राणा थारू समाज की एक खुशहाल कहानी

### राणा थारू समाज की खुशहाल कहानी
:नवीन सिंह राणा की कलम से 

**पृष्ठभूमि:**
तराई क्षेत्र के हरे-भरे जंगलों में बसा एक छोटा सा गाँव, 'हरियालीपुर', राणा थारू समाज का केंद्र था। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता अद्वितीय थी – चारों ओर फैले घने जंगल, नदी की कलकल करती धारा और खेतों में खिलते रंग-बिरंगे फूल।

**मुख्य पात्र:**
1. **भीम सिंह राणा** - एक मेहनती किसान और परिवार का मुखिया।
2. **गौरी देवी** - भीम सिंह राणा की पत्नी, जो घर की देखभाल और खेती-बाड़ी में मदद करती थी।
3. **कमल सिंह राणा और कुमारी सरोज राणा** - भीम और गौरी के बच्चे, जो गाँव के स्कूल में पढ़ते थे।

**कहानी:**

भीम सिंह राणा एक मेहनती और अनुशासित व्यक्ति था। वह सुबह-सवेरे उठकर खेतों में काम करने निकल जाता। खेतों में काम के दौरान वह अपने बच्चों को प्रकृति के महत्व और इसके संरक्षण के बारे में भी समझाता। उसकी पत्नी गौरी देवी भी खेती में उसकी मदद करती थी और घर का काम संभालती थी। 

भीम सिंह राणा का मानना था कि घर, काम और समाज के बीच संतुलन बनाए रखना ही सच्ची खुशी का आधार है। वह अपने बच्चों को भी यही सिखाता। भीम और गौरी ने अपने बच्चों को प्रकृति के प्रति सम्मान, परिवार के प्रति प्यार और समाज के प्रति जिम्मेदारी का पाठ सिखाया।

एक दिन गाँव में एक बड़ी सभा का आयोजन हुआ। भीम सिंह राणा ने सभा में गाँववालों को संबोधित करते हुए कहा, "हमारा जीवन तब ही सुकून भरा हो सकता है जब हम घर, काम और समाज में सामंजस्य बिठा कर चलें। हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और इसके संसाधनों का सही उपयोग करना चाहिए। बच्चों को संस्कार सिखाना बहुत जरूरी है ताकि वे बड़े होकर अच्छे इंसान बन सकें।"

उसके इस भाषण ने गाँववालों पर गहरा प्रभाव डाला। सभी ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में भीम सिंह राणा के बताए मार्ग का अनुसरण करेंगे। धीरे-धीरे गाँव में खुशहाली फैलने लगी। बच्चे अपने बुजुर्गों का आदर करने लगे और प्रकृति के महत्व को समझने लगे। खेतों में हरियाली बढ़ने लगी और गाँव का हर कोना फूलों से सज गया।

कमल सिंह राणा और कुमारी सरोज राणा भी अपने पिता के आदर्शों पर चलते हुए पढ़ाई में अच्छे अंक लाने लगे। वे हमेशा अपने दादा-दादी की सेवा करते और गाँव के अन्य बच्चों को भी पढ़ाई में मदद करते। गाँव का वातावरण खुशहाल और समृद्ध हो गया। 

भीम सिंह राणा और गौरी देवी की मेहनत और उनके द्वारा सिखाए गए संस्कारों का असर पूरे गाँव पर दिखने लगा। सभी गाँववाले मिलजुल कर त्योहार मनाते, एक दूसरे की मदद करते और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते।

इस प्रकार, राणा थारू समाज का यह छोटा सा गाँव, 'हरियालीपुर', सामंजस्य, संस्कार और प्राकृतिक सौंदर्य का जीवंत उदाहरण बन गया। यहाँ की हरियाली, लोगों का प्यार और सामूहिकता का भाव सबको एक साथ बांध कर रखता था, जिससे हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान और दिल में सुकून था।

### अंत:
हरियालीपुर गाँव की कहानी यह संदेश देती है कि जब इंसान घर, काम और समाज में संतुलन बना कर चलता है, तो न केवल उसका अपना जीवन खुशहाल होता है बल्कि उसका समाज भी समृद्ध और सुसंस्कृत बनता है।
:नवीन सिंह राणा 

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