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श्री लबरू सिंह राणा: एक प्रेरणादायक जीवन

 श्री लबरू सिंह राणा: एक प्रेरणादायक जीवन ,(श्री सुरजीत सिंह राणा प्रवक्ता राधेहररि इंटर कॉलेज टनकपुर,श्री नरेंद्र सिंह  राणा प्रवक्ता एवम श्री नवीन सिंह राणा अध्यापक द्वारा विभिन्न स्रोत से सामूहिक रूप से  जानकारी एकत्र की गई)  Written & Published by Naveen Singh Rana  सामान्य परिचय  **नाम:** श्री लबरू सिंह राणा   **पिता का नाम:** स्वर्गीय बृजलाल सिंह राणा   **माता का नाम:** स्वर्गीय लीलावती देवी   **पता:** ग्राम व पोस्ट- भूडाकिशनी, ब्लॉक- खटीमा, जिला- ऊधम सिंह नगर   **जन्म तिथि:** 06.06.1957   **शिक्षा:** इंटरमीडिएट, स्नातक  , बीटीसी  --- प्रारंभिक जीवन और शिक्षा श्री लबरू सिंह राणा जी का जन्म 6 जून 1957 को उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के एक छोटे से गाँव भूडाकिशनी में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही स्कूल में हुई, उसके बाद उन्होंने इंटरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त की। शिक्षा के प्रति उनकी रुचि और समाज सेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें स्नातक की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।  कार्य अन...

The story of freedom from the chains of superstition**

The story of freedom from the chains of superstition** Published by Naveen Singh Rana The same tradition had been going on for generations in a village called Sudarshanpur. Every year, the villagers used to attend Baba's satsang in large numbers. Baba claimed that he had divine powers that could solve everyone's problems. The villagers' devotion was so deep that they had stopped using their thinking and discretion. And they kept on associating with him day and night with faith. And they kept on hoping for every task to be done through wishes and prayers. Due to which sometimes they had to face big troubles. But they did not let their faith waver. Rajendra Singh was the most educated person in the village. He had studied in a big city and was a supporter of science and logic. When he came back to the village, he saw that instead of finding solutions to the difficulties in their lives due to superstition, people were making their problems even more complicated. He decided to ...

अंधविश्वास की जंजीरों से मुक्ति की कथा

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**अंधविश्वास की जंजीरों से मुक्ति की कथा** Published by Naveen Singh Rana  सुदर्शनपुर नामक गाँव में कई पीढ़ियों से एक ही परंपरा चली आ रही थी। हर साल, गाँव के लोग बाबा के सत्संग में बड़ी संख्या में शामिल होते थे। बाबा का दावा था कि उनके पास ईश्वरीय शक्तियाँ हैं जो हर किसी की परेशानी दूर कर सकती हैं। गाँव वालों की भक्ति इतनी गहरी थी कि उन्होंने अपनी सोच और विवेक का इस्तेमाल बंद कर दिया था। और दिन रात उन्हीं पर विश्वास बनाकर संगत करते रहते थे। और कामनाओं , प्रार्थनाओं के द्वारा ही हर कार्य होने की आशा करते रहते थे। जिससे कभी कभी उनको बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ जाता था। लेकिन विश्वास को डिगने नही देते थे।      राजेन्द्र सिंह गाँव का सबसे पढ़ा-लिखा व्यक्ति था। उसने बड़े शहर में पढ़ाई की थी और वह विज्ञान और तर्क का समर्थक था। जब वह गाँव वापस आया, तो उसने देखा कि लोग अंधविश्वास के कारण अपने जीवन की कठिनाइयों का समाधान खोजने के बजाय, अपनी समस्याओं को और भी जटिल बना रहे हैं। उसने गाँव वालों से बात करने का फैसला किया, लेकिन उसकी बातें किसी ने नहीं सुनीं। लोग उसे...

