का रहस्य

### एकता की शक्ति का रहस्य  :नवीन सिंह राणा की कलम से  एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक सुंदर आम का बाग था। इस बाग में 12वृक्ष थे, जो अपनी मिठास और सुगंध के लिए प्रसिद्ध थे। गांव के लोगों ने इन पेड़ों की देखभाल के लिए एक 12 मालियों की टोली बनाई। शुरुआत में, सभी सदस्य मिल-जुल कर काम करते थे, जिससे बाग बहुत हरा-भरा और फलदायी हो गया। परन्तु धीरे-धीरे सदस्यों में आपसी बात नही बनने लगी ।कोई एक सदस्य कहता कि पानी कब देना चाहिए, तो दूसरा कहता कि खाद कब डालनी चाहिए। सभी सदस्य अपने-अपने तरीके से काम करना चाहते थे, जिससे बाग की देखभाल ठीक से नहीं हो पाई और पेड़ सूखने की कगार पर आ गए। एक दिन गांव के एक बुजुर्ग, जो अपने अनुभव और ज्ञान के लिए जाने जाते थे, उन्होंने इस समस्या को देखा और सभी सदस्यों को एकत्रित किया। उन्होंने एक छोटी सी कहानी सुनाई: "एक बार एक किसान के पास 10 मजबूत बैल थे। जब सभी बैल एक साथ मिलकर हल खींचते थे, तो खेत बहुत अच्छी तरह से जुतता था और फसलें भी बहुत अच्छी होती थीं। लेकिन कुछ दिनों बाद बैल अपनी अपनी मर्जी से काम करने लगे , बैल ताकत लगाता तो दूसरा ढीला पड़ जा...

"प्रतिभा का सम्मान: एक संगठन की कहानी"

Written and published by Naveen Singh Rana  "प्रतिभा का सम्मान: एक संगठन की कहानी" एक छोटे शहर में एक छोटा सा दुकानदार था जो अपनी दुकान में अकेला काम करता था। वह हमेशा अपने ग्राहकों के साथ मिलनसार और मित्रता से व्यवहार किया करता था। एक दिन, एक संगठन के मालिक ने उसे अपने ग्राहकों के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए अपना सलाह दिया। दुकानदार ने उसे सुना और उसका सुझाव माना, लेकिन उसने यह भी कहा कि उसका प्रमुख कर्मचारी भी अच्छा काम कर रहा है। मालिक ने उसे नए काम के लिए बुलाया और उसने बेहतरीन परिणाम प्राप्त किए। धीरे-धीरे, मालिक ने अपने दुकान में सभी कर्मचारियों की प्रतिभा को पहचाना और उनका उपयोग किया। उसने अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए उनके प्रतिभा का सही तरीके से उपयोग किया और अच्छे परिणाम प्राप्त किए। सभी कर्मचारियों की छिपी प्रतिभाओं का पूरा लाभ मिलने से उसका व्यवसाय तेजी से आगे बढ़ रहा था। इस कहानी से समझ मिलता है कि किसी भी संगठन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि उसके सभी कर्मचारियों की प्रतिभा का सम्मान किया जाए और उनका सही तरीके से उपयोग किया जाए। इससे संगठन को बेहतरीन परिणाम प्राप्...

मेरा परिचय मेरा इतिहास,:तीन भयावह जौहर और विस्थापन की व्यथा

चित्र
Published by Naveen Singh Rana  मेरा परिचय मेरा इतिहास (तीन भयावह जौहर और विस्थापन की व्यथा) श्रीमती पुष्पा राणा जी द्वारा रचित                     ______****_______              मैं वही हृदय में जिसके ।                  घनीभूत पीड़ा है ।।             सहस्त्र घाव है हल्दीघाटी के ।                  छलनी जिसका सीना है।।              कश्यप गोत्री सूर्यवंश है ।                  मां ने यही बताया था ।।              मनु शतरूपा ने मिलकर ।                    सृष्टि को पुनः रचाया था।।               दादा तेरे नृप दिलीप ने।         ...