Lessons of Heritage: The need to return to traditions (An inspirational story written in the burning and current context of society)Written and published by Naveen Singh Rana

Lessons of Heritage: The need to return to traditions (An inspirational story written in the burning and current context of society) Written and published by Naveen Singh Rana   Rana Tharu society, which has been nature worshippers for centuries and has faith in its deities, is slowly drifting away from its roots, which is adversely affecting those people of the society who earn their livelihood by hard work and a large part of it is wasted in such activities, the profit of which goes to those babas, preachers or such people who earn their livelihood by misleading people. This story is of a family that left its old beliefs and worship practices and started living its life in the company of new sects and babas. Continuous company of babas and sermons not only wasted their precious time, but also the time for earning a livelihood started decreasing. They started getting so engrossed in those sermons that they started feeling other worships or beliefs to be of a low level, which start...

धरोहर की सीख: परंपराओं की ओर वापसी की अवश्यकता(समाज की ज्वलंत और वर्तमान परिपेक्ष्य में लिखी गई प्रेरणादायक कहानी )

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*धरोहर की सीख: परंपराओं की ओर वापसी की अवश्यकता(समाज की ज्वलंत और वर्तमान परिपेक्ष्य में लिखी गई प्रेरणादायक कहानी ) Written and published by Naveen Singh Rana            राणा थारू समाज, सदियों से प्रकृति पूजक और अपने इष्ट देवों और देवियों के प्रति आस्था रखने वाला समाज, धीरे-धीरे अपने मूल से दूर होता जा रहा है, जिसके प्रतिकूल प्रभाव समाज के उन लोगों पर पड़ रहा है जो कड़ी मेहनत से आजीविका कमा पाते हैं और उसका एक बड़ा हिस्सा ऐसे कार्यों में व्यर्थ हो जाता है जिसका लाभ उन बाबाओं, प्रवचन करने वाले लोगों अथवा ऐसे लोगों के पास चला जाता है  जो लोगों को गुमराह कर अपनी आजीविका चलाते हैं।यह कहानी एक ऐसे परिवार की है जिसने अपनी पुरानी मान्यताओं और पूजा पद्धतियों को छोड़कर नए संप्रदायों और बाबाओं की संगत में अपना जीवन बिताना शुरू कर दिया था। निरंतर बाबाओं की संगत और प्रवचन से कहीं न कहीं उनका कीमती समय तो बरबाद होता ही, साथ ही आजीविका कमाने हेतु समय भी कम होने लगा। वे इस तरह से उन प्रवचनों में रमने लगे कि अन्य पूजा अर्चना अथवा मान्यताएं उनको निम्न स्तर...

Thinking is different and the journey is one: Inspirational poemWritten and Published by Naveen Singh Rana

Thinking is different and the journey is one:  Thinking is different and the journey is one: Inspirational poem Written and Published by Naveen Singh Rana You have great thinking, and so do I. But there is a wall of selfishness in your way, You break even as you join, And my view is only about connecting. I unite, I do not divide, There is no spark of selfishness in my heart. You don't care about anyone, and neither do I, But our cares tell a different story. You want to run and move forward, You leave the world behind at a fast speed. I also want to move forward, But my steps are connected with patience. You are competing to get ahead of others, My only competition is with myself, I don't want to upset anyone, I just want to improve myself. For you the only destination is victory, For me, travelling is my way of life. There is shine and wealth in your competition, There is peace and love in my competition. Your paths are different, your dreams too, My dreams are just a little ...

सोच अलग और सफर एक : प्रेरणादायक कविता

"सोच अलग और सफर एक : प्रेरणादायक कविता  Published by Naveen Singh Rana  तुम्हारी सोच बड़ी है, और मेरी भी।   पर तुम्हारे रास्ते में स्वार्थ की दीवार है,   तुम जोड़ते हुए भी तोड़ देते हो,   और मेरा नजरिया तो सिर्फ़ जोड़ने में ही है।   मैं जोड़ता हूँ, तोड़ता नहीं,   स्वार्थ की चिंगारी मेरे दिल में नहीं।   तुम्हें किसी की परवाह नहीं, और मुझे भी,   पर हमारी परवाहों में एक अलग कहानी है। तुम दौड़कर आगे बढ़ना चाहते हो,   तेज़ रफ़्तार से दुनिया को पीछे छोड़ते हो।   मैं भी आगे बढ़ना चाहता हूँ,   पर मेरे कदम धीरज से जुड़ते हैं।   तुम्हारी होड़ है, दूसरों से आगे निकलने की,   मेरी होड़ सिर्फ खुद से है,   मैं नहीं चाहता किसी को पछाड़ना,   मेरी चाहत है बस खुद को निखारना। तुम्हारे लिए मंजिल सिर्फ जीत है,   मेरे लिए सफर ही मेरी रीत है।   तुम्हारी होड़ में चमक है, दौलत है,   मेरी होड़ में सुकून है, मोहब्बत है। तुम्हारे रास्ते अ...

वीरता और श्रद्धा का प्रतीक: महाराणा प्रताप की कुलदेवी सुंधा माता मंदिर(ऐतिहासिक एवं यात्रावृत पुस्तकों के आधार पर वर्णित,,)

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वीरता और श्रद्धा का प्रतीक: महाराणा प्रताप की कुलदेवी सुंधा माता मंदिर(ऐतिहासिक एवं यात्रावृत पुस्तकों के आधार पर वर्णित,,) Published by Naveen Singh Rana     सुंधा माता मंदिर राजस्थान के जालौर जिले के दांतलावास गांव के पास स्थित एक ऐतिहासिक और पौराणिक तीर्थस्थल है। यह मंदिर अरावली पर्वतमाला की सुंधा पहाड़ी पर स्थित है, जो अपनी अद्वितीय धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता के लिए जाना जाता है। सुंधा माता मंदिर सुंधा माता का मंदिर राजस्थान के जालौर जिले से लगभग 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप भीनमाल से यात्रा कर रहे हैं, तो यह स्थान करीब 35 किलोमीटर दूर है। मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको रानीवाड़ा तहसील के दांतलावास गांव से गुजरना होगा। मंदिर की विशेषता सुंधा माता मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां देवी की प्रतिमा बिना धड़ के है, जिसके कारण उन्हें अधदेश्वरी भी कहा जाता है। अरावली पर्वतमाला की इस पहाड़ी का नाम सुंधा है, इसलिए देवी को सुंधा माता के नाम से भी जाना जाता है।  पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व सुंधा माता मंदिर का पौराणिक महत्व त्रिपुर राक्षस का वध कर...

विश्व क्षुद्रग्रह दिवस: हमारे ग्रह की सुरक्षा का आह्वान

विश्व क्षुद्रग्रह दिवस: हमारे ग्रह की सुरक्षा का आह्वान संपादकीय  राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति  30 जून को मनाया जाने वाला विश्व क्षुद्रग्रह दिवस हमें उन क्षुद्रग्रहों के संभावित खतरों की याद दिलाता है, जो पृथ्वी से टकरा सकते हैं। 1908 में साइबेरिया के तुंगुस्का में हुए विस्फोट ने इस खतरे को उजागर किया था, जिससे लाखों पेड़ नष्ट हो गए थे। आज, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति के बावजूद, हमें क्षुद्रग्रहों की निगरानी और उनसे बचाव के उपायों पर लगातार ध्यान देना चाहिए। क्षुद्रग्रह दिवस का उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना है। वैज्ञानिक और अंतरिक्ष एजेंसियां क्षुद्रग्रहों के अध्ययन और उनकी कक्षाओं की निगरानी के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रही हैं। नासा और ESA जैसे संगठनों ने संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रहों की पहचान और उनसे निपटने के तरीकों पर काम किया है।  हालांकि, इन प्रयासों को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि क्षुद्रग्रहों के बारे में जागरूकता और उनसे बचाव के उपायों में सामूहिक प्रयास की जरूरत है।...