*"नानकमत्ता डैम त्रासदी: विस्थापन और विनाश की कहानी"

**"नानकमत्ता डैम त्रासदी: विस्थापन और विनाश की कहानी"* * नवीन सिंह राणा की कल्पनाओ में एक वास्तविक घटना वर्णन      नानक मता डैम के निर्माण और उसके बाद  की घटना काफी हृदय विदारक और इतिहास में दर्ज किया जाने वाला है। नानकमत्ता डैम का निर्माण उत्तराखंड राज्य के उधम सिंह नगर जिले में किया गया था। यह डैम नदी पर बनाया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन था। लेकिन इसके निर्माण ने कई ग्रामीणों के जीवन को प्रभावित किया। ### डैम निर्माण और विस्थापन       डैम के निर्माण से पहले, इस क्षेत्र में राणा समाज के गांव बसे हुए थे। इन गांवों में लोग वर्षों से बसे हुए थे और उनकी पूरी जीवनशैली और संस्कृति वहीं की मिट्टी से जुड़ी हुई थी। लेकिन जब सरकार ने डैम बनाने का निर्णय लिया, तो इन ग्रामीणों को अपने घर, खेत, और संपत्ति छोड़कर दूसरी जगह जाने पर मजबूर होना पड़ा।          विस्थापन की प्रक्रिया बहुत कठिन और कष्टप्रद थी। कई लोग अपनी जीवनभर की संपत्ति और खेती-बाड़ी वहीं छोड़ आए। विस्थापित परिवारों को नए स्थान पर बसने में बहुत कठि...

""शिक्षा के बदलते स्वरूप और उसके मूल्य""

""शिक्षा के बदलते स्वरूप और उसके मूल्य"" नवीन सिंह राणा की कलम से         पाँच दशकों में हमारे राणा समाज के गाँवों में शिक्षा की स्थिति में व्यापक परिवर्तन आया है। एक समय था जब गाँव-गाँव में स्कूलों की कोई व्यवस्था नहीं थी। शिक्षा का केंद्र एक छोटा सा सरकारी स्कूल होता था जो पाँच से सात मील की दूरी पर स्थित होता था। उस समय कुछ ही पढ़े-लिखे लोग होते थे जिन्हें अक्षर ज्ञान था, और वही लोग अन्य ग्रामीणों को अक्षर ज्ञान देकर उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाते थे।        उन दिनों की बात करें तो लोग भले ही औपचारिक शिक्षा में कमज़ोर होते थे, लेकिन उनमें ज्ञान की कोई कमी नहीं थी। वे धार्मिक ग्रंथों को पढ़कर याद कर लेते थे, और उनसे प्रेरणा लेकर गीत, भजन, और दास्तानें बनाते थे। ये लोग अपने ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाते थे, और इसी के माध्यम से समाज को शिक्षित और प्रेरित करते थे।       इसके विपरीत, आज शिक्षा के क्षेत्र में हमने बहुत प्रगति की है। गाँव-गाँव में स्कूल स्थापित हो चुके हैं, उच्च शिक्षा के अवसर बढ़ गए हैं, और डिजिटल माध्यमों से शिक्षा का प्...

""जन्म भूमि की माटी ""कविता

**जन्म भूमि की माटी** नवीन सिंह राणा द्वारा रचित  जन्म भूमि की माटी,  वह सोंधी-सोंधी खुशबू। बचपन की वो यादें,  मन में अब भी हैं जीवंत हूबहू।। गाँव की वो गलियाँ,  खेले और बड़े यहीं, सपनों की दुनिया ,  सजती बसती थी वहीं।। सफलता के शिखर पर,  जब पहुँच जाते यदा, पुरानी बचपन की यादें,  दिल में बसी रही सदा।। वो बचपन के साथी,  मासूम हंसी के पल। मिट्टी के वो घर,  दिल में बसते हर पल।। भूले तो कैसे भूले, उस माटी का कर्ज, जीवन की नींव,  वहीं से होती अर्ज।। अपने आधार को, हमेशा रखना याद, उनके भले के लिए, करना हर एक प्रयास। गाँव की सुबहें,  और वो ढलती शाम। खेतों की हरियाली,  और बचपन के नाम।। उन रिश्तों की गर्माहट,  वो अपनेपन का भाव। जीवन के सफर में,  बना रहता प्रभाव।। चाहे जितनी सफलता,  जीवन में मिले। जन्म भूमि की सेवा,  जब तक प्राण दिल से करे।। अपने समाज के विकास में,  अपना योगदान देते रहे। उनके भले के लिए,  हर पल तत्पर रहे।। जन्म भूमि की माटी,   है जीवन का सार। उसकी सेवा करना, है हमारा कर्तव्य अपार।। ...