गर्मियों की छुट्टी का अंतिम दिन: एक नई शुरुआत की ओर,(स्कूल जाने वाले बच्चों को समर्पित)

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गर्मियों की छुट्टी का अंतिम दिन: एक नई शुरुआत की ओर नवीन सिंह राणा की कलम से       गर्मियों की छुट्टियाँ बच्चों के जीवन का एक अनमोल हिस्सा होती हैं। ये दिन उनके लिए न सिर्फ आराम और मनोरंजन का समय होते हैं, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। खेलकूद, नई जगहों की सैर, और पारिवारिक गतिविधियों में बिताए गए ये पल उनके जीवन में अनमोल यादें बनकर रहते हैं।     आज गर्मियों की छुट्टी का अंतिम दिन है। कल से स्कूल के दरवाजे फिर से खुलेंगे, और बच्चों के लिए एक नया शैक्षणिक सत्र शुरू होगा। यह दिन बच्चों और उनके माता-पिता दोनों के लिए खास होता है। बच्चों के मन में उत्साह के साथ-साथ थोड़ी सी उदासी भी होती है। छुट्टियों के मजे और मस्ती को छोड़कर फिर से नियमित स्कूल जीवन में लौटने का समय आ गया है।     इस अंतिम दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह बच्चों को जिम्मेदारियों की ओर लौटने की याद दिलाता है। छुट्टियों के दौरान जो ऊर्जा और नई उमंग उन्होंने संजोई है, उसे अब वे अपने अध्ययन में लगाकर नई उपलब्धियाँ हा...

Safe Journey: Sudeep's Inspiring Story(Inspirational story based on sections under Motor Vehicle Act)

Safe Journey: Sudeep's Inspiring Story (Inspirational story based on sections under Motor Vehicle Act) Published by Naveen Singh Rana Sudeep lived in a small village, where most people traveled by bicycle or on foot. Sudeep worked hard for several years and eventually succeeded in buying a used motorcycle. This was a great achievement for him and he started using the motorcycle with pride. One day, Sudeep was planning to go to the city with his friend Ravi. Ravi asked Sudeep, "Do you have a driving license?" Sudeep said reluctantly, "No, I haven't got it yet." Ravi said seriously, "You should get a driving license under Section 3, driving without a license is illegal." Sudeep took Ravi's advice seriously and immediately applied for a driving license. He got the license within a few days. He could now drive his motorcycle legally and was also assured of safety. A few months later, Sudeep had to travel to another city for work. He noticed that th...

**सुरक्षित सफर: सुदीप की प्रेरणादायक कहानी**(मोटर व्हीकल एक्ट के तहत धाराओं पर आधारित प्रेरणादायक कहानी )

सुरक्षित सफर: सुदीप की प्रेरणादायक कहानी  (मोटर व्हीकल एक्ट के तहत धाराओं पर आधारित प्रेरणादायक कहानी ) Published by Naveen Singh Rana  सुदीप एक छोटे से गाँव में रहता था, जहाँ ज्यादातर लोग साइकिल या पैदल यात्रा करते थे। सुदीप ने कई वर्षों तक कड़ी मेहनत की और अंततः एक पुरानी मोटरसाइकिल खरीदने में सफल रहा। यह उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी और उसने गर्व के साथ मोटरसाइकिल का उपयोग करना शुरू कर दिया। एक दिन, सुदीप अपने दोस्त रवि के साथ शहर जाने की योजना बना रहा था। रवि ने सुदीप से पूछा, "तुम्हारे पास ड्राइविंग लाइसेंस है न?" सुदीप ने अनमने मन से कहा, "नहीं, अभी तक नहीं बनवाया।" रवि ने गंभीरता से कहा, "तुम्हें धारा 3 के तहत ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना चाहिए, बिना लाइसेंस के वाहन चलाना अवैध है।" सुदीप ने रवि की सलाह को गंभीरता से लिया और तुरंत ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया। कुछ ही दिनों में उसे लाइसेंस मिल गया। वह अब कानूनी रूप से अपनी मोटरसाइकिल चला सकता था और उसे सुरक्षा का भी भरोसा था। कुछ महीनों बाद, सुदीप को काम के सिलसिले में दूसरे शहर जाना पड़ा। उसने दे...

विस्वास की वापसी: एक कहानी

"विश्वास की वापसी: एक कहानी  Published by Naveen Singh Rana    एक बार की बात है, एक गाँव में सुदामा नाम का व्यक्ति रहता था। सुदामा ने अपने बचपन के दोस्त गोविंद से कुछ पैसे उधार लिए थे। गोविंद ने दोस्ती के नाते बिना किसी हिचकिचाहट के पैसे दे दिए थे, लेकिन सुदामा ने उधार चुकाने की तारीख पर तारीख बदलना शुरू कर दिया।        गोविंद को समझ नहीं आ रहा था कि वह अपने पैसे कैसे वापस पाए। उसने गाँव के बुजुर्गों से सलाह ली। बुजुर्गों ने उसे कुछ तरकीबें सुझाईं। सीधा संवाद  सबसे पहले गोविंद ने सोचा कि वह सुदामा से सीधे बात करेगा। उसने विनम्रता से सुदामा से मुलाकात की और उसकी स्थिति समझने की कोशिश की। सुदामा ने उसे फिर से एक नई तारीख दे दी। लिखित अनुबंध गोविंद ने अगली बार सुदामा से मिलने पर एक लिखित अनुबंध बनाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने एक पत्र पर दोनों ने हस्ताक्षर किए जिसमें यह लिखा था कि सुदामा किस तारीख तक और कैसे उधार चुकाएगा। यह एक कानूनी तरीके से सुरक्षा की तरह था। साक्षी का प्रयोग  गोविंद ने सुदामा से मिलने के दौरान गाँव के दो विश्वसनीय व्यक्तियों ...

क्यों जरूरी हैं?कानून की बारीकियों की जानकारी: कुसुम की कहानी

क्यों जरूरी हैं?कानून की बारीकियों की जानकारी: कुसुम की कहानी  Published by Naveen Singh Rana       कुसुम एक छोटे से गांव की रहने वाली थी। वह एक मेहनती और उत्साही महिला थी, जो अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए रोज सुबह-सुबह दूध लेकर शहर में बेचने जाती थी। एक दिन, जब कुसुम अपनी साइकिल पर दूध के कैन लादकर शहर जा रही थी, तो एक तेज़ रफ़्तार से आती हुई कार ने उसे टक्कर मार दी और मौके से भाग निकली। कुसुम गंभीर रूप से घायल हो गई और सड़क पर बेहोश पड़ी रही।    कुछ राहगीरों ने यह देखा और तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाया। कुसुम की हालत गंभीर थी, लेकिन समय पर चिकित्सा मिल जाने से उसकी जान बच गई। अस्पताल में भर्ती होते ही पुलिस को सूचना दी गई और कुसुम के परिवार को भी खबर दी गई।  कुसुम के पति रामु, जिसने कभी कानून की बारीकियों के बारे में नहीं सोचा था, अब इस कठिन स्थिति में फंस गया था। उसने अपने गाँव के मुखिया से सलाह ली, जिन्होंने उसे एफआईआर दर्ज करवाने की सलाह दी। रामु पुलिस स्टेशन गया और एक एफआईआर दर्ज करवाई, जिसमें उसने अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर मारने की ...