**जन्म भूमि की मिट्टी की महक: हमारे अस्तित्व की नींव**

**जन्म भूमि की मिट्टी की महक: हमारे अस्तित्व की नींव** नवीन सिंह राणा की 🖋️ से  हर व्यक्ति के जीवन की कहानी उसकी जन्म भूमि से शुरू होती है। गाँव की गलियों में खेलते हुए, मिट्टी के कच्चे घरों में रहने का अनुभव, और बचपन के उन मासूम पलों की स्मृतियाँ, हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं। जीवन की इस यात्रा में चाहे हम कितनी भी ऊंचाइयों को छू लें, अपने गांव, बचपन के लोग, और पुरानी स्थिति को कभी भूलना नहीं चाहिए। गांव की वो सुबहें, जब सूरज की पहली किरण हमारे आंगन को छूती थी, और गाँव के बुजुर्गों का आशीर्वाद, जो हमारी सफलता की नींव रखते थे। वो छोटे-छोटे पल, जब हम दोस्तों के साथ खेलते थे, या जब गांव के मेले में मस्ती करते थे, ये सारी यादें हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा हैं।  सफलता की ऊंचाइयों को छूने के बाद भी, हमें उन लोगों का शुक्रगुजार होना चाहिए, जिन्होंने हमारे जीवन की शुरुआत में हमारा साथ दिया। हमारे गांव के लोग, जो अपने छोटे-छोटे साधनों से भी हमारी मदद करते रहे, उनके भले के लिए कुछ न कुछ जरूर करना चाहिए। हमारे आधार, हमारे लोग, और हमारे गांव का विकास हमारी जिम्मेदारी है। गाँव का विकास ...

""पांचवे दशक के आस पास, कैसे थे हमारे गांव ""

दादा जी के साथ बिताए कुछ अमूल्य लम्हों से ली गई यादें "" नवीन सिंह राणा की कलम से  हमारे अति बुजुर्ग दादा जी बताते थे कि पाँचवे दशक में जब हमारा गाँव चारों तरफ से आम के बगीचे और घने जंगल से घिरा था, वह एक स्वर्ग जैसा लगता था। कच्चे रास्ते, जो गाँव के दिल तक पहुँचते थे, उन पर चलना मानो किसी सपने में चलने जैसा था। बरसात के मौसम में ये रास्ते कीचड़ से भर जाते, पर जब सूरज की किरणें उन पर पड़तीं, तो वे सोने जैसे चमकने लगते थे। आम के बगीचे, जो चारों ओर फैले थे, हर समय ताजगी और मिठास से भरे रहते थे। वसंत ऋतु में जब आम के पेड़ों पर बौर आते, तो पूरा गाँव एक मीठी खुशबू में डूब जाता था। आम की डालियाँ लहलहातीं, और हर एक पेड़ मानो किसी कलाकार की कृति हो। गर्मियों में ये बगीचे जीवन से भर जाते, जब बच्चे और बड़े सभी पेड़ों से आम तोड़ने में व्यस्त रहते थे। पके हुए आमों की मिठास और उनके रस से भरे गूदे का स्वाद आज भी याद आता है। गाँव के लोग मुख्य रूप से गाय पालन से जीवन यापन करते थे। सुबह-सुबह जब सूरज की पहली किरणें धरती को छूतीं, तब हर घर से गायों की घंटियों की मधुर ध्वनि सुनाई देती थी। यह ध्व...

""काश मेरी लाडली तुम भी.......,""The sound of heart of a father for their daughter, forever' ""

""काश मेरी लाडली तुम भी.......,"" The sound of heart of Naveen Singh Rana  तुम्हारी मुस्कान में चमकता था सितारा, तुम्हारी आंखों में सपनों का था उजियारा। हर वर्ष हम मिलते रहे इस सम्मान के समारोह में, मेरे दिल को गर्व से भरने वाली, मेरी प्यारी बिटिया, तुम ही थी। पर इस बार, एक दर्द का बादल छा गया, तुम्हारे स्वास्थ्य ने हमें, अचानक से रुला गया। देख नहीं सकती, सुन नहीं सकती, बोल नहीं पाती अब तुम, मेरे दिल की धड़कन हो, फिर भी तुम्हारी हर धड़कन सुनता हूं मैं। तुम्हारे  साथ होने से भी कितना सूना है, मेरे लिए  तेरी हंसी के बिना ये संसार कितना रूखा है, मेरे लिए  कभी तुमने ही चमकाई थी ये शामें, आज तुम्हारे बिना बोले, दिल में है सिर्फ बिना खुशी कीहोती हैं बातें। मेरी लाडली, मेरी उम्मीदों की डोरी हो तुम, तुम्हारी यादें बचपन की सजीव हैं, जैसे कोई पवित्र सी कहानी। मैं जानता हूं, ये वक्त है कठिनाई का भले हो, पर तुम्हारे साहस में है, एक नई रौशनी की परछाईं। तुम्हारी संघर्ष की गाथा, हम सबको सिखाएगी, कि हर अंधेरे के बाद, नई सुबह भी आएगी। कोई उत्सव हो या जीवन का सफर, तुम्हारी हिम्मत ने ...

राणा थारू युवा जागृति समिति की नई कार्य का रणी का गठन

नवीन सिंह राणा द्वारा संपादित  दिनाक 21 अप्रैल 2024 को समिति के संघठन मंत्री जी ने एक आकस्मिक बैठक का आयोजन कर सभी निगरानी कमेटी के सदस्यों को आमंत्रित किया और सर्व सम्मति से पुरानी वर्किंग कमेटी को भंग कर दिया गया जिससे पूर्व अध्यक्ष श्री राजवीर सिंह राणा जी ने अपना इस्तीफा समिति को सौंप दिया। मीटिंग में त्दोपरांत नए अध्यक्ष हेतु प्रस्ताव मांगे गए जिसमे विभिन्न सदस्यो ने अलग अलग नामों के प्रस्ताव दिए जिनमे विभिन्न नामों पर चर्चा करते हुए दिल्लु सिंह राणा जी के नाम की सम्मति हुई । उसके बाद निगरानी कमेटी सद्स्य ब अध्यक्ष महोदय ने चर्चा द्वारा कार्य का रणी का गठन किया गया। जिसमे विभिन्न पदों को निम्न प्रकार सहमति बनी। स्रंच्छक: कुलदीप सिंह राणा वा राजवीर सिंह राणा  अध्यक्ष :डील्लू सिंह  सचिव :मनोज सिंह राणा चारूबेटा  उपाध्यक्ष: पवन सिंह राणा  कोषाध्यक्ष :वास्तव सिंह राणा  उप कोषाध्यक्ष/ऑडिटर: सुरजीत सिंह राणा  प्रवक्ता :दुष्यंत सिंह राणा  संघठन मंत्री: मनोज सिंह राणा  सांस्कृतिक प्रमुख: दीपक सिंह राणा  संस्कृतिक सह प्रभार: घनस्याम सिंह राण...

राणा समाज और उनकी उच्च संस्कृति written by shrimati pushpa Rana

Published by Naveen Singh Rana  ""राणा समाज और उनकी उच्च संस्कृति  "" श्रीमती पुष्पा राणा जी की कलम से लिखित   1:राणा राजपूतों का तराई क्षेत्र में विस्थापन: मैं आज पुन: भाव विभोर हूं जब अपने पिता पर पितामह की जीवन शैली पर एक नजर डालकर उनका विश्लेषण करती हूं राणा समाज के जीवन शैली हर तरह से शाश्वत सनातनी जीवन मूल्य पर आधारित थी। संभवत: इन्ही सार्वभौमिक जीवन मूल्यों को आत्मसात करके उन्हें अपने जीवन का आधार बनाना ही एकमात्र महत्वपूर्ण कारक रहा होगा जो विषम परिस्थितियों में राजस्थान से एक ऐसे दुरुह स्थान पर विस्थापित होने को मजबूर हुआ हमारा राणा समाज, जहां कदम कदम पर प्रकृति जीवन के अस्तित्व को चुनौती देती प्रतीत होती थी ।यह जो तराई क्षेत्र है ,तब घने जंगलों से आच्छादित था और जौरा साल जैसे जंगल जहां सूर्य की रोशनी तक नहीं पहुंचती थी। लगातार वारिस से तर रहने के कारण ही इस क्षेत्र का नाम तराई पड़ा ।यहां की उष्ण नाम न् जलवायु कीटाणु, बिषाणु तथा जहरीले सांप बिच्छुओं को पनपने के लिए एकदम मुफीद थी। ऐसी विषैली जलवायु में संसाधन हीन विस्थापित लोगों का ,जीवन के लिए संघर्...