# कहानी: **जीवन की सीख**धारा 129

कहानी: जीवन की सीख (सावधानी ही बचाव) Published by Naveen Singh Rana  रवि एक युवा लड़का था जो अपने गाँव से शहर में पढ़ाई करने के लिए आता था। उसके पास एक पुरानी मोटरसाइकिल थी जिसे वह अपने पिता से उपहार में मिला था। रवि का स्वभाव मस्तीभरा और कुछ लापरवाह था। हेलमेट पहनना और ट्रैफिक नियमों का पालन करना उसे समय की बर्बादी लगता था।  एक दिन, रवि अपने दोस्तों के साथ शहर में घूमने निकला। उसने बिना हेलमेट पहने ही अपनी मोटरसाइकिल तेज गति से चलाई और ट्रैफिक सिग्नल की परवाह किए बिना आगे बढ़ गया। अचानक, एक कार से टकरा जाने के कारण उसे गंभीर चोटें आईं। अस्पताल में भर्ती कराने के बाद डॉक्टर ने बताया कि हेलमेट न पहनने के कारण उसका सिर में गंभीर चोट आई है, जिसे ठीक होने में लंबा समय लगेगा।     रवि के इस हादसे ने उसके परिवार को हिला कर रख दिया। अस्पताल में रहते हुए रवि ने मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 129 के बारे में सुना, जिसमें यह अनिवार्य है कि दोपहिया वाहन चलाने वाले हर व्यक्ति को सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनना चाहिए। उसे एहसास हुआ कि अगर उसने हेलमेट पहना होता तो उसकी चोट इतनी गंभीर नहीं हो...

संघर्ष और उम्मीद: राणा थारू किसान की गाथा (वर्तमान में सच्ची घटनाओं पर आधारित)

संघर्ष और उम्मीद: राणा थारू किसान की गाथा  Published by Naveen Singh Rana       सुबह का सूरज उगते ही रमेश सिंह राणा की आंख खुल गई। चारों ओर फैले खेतों का नजारा उसके लिए एक नई उम्मीद लाता था, लेकिन साथ ही एक गहरी चिंता भी। रमेश सिंह राणा जो राणा थारू समाज का एक छोटा किसान था, अपने परिवार की जिम्मेदारियों और खेती के उच्च लागत के बीच जूझ रहा था खेती किसानी से उतना लाभ नही हो पा रहा था, इसलिए साथ में छोटे मोटे और काम भी करने होते थे, तब जाकर जिन्दगी का पहिया गांव की ऊबड़ खाबड़ रास्ते में चल पाता था।      रमेश सिंह राणा के पास थोड़ी सी जोत वाली जमीन थी, जिसमें वह अपने परिवार के लिए अन्न उगाता था। उसकी पत्नी, सुनीता, और दो छोटे बच्चे उसकी दुनिया थे। महंगाई बढ़ रही थी और परिवार की जरूरतें भी। सुनीता देवी अक्सर बीमार रहती थी काम के बोझ और जिम्मेदारियों ने उसे और अधिक कमजोर बना दिया था और साथ में महंगी दवाइयों के कारण उनकी आर्थिक स्थिति और भी कठिन हो जाती थी लेकिन जीवन तो जीना ही है घर की रोजी रोटी की चक्की तो चलानी ही है। और मांग कर भी तो हर कोइ गुजारा नह...

बिजली की गर्जना और जीवन की संवेदना : संपादकीय राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति

बिजली की गर्जना और जीवन की संवेदना : संपादकीय  राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति  Published by Naveen Singh Rana       प्राकृतिक आपदाओं की भयावहता और उनकी अप्रत्याशितता ने हमेशा मानव जाति को चौंकाया है। 24 जून को सैजना गांव में जो घटित हुआ, वह एक दर्दनाक त्रासदी थी जिसने न केवल एक परिवार को बल्कि पूरे समाज को हिला कर रख दिया। एक किसान परिवार के दो जवान बच्चे, 19 वर्षीय सुमित सिंह और 22 वर्षीय सुहावनी राणा, जब अपने खेत में रोपाई कर रहे थे, तब अचानक बिजली की चपेट में आ गए और उनकी ह्रदय गति रुकने से उनकी मृत्यु हो गई। यह घटना एक गहरा आघात थी, जिसने उन माता-पिता, भाई-बहनों और पूरे गांव को अपार दुःख में डुबो दिया। एक और घटना में, 26 जून को मगर सड़ा गांव के निवासी सचिन राणा की भी बिजली गिरने से मृत्यु हो गई, जब वह अपने खेत में काम कर रहे थे। इस प्रकार की घटनाएँ हमें यह एहसास दिलाती हैं कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने हम कितने असहाय हैं, और हमें एहतियात बरतने की कितनी आवश्यकता है। सरकार ने पीड़ित परिवारों को आपदा राहत कोष से आर्थिक सहायता प्रदान की है, जो सराहनीय है,...