""बहु विकलांगता का जीवन, कितना कठिन और दुश्वार""

चित्र
"बहु विकलांगता का जीवन,  कितना कठिन और दुश्वार" Composed by Naveen Singh Rana  एक शरीर जिसमे बसी,  कितनी पीड़ाएँ अपार। बहु विकलांगता का जीवन,  कितना कठिन और दुश्वार।। चलने में अक्षम,  हिलने में बाधा अपार। हर कदम पर जैसे,  हो काँटों का भार।। आंखों में धुंधलापन,  सुनने में असीम दर्द। दुनिया की आवाजें,  लगती हों जैसे बेअर्थ।। हाथों में ताकत नहीं,  हो पैरों में जान नहीं। जीवन की हर चाहत,  हो जैसे बेजान कहीं।। दिल में उमड़ती भावनाएँ,  पर अभिव्यक्त न हो पाए। मन में बसे हजारों सपने,  पर सब हकीकत से डर जाए।। दर्द का ये अथाह सागर,  अश्रु की बहती सहस्त्र धाराएं। अस्त्र से हृदय को चीर, मिटती मन से हजारोंआशाएं।। हर दिन की लड़ती लड़ाई,  खुद से और निरंतर जग से। जीने की चाह है हरपल, फिर भी न हटे मन और रग रग से।। सपनों में उमंगों भरी उड़ान,  पर जमीं पर बंधी बेड़ियाँ, आशा की रोशनी में,  बस दुखों की कंटीली झड़ियाँ।। पर हिम्मत न हारता कभी, मन का वो शूर वीर, लड़ता है जीवन छन छन  रखकर बिना किसी धीर।। प्रेम और सह...

""शिक्षा से ही होगा बदलाव ""by Naveen Singh Rana

चित्र
राणा समाज का शिक्षा से , ही होगा अब बदलाव।  खो सकता है अस्तित्व , यदि न माना यह सुझाव।।1।। ज्ञान की रोशनी से , जगमगाए हर एक चेहरा। शिक्षा ही है वो राह,  जो दिखाएगा एक नया सवेरा।।2।। अनपढ़ता के अंधकार में , कहीं खो न जाएं हम। शिक्षा के दीप जलाकर, हर घर रोशनी फैलाएं हम।।3।। हर बच्चे को मिले अब, किताबों का पूरा सहारा। ज्ञान की इस गंगा में,  झूमे नित राणा समाज हमारा।।4।। सपने हों ऊँचे हर मन में, और हौसले हों मजबूत। शिक्षा से ही पंख लगें, सभी की उड़ानें हों दूर।।5।। सफलता की सीढ़ियों पर, हर बालक चढ़ते रहें निरंतर। शिक्षा का दीप जले , उजाले हों हर एक घर।।6।। सभी सफल जन अब, मिलकर करें ये निरंतर प्रयास। शिक्षा जागरुकता कर, ज्ञान का फैलाएं उजास।।7।। राणा समाज का हर कोना,  हर पल ज्ञान की बातों से गूंजे। राणा समाज का बच्चा बच्चा,  नित निरंतर पढ़ाई में ही झूमें।।8।। आओ हम सब मिलकर , अब एक नई शुरुआत करें। शिक्षा की ज्योति जला, अपने समाज के भविष्य संवारें।।9।। अज्ञानता का अंधकार मिटाएं,  ज्ञान का फैलाएं उजाला। राणा समाज का ...

"बिकती धरती मां की गोद"composed by Naveen Singh Rana

चित्र
Composed and Published by Naveen Singh Rana  बिकती धरती मां की गोद  धरती माँ की गोद से , बिछड़ते राणा किसान। बिक रही है उनकी ज़मीन,  बिछड़ रहे अरमान।।1।। खेतों में खिलती थी जहाँ,  हरियाली की कहानी। आज बिकते हैं वे हिस्से,  जैसे बिक रही जवानी।।2।। पसीने से सींची थी जो धरा,  दुखद वही बिक गई। किसान की मेहनत मानो , एक धुंधली याद बन गई।।3।। वो पेड़, वो पौधे,  वो लहलहाती फसल की बयार। सब छूट ते जा रहे ,रह गए बस सूने-से घर द्वार।।4।। गाँव की गलियों में अब , सुनाई सी देती है तन्हाई। धरोहर की इस बर्बादी ने अब ,हर आँख को है रुलाई।।5।। कहाँ गया वो अपनापन,  कहाँ अपनेपन की छाँव। अपनी धरती को बेचकर खो रहा,  सपनो सा अपना गाँव।।6।। हर बूंद पसीने की, हर कण  माटी का है पुकारता । धरती का दर्द, दिल में , एक टीस सी है मारता ।।7।। आओ मिलकर , फिर से उठाएँ ये सवाल। धरती माँ की रक्षा में,  हम सब करें कमाल।।8।। ना बेचो ये धरोहर,  ना छीनो धरती मां का हक। धरती माँ की सेवा में,  तत्पर हों सब सच्चे बेशक।।9।। ...