Clouds of disaster and its prevention: A story based on events written in the current context

Clouds of disaster and its prevention: A story based on events written in the current context Published by Naveen Singh Rana One day, Mohan Singh and Shyam Singh were on disaster management duty. It was a very dark night and it was raining heavily. Both were sitting in the control room and monitoring the surroundings of the village. This control room established by the government remained active to help during floods. And it was imposed every year in which employees were put on duty at different times and they used to perform their duties very diligently. Like every day, both of them were on duty, when Mohan heard a loud sound from the river. He felt that the water level of the river was suddenly rising. He immediately took up his torch and looked towards the river with Shyam. Due to heavy rain, the light of the torch was dim. When they went closer and looked in the light of the torch, they found that the water level of the river was rising rapidly and it seemed that it was slowly movi...

रानी दुर्गावती: सच्ची वीरांगना की शहादत को नमन (24 जून)

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रानी दुर्गावती: सच्ची वीरांगना की शहादत को नमन (24 जून) संपादकीय  राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति  Published by Naveen Singh Rana        रानी दुर्गावती, भारतीय इतिहास की एक अमर वीरांगना, जिनकी वीरता और साहस ने इतिहास के पन्नों में अमिट छाप छोड़ी है। उनका नाम सुनते ही आँखों के सामने एक ऐसी महिला की छवि उभरती है, जिसने अपने राज्य और सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनके शहादत दिवस पर हम सभी को उनका स्मरण करना चाहिए और उनके बलिदान से प्रेरणा लेनी चाहिए।      16वीं शताब्दी में गोंडवाना राज्य की महारानी बनने वाली रानी दुर्गावती ने न केवल प्रशासन में उत्कृष्टता दिखाई, बल्कि युद्धक्षेत्र में भी अपनी वीरता का प्रदर्शन किया। उनके शासनकाल में गोंडवाना राज्य ने समृद्धि और शांति का अनुभव किया। उनकी प्रजा के प्रति उनका प्रेम और समर्पण अद्वितीय था।      रानी दुर्गावती का संघर्ष अकबर के साथ हुआ, जो उनके राज्य को अपने साम्राज्य में मिलाना चाहता था। अपने राज्य की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उन्होंने बहादुरी से लड...

आपदा के बादल और उससे बचाव : वर्तमान परिपेक्ष्य में लिखी घटनाओं पर आधारित कहानी

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आपदा के बादल और उससे बचाव : वर्तमान परिपेक्ष्य में लिखी घटनाओं पर आधारित कहानी  Published by Naveen Singh Rana        एक दिन की बात है, जब मोहन सिंह और श्याम सिंह आपदा प्रबंधन की ड्यूटी पर थे। वह रात बेहद अंधेरी थी और जोरदार बारिश हो रही थी। दोनों कंट्रोल रूम में बैठे हुए थे और गाँव के चारों ओर की निगरानी कर रहे थे। सरकार द्वारा स्थापित यह कंट्रोल रूम बाढ़ के समय मदद के लिए सक्रिय रहता था। और प्रतिवर्ष लगाया जाता था जिसमे अलग अलग समय पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगा करती थी और वे बड़े मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी किया करते थे। हर रोज की तरह दोनों अपनी ड्यूटी पर दे, तभी मोहन ने नदी की ओर से तेज आवाज सुनी। उसे लगा कि नदी का जल स्तर अचानक बढ़ रहा है। उसने तुरंत अपनी टार्च उठाई और श्याम के साथ नदी की ओर  नजर दौड़ाई तेज बारिश होने से टॉर्च का प्रकाश धुमिल सा था करीब जाने पर जब उन्होंने टार्च की रोशनी में देखा, तो पाया कि नदी का पानी तेजी से जल स्तर ऊपर बड़ रहा है और लग रहा है कि वह धीरे धीरे गाँव की ओर बढ़ रहा है। मोहन सिंह और श्याम सिंह ने आपस में बात कर तुर